सरकार ने नहीं दी सरचार्ज से राहत! म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों पर होगा असर

फाइनेंस बिल को लेकर हुए फैसले से सेंसेक्स-निफ्टी में तेज गिरावट आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर म्यूचुअल फंड की स्कीम पर भी होगा. आइए जानें पूरा मामला...

नई दिल्ली।  शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों की टेंशन बढ़ने वाली है. दरअसल सरकार ने फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स यानी FPI के तौर पर पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशक को सरचार्ज में कोई राहत नहीं देने का फैसला किया है.

 

वित्त मंत्रालय ने फाइनेंस बिल को लेकर संशोधन पेश किया है. इसमें सरचार्ज के नियमों में कोई बदलाव का प्रस्ताव नहीं है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का मान रहे है कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करना अब उतना फायदेमंद नहीं रह जाएगा.

लिहाजा ये निवेशक बिकवाली कर सकते हैं. ऐसे में सेंसेक्स-निफ्टी में गिरावट की आशंका है. अगर बाजार में गिरावट बढ़ती है तो म्यूचुअल फंड की इक्विटी कैटेगिरी के निवेशकों पर भी इसका असर होगा.

 

इसीलिए एक्सपर्ट्स छोटे निवेशकों को शेयर बाजार में किसी भी निवेश से बचने की सलाह दे रहे है. साथ ही, म्यूचुअल फंड में भी सरकारी बॉन्ड्स वाली स्कीम में पैसा लगाने को कह रहे है.

अब क्या करें निवेशक- एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने न्यूज18 हिंदी को बताया है कि इस फैसले से शेयर बाजार के सेंटीमेंट पर निगेटिव असर होगा. ऐसे में शेयर बाजार में गिरावट बढ़ने की आशंका है. वहीं, म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों पर भी इसका असर होगा.

आसिफ बताते हैं कि मौजूदा समय में अच्छी बात म्यूचुअल फंड की ओर से शेयर बाजार में निवेश बढ़ना है. निवेशकों को फिलहाल शेयर बाजार में अच्छी फंडामेंटल और गुड गवर्नेंस वाली कंपनियों के शेयर में पैसा लगाना चाहिए. वहीं, म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिये निवेश को फिलहाल रोकना नहीं चाहिए. लेकिन पोर्टफोलियो में सरकारी बॉन्ड्स वाली स्कीमों को शामिल कर सकते हैं.

15 दिन में की 4 हजार करोड़ की बिकवाली- अगर विदेशी निवेशकों के आंकड़ों पर नज़र डाले तो साफ पता चलता है कि जुलाई के महीने में अभी तक विदेशी निवेशकों ने कुल 4,120 करोड़ रुपये शेयर बाजार से निकाल लिए है.

सरकार का फैसला-FPI को सरचार्ज से कोई राहत नहीं मिली है. फाइनेंस बिल के संशोधन में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है. बाजार के जानकार फाइनेंस बिल के संशोधन में सरकार की तरफ से सफाई की संभावना जता रहे थे. बाजार को उम्मीद थी कि FPI को इससे बाहर किया जा सकता है.

आपको बता दें कि फाइनेंस बिल के संसोधन में शेयर बायबैक के नियमों में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. वहीं, कुल 29 संशोधनों के साथ फाइनेंस बिल को पेश किया गया है. 

बजट में हुआ था फैसला- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में अति समृद्ध लोगों पर सरचार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था. बजट की घोषणाओं के अनुसार, दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों पर सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है. वहीं, पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक की सालाना आय प्राप्त करने वाले व्यक्तियों पर सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी कर दिया गया है.

सरचार्ज में की गई वृद्धि के बाद दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों को 39 फीसदी और और पांच करोड़ रुपये और उससे अधिक आय वाले व्यक्तियों को 42.7 फीसदी कर चुकाना होगा. ज्यादातर एफपीआई सालाना पांच करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित करते हैं. इस प्रकार वे सबसे ज्यादा कर के दायरे में आएंगे.

क्या होता है फाइनेंस बिल- फाइनेंस बिल को मनी बिल भी कहा जाता है. ये संविधान के आर्टिकल 110 के अंतर्गत आता है. दरअसल, सरकार जब भी टैक्सेशन में बड़े बदलाव करती है तो वो इसी इंस्ट्रूमेंट के जरिये करती है यानी कि फाइनेंस बिल के जरिये बदलाव होता है.

अगर सरकार को नया टैक्स लगाना है तो वो फाइनेंस बिल में दर्ज करेंगे. अगर किसी तरह का टैक्स खारिज करना है या फिर टैक्सेशन स्लैब में किसी तरह का बदलाव करना है तो वो सब फाइनेंस बिल में ही आएगी.

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