72 घंटे बाद ही शांति समझौते पर मंडराया खतरा, तालिबान के ठिकाने पर अमेरिका ने की एयर स्ट्राइक
बुधवार तड़के तालिबान ने अफगान सुरक्षा बल के 20 सैनिकों को मार गिराया था जिसके बाद अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई करते हुए तालिबान के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की
अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के 72 घंटे बाद ही अमेरिका ने तालिबान के ठिकानों पर ज़ोरदार बमबारी की है. अफगानिस्तान के हेलमंड प्रांत में अमेरिकी सेना ने तालिबानी के एक बड़े ठिकाने पर हवाई हमले किए हैं. अमेरिका सेना की ये कार्रवाई तालिबानी लड़ाकों के हमले का जवाब है. बुधवार तड़के तालिबानी लड़ाकों ने अफगान सेना पर हमला कर 20 सैनिकों जान ले ली थी.
शनिवार को कतर के दौहा में हुआ था समझौता
अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौता हुआ था. समझौते के तहत अफगानिस्तान में 18 साल से मौजूद अमेरिकी सेना की वापसी का ऐलान किया गया था. लेकिन वापसी से पहले ही अमेरिका ने एक बार फिर तालिबानी ठिकानों पर ज़बर्दस्त बमबारी की है.
‘रक्षात्मक कार्रवाई है एयर स्ट्राइक’
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के प्रवक्ता कर्नल सोनी लैगेट ने बताया कि तालिबानी लड़ाके लगातार अफगान नेशनल सिक्यूरिटी फोर्स के चेक पाइंट्स पर हमले कर रहे थे. जिस कारण अमेरिका को ये रक्षात्मक कार्रवाई करनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका शांति समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है और तालिबान से अनावश्यक हमलों से बाज आने और समझौते को पूरा करने की प्रतिबद्धता बरकरार रखने की अपील करता है.
तालिबान ने अफगानिस्तान के 20 सैनिक मार डाले
शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच डील होती है और बुधवार को अमेरिका तालिबान के अड्डे पर हमला करता है. दरअसल शांति समझौते के 48 घंटों के भीतर ही तालिबान ने अफगान सेना और सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का ऐलान कर दिया था. बुधवार सुबह तालिबानी हमले में अफगानिस्तान के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी. तालिबान के लड़ाकों ने कुंदूज़ इलाके में तीन आर्मी पोस्ट पर हमला किया था जहां अफगान सेना और पुलिस के जवान मौजूद थे. इस हमले के तुरंत बाद ही अमेरिकी सेना ने बड़ी कार्रवाई कर तालिबान को कड़ा जवाब दिया है.
अशरफ गनी ने तालिबान कैदियों को छोड़ने से किया मना
इससे पहले शांति समझौते के बाद तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच तल्खी तब बढ़ गई जब शांति समझौते के तहत अफगान सरकार ने जेल में बंद तालिबान के कैदियों की रिहाई से इनकार कर दिया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने जेल में बंद तालिबानी कैदियों की रिहाई के किसी भी वादे से इनकार कर दिया. जिसके बाद तालिबान ने शांति समझौते से खुद को अलग करते हुए हमले की धमकी दे डाली,
अमेरिका और तालिबान में हुए शांति समझौते के बाद जब अफगानिस्तान ने कुछ लड़ाकों को रिहा करने से इनकार कर दिया तो मामला बिगड़ गया. इसके तुरंत बाद तालिबान समझौते से अलग हुआ और बुधवार को हमला करना शुरू कर दिया. खास बात ये है कि तालिबानी हमले से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी से फोन पर भी बात की थी.
शांति समझौता टूटने की कगार पर
इससे पहले खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप डील को लेकर गड़बड़ी की आशंका भी जता चुके थे. व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने चेताया था कि शांति समझौते में अगर कोई गड़बड़ी होती है तो वो अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की बजाए वहां इतनी सेना भेजेंगे जो किसी ने देखी नहीं होगी. हालांकि ट्रंप ने यूएस-तालिबान शांति समझौते पर संतोष जताते हुए इसको कामयाब बताया था. लेकिन अब अमेरिकी एयर स्ट्राइक के बाद तालिबान के जवाब का इंतज़ार होगा क्योंकि शांति समझौते का भविष्य अब तालिबान के हाथों में है जो कि फिलहाल टूटने की कगार पर दिखाई दे रहा है.