PM मोदी को 71 पूर्व नौकरशाहों की चिट्ठी, सियासी बढ़त के लिए हमें न बनाएं निशाना

इस पत्र पर जिन पूर्व अधिकारियों के दस्तखत हैं उनमें ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीपीपी रहे मीरां बोरवनकर, पंजाब के पूर्व नौकरशाह जुलियो रिबेरो, मध्य प्रदेश में अतिरिक्त मुख्य सचिव रहीं रश्मि शुक्ला शर्मा हैं.

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  • सरकार का कदम ईमा99नदार सेवा के लिए एक गंभीर ‘हतोत्साहन’
  • ईमानदार अधिकारियों को चुनिंदा ढंग से बनाया जा रहा निशाना

आईएनएक्स मीडिया मामले में वित्त मंत्रालय के चार पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने के बाद 71 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में पूर्व अधिकारियों ने इस मामले को ‘राजनीतिक’ बताते हुए चिंता जताई है और कहा है कि ऐसी कार्यवाही मौजूदा अधिकारियों को हतोत्साहित करेगी और इसके खतरनाक परिणाम होंगे.

पूर्व अधिकारियों के खिलाफ अभियोग

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की अपील पर सरकार ने चार पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया मामले में अभियोग चलाने की इजाजत दी है. इन चारों पूर्व अधिकारियों में वित्त मंत्रालय में पूर्व अवर सचिव आर प्रसाद, निदेशक प्रबोध सक्सेना, संयुक्त सचिव अनूप पुजारी और अतिरिक्त सचिव सिंधुश्री खुल्लर हैं. सरकार ने इन सभी अधिकारियों पर केस दायर करने की अनुमति दे दी है. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को लेकर सरकार ने पहले ही मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी थी. चिदंबरम फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

क्या कहा गया है चिट्ठी में?

चिट्ठी में कहा गया है, ‘अपना कामकाजी जीवन सरकार की सेवा में लगाने के चलते यह मुद्दा उठाना हमारा कर्तव्य है कि वित्त मंत्रालय के चार पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का फैसला बेहद खतरनाक है. मंत्रालय में सेवारत रहते हुए अधिकारी अपनी सेवाएं देने के लिए बाध्य होते हैं. पॉलिसी पैरालिसिस को दूर करने के प्रयास में सरकार ने पिछले साल भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन किया था. इसमें रिटायर्ड या सेवारत अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार से अनुमति लेने का प्रावधान किया गया था.’

इस पत्र पर जिन पूर्व अधिकारियों के दस्तखत हैं उनमें ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीपीपी रहे मीरां बोरवनकर, पंजाब के पूर्व नौकरशाह जुलियो रिबेरो, मध्य प्रदेश में अतिरिक्त मुख्य सचिव रहीं रश्मि शुक्ला शर्मा हैं.

कर्तव्य निभाने के लिए कोई सुरक्षा नहीं

देश भर के पूर्व अधिकारियों ने सरकार के इस कदम को ईमानदार सेवा के लिए एक गंभीर हतोत्साहन बताया है. पत्र में लिखा है, ‘यह कदम सिविल सेवकों की सबसे खराब आशंकाओं को सच साबित करता प्रतीत होता है कि उन्हें अपना कर्तव्य निभाने के लिए कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी. इस कदम के बाद यह कोई हैरत की बात नहीं होगी कि सिविल अधिकारी हर प्रस्ताव की जांच करने के लिए उसे लटकाए रखें, क्योंकि उनके पास कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें कई सालों बाद आपराधिक कार्यवाही में नहीं फंसाया जाएगा.’

आईएनएक्स मीडिया केस को राजनीतिक बताते हुए पत्र में कहा गया है, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकारी, खास तौर पर वे जो अब सेवा में नहीं हैं, उन्हें ऐसी कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है जो राजनीतिक लाभ लेने के लिए की जा रही है. केंद्र और राज्य की सभी सत्ताओं में, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कोई भी हो, सभी इस अपराध के लिए दोषी हैं.’

ईमानदार अधिकारियों बनाया जा रहा दोषी

इन अधिकारियों का कहना है कि अगर पूर्व अधिकारियों पर इस तरह की कार्यवाहीहोगी तो स्वाभाविक है कि जो अधिकारी सेवा में हैं वे हतोत्साहित होंगे. ईमानदार और समर्पित अधिकारियों को चुनिंदा ढंग से निशाना बनाया जा रहा है जबकि उनका कोई दोष नहीं है, वे अपने पद पर रहते हुए उस समय की सरकार के निर्णय और नीतियों को लागू कर रहे थे.

पत्र में कहा गया है कि अगर इस तरह से फाइलों को खोदकर निकालने और अंदेशे के आधार पर कार्यवाही की जाएगी तो सरकार में कोई निर्णय ही नहीं हो पाएगा. किसी अधिकारी के रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित समय सीमा ​होनी चाहिए कि उसके बाद उससे जुड़ी फाइल नहीं खोली जाएगी. अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद शांतिपूर्ण जीवन जीने का आवश्यकता है.

पी चिदंबरम पर आरोप

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप लगा है कि उन्होंने उस समय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलकर आईएनएक्स मीडिया को अनुमति दी. हालांकि, सीबीआई की हिरासत में रहने के दौरान पी चिदंबरम ने दावा किया था कि कि आईएनएक्स मीडिया सौदे को प्रभावित करने के लिए उन्हें किसी भी अधिकारी ने नहीं फंसाया है. चिदंबरम का यह भी दावा है कि उनके खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई बीजेपी के कहने पर की जा रही है.

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