नासा को द‍िखा व‍िक्रम लैंडर, तीन टुकड़ों में चांद पर ब‍िखरा म‍िला

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है. (फोटो में वह जगह द‍िखाई गई है जहां व‍िक्रम लैंडर, चांद की जमीन पर क्रैश हुआ था.

0 999,036

वॉशिंगटन. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चांद पर हार्ड लैंडिंग करने वाले चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ निकाला है। नासा ने सोमवार को अपने लूनर रिकॉनेसां ऑर्बिटर (एलआरओ) से ली गईं तस्वीरें जारी कीं। इनमें लैंडर के टकराने वाले दुर्घटनास्थल (क्रैश पॉइंट) से लेकर जहां तक उसका मलबा फैला है उस क्षेत्र को दिखाया गया। नासा के मुताबिक, भारतीय इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम ने मलबे से जुड़े सबूत एजेंसी को दिए थे। इसके बाद ही नासा ने लैंडर की खोज की। चेन्नई के रहने वाले सुब्रमण्यम कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर हैं।

नासा को द‍िखा व‍िक्रम लैंडर, तीन टुकड़ों में चांद पर ब‍िखरा म‍िला

2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर टूट गया था संपर्क

 

बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की तरफ से चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का अभियान 7 सितंबर को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था. लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया था.

नासा ने ट्वीट कर दी जानकारी

नासा ने ट्वीट किया है, ‘’चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर हमारे ‘नासा मून’ मिशन द्वारा ढूंढ लिया गया है.’’

विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चांद की सतह पर क्रैश हुआ था

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी थी। हालांकि, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले ही एजेंसी का लैंडर से संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हुआ था।

भारतीय प्रोग्रामर से सबूत मिलने के बाद नासा ने खोज की

तस्वीर में ग्रीन डॉट्स से विक्रम लैंडर का मलबा रेखांकित किया गया है। वहीं ब्लू डॉट्स से चांद की सतह में क्रैश के बाद आए फर्क को दिखाया गया है। ‘एस’ अक्षर के जरिए लैंडर के उस मलबे को दिखाया गया है जिसकी पहचान वैज्ञानिक शनमुग सुब्रमण्यम ने की। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सुब्रमण्यम भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर हैं।

नासा ने दिया था चैलेंज

नासा ने बयान जारी कर कहा कि उसने 26 सितंबर को एलआरओ से जारी कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं, इनमें लोगों को चांद की सतह पर क्रैश से पहले और क्रैश के बाद की स्थिति की तुलना के लिए कहा गया। ताकि लैंडर का सही पता लगाया जा सके। शनमुग सुब्रमण्यम ने चांद की सतह पर मलबे की पहचान करने के बाद ही नासा के एलआरओ प्रोजेक्ट से संपर्क किया। उनके दिए सबूतों के आधार पर एलआरओ टीम ने चांद की सतह की क्रैश के पहले और बाद की फोटोज का विश्लेषण किया। यहीं से पुष्टि हुई कि चांद पर पड़ा मलबा चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का है।

लैंडर की आखिरी ज्ञात गति से लगाया मलबे का पता

शनमुग सुब्रमण्यम ने अखबार से कहा, “विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग ने मेरे अंदर चांद को लेकर रुचि जगाई। अगर विक्रम ठीक तरह से लैंड होकर कुछ तस्वीरें भेजता, तो शायद हमने इतनी रुचि न दिखाई होती, लेकिन पिछले कुछ दिनों में मैंने चांद की सतह की फोटो स्कैन कीं और इनमें मुझे कुछ सकारात्मक चीजें दिखीं।” शनमुग के मुताबिक, विक्रम लैंडर की आखिरी ज्ञात गति (वेलोसिटी) और स्थिति (पोजिशन) की समीक्षा के बाद उन्होंने मलबे को ढूंढने का क्षेत्र बदला। जहां चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग की उम्मीद लगाई जा रही थी, वहां से कुछ ही दूरी पर एक सफेद बिंदु दिखाई दिया। पहले की कुछ तस्वीरों में यह बिंदु साफ नहीं था। हो सकता है कि लैंडर सतह से टकराने के बाद उसके अंदर घुस गया हो।

नासा ने चंद्रयान-2 की खोज के लिए शनमुग को श्रेय दिया
शनमुग ने अपनी खोज को नासा के वैज्ञानिकों के साथ साझा किया। अमेरिकी एजेंसी ने अपने एलआरओ के कैमरे के जरिए कुछ तस्वीरें ली थीं। वैज्ञानिकों ने जब लैंडर के क्रैश होने के बाद ली गई कुछ तस्वीरों की 11 नवंबर की ताजी तस्वीरों के साथ तुलना की, तो उन्हें इनमें फर्क समझ आया। इसी आधार पर वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब रहे कि विक्रम लैंडर लैंडिंग साइट से करीब 2500 फीट दूर गिरा और उसका मलबा आसपास के इलाके में फैल गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.