MSP, मिडिलमैन और मिथक: नए कृषि कानून में क्या बदला और किसका फायदा?

Farmer Protest: संसद में इस बिल को पास करते हुए केंद्र सरकार ने तर्क दिए था कि इन कानूनों का उद्देश्य किसानों के पक्ष में शर्तों को शिथिल करना है, जो बेईमान बिचौलियों और निहित स्वार्थों से छुटकारा दिलाते हैं.

नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली बॉर्डर पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कानूनों को रद्द नहीं करेगी वो अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. किसानों को प्रदर्शन लगातार तेज हो रहा है. कई राजनीतिक संगठन भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं. आखिरकार क्या है एमएसपी, मिडिलमैन और इसमें क्या बदलाव हुआ है और इससे किसको फायदा है? आइए जानते हैं.

कृषि से जुड़े कानूनों को केंद्र सरकार ने पारित किया है. पहला, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश (Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020) अध्यादेश, 2020.

दूसरा, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन (The Essential Commodities (Amendment) Bill).

तीसरा, मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill).

संसद में बोलते हुए भाजपा राज्यसभा सांसद भूपिंदर यादव ने कहा कि “ये तीनों विधेयक कृषि क्षेत्र के सुधार हेतु ऐतिहासिक क़दम है.” संसद में इस बिल को पास करते हुए केंद्र सरकार ने तर्क दिए था कि इन कानूनों का उद्देश्य किसानों के पक्ष में शर्तों को शिथिल करना है, जो बेईमान बिचौलियों और निहित स्वार्थों से छुटकारा दिलाते हैं.

कैसे…

सरकार ने तर्क दिया है कि किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) कानूनों के तहत अधिसूचित बाजारों के बाहर कृषि उपज के अवरोध मुक्त व्यापार की सुविधा के लिए चाहते हैं.

मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता, अनुबंध-खेती के लिए एक रूपरेखा को परिभाषित करता है.

संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 के तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तु की सूची से हटा दिया गया है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी. लेकिन, इससे ग्रामीण गरीबी भी बढ़ सकती है और जन वितरण प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

तो अब प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं किसान?
किसानों को डर है कि नए कानून कृषि उत्पादन बाजारों में बड़े कॉर्पोरेट समूहों की शुरूआत करेंगे. यह एकाधिकार बना सकता है, जिससे उन्हें किसानों को नुकसान पहुंच सकता है. इसके साथ ही किसानों को निम्न स्तर पर कीमतें तय करने की अनुमति भी रद्द हो सकती है.

कैसे बदलेगी नई व्यवस्था?
सरकार ने अब कहा है कि नया केंद्रीय कानून – किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 – किसानों को अपनी उपज को आकर्षक कीमतों पर बेचने के लिए सक्षम करेगा. नया कानून अंतर-राज्य व्यापार में बाधाओं को भी दूर करेगा, जिससे यूपी के किसानों को ई-ट्रेडिंग ढांचे के माध्यम से गुजरात में खरीदारों और व्यापारियों को बेचने की अनुमति मिलेगी.

क्या यह एकमात्र मुद्दा है?
नए कानून के तहत, व्यापारियों को किसी भी शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है. किसानों को डर है कि राज्य सरकारों द्वारा निजी व्यापारियों के लिए बिना किसी शुल्क या निगरानी के बाजारों को मुक्त कर दिया जाना पारंपरिक बाजारों को तोड़ देगा.

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