उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से जज ने किया खुद को अलग
Jammu Kashmir के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला Omar Abdullah की हिरासत के खिलाफ दायर याचिका में उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट Sara Abdullah Pilot ने कहा कि 'अब्दुल्ला को हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है.'
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) पर लगाए गए जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के खिलाफ सुनवाई से खुद को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस मोहन एम शांतानागौडार (Justice Mohan M Shantanagoudar) ने अलग कर लिया है.
बता दें कि अब्दुल्ला के खिलाफ लगाए गए पीएसए के विरोध में उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट (Sara Abdullah Pilot) ने याचिका लगाई थी. जस्टिस शांतानागौडार ने सुनवाई की शुरुआत में ही कहा, ‘मैं मामले में शामिल नहीं हो रहा हूं.’ खुद को इस मामले से अलग करने के बाद जस्टिस शांतानागौडार ने कोई खास वजह नहीं बताई.
सारा पायलट की याचिका जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस शांतानागौडार और जस्टिस संजीव खन्ना के समक्ष बुधवार को पहुंची थी. जस्टिस शांतानागौडारा द्वारा खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग किये जाने के बाद अब शुक्रवार यानी 14 फरवरी को इस मामले की सुनवाई की जाएगी. बता दें कि उमर को बीते दिनों PSA के तहत 6 महीने के लिए हिरासत में ले लिया गया है.
पायलट ने कहा- यह स्पष्ट रूप से गैरकानूनी
पायलट ने अपनी याचिका में कहा है कि अब्दुल्ला को हिरासत में रखना ‘स्पष्ट रूप से गैरकानूनी’ है और उनसे ‘कानून व्यवस्था को किसी खतरे’ का कोई सवाल ही नहीं है. याचिका में अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में रखने के पांच फरवरी के आदेश को रद करने के साथ उन्हें अदालत के समक्ष पेश कराने का अनुरोध किया गया है.
सुनवाई वाले दिन अदालत पहुंचीं सारा अब्दुल्ला पायलट
पायलट ने कहा कि प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के खिलाफ विरोध को दबाया जा सके, गलत तरीके से CRPC का इस्तेमाल कर राजनीतिक नेताओं और लोगों को हिरासत में रखा है.उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि इस शक्ति का इस्तेमाल करने का उद्देश्य न केवल उमर अब्दुल्ला को कैद में रखने के लिए, बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूरे नेतृत्व को और साथ ही अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेतृत्व को कैद में रखने का है. इसी तरह का व्यवहार फारूक अब्दुल्ला के साथ किया गया है, जिन्होंने वर्षों तक राज्य और केंद्र की सेवा की… जब भी जरूरत पड़ी, भारत के साथ खड़े हुए.’