भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए शुरू की गई सौभाग्य योजना मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की शिकार हो गई है। आदिवासी जिले मंडला और डिंडौरी में योजना के तहत कराए गए काम में करीब 50 करोड़ का गोलमाल किया गया। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक विद्युतीकरण में चोरी के ट्रांसफार्मर का भी उपयोग किया गया है।
करोड़ों के जो काम विभागीय कर्मचारियों से करवाने थे, वह ठेकेदारों के जरिये कराए गए। उसमें भी बिना काम पूरा हुए ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। मामले में एक अधीक्षण यंत्री टीके मिश्रा और अशोक निकोसे को मंडला से हटा दिया गया है। सरकार के संज्ञान में आने के बाद 10 दिन में मामले की जांच करके रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
2017 में शुरू की गई सौभाग्य योजना में मंडला एवं डिंडौरी आदिवासी जिले में घर-घर तक बिजली पहुंचाने के लिए 70 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। विद्युतीकरण योजना के तहत दो लाख रुपये तक के कार्य ई-टेंडर के माध्यम से कराए जाने का नियम है।
इस नियम को शिथिल कर राज्य सरकार ने सौभाग्य योजना के पांच लाख रुपये तक के काम ऑफलाइन टेंडर से कराए जाने की अनुमति दी थी पर अधीक्षण यंत्री के स्तर पर 25 लाख रुपये तक के काम को पांच-पांच लाख में बांटकर चुनिंदा ठेकेदारों को उपकृत कर दिया गया। इन ठेकेदारों ने काम किए बगैर ही अधीक्षण यंत्री से अपने बिल भी पास करवा लिए। सामग्री खरीदने में भी आरोपी अफसरों ने गोलमाल किया है। प्राथमिक जांच में पाया गया कि इन्होंने चोरी के ट्रांसफार्मर का उपयोग विद्युतीकरण के काम में किया है।
मप्र के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि अधीक्षण यंत्री के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई थी। विधायक नारायण पट्टा ने कई गड़बडि़यों की ओर ध्यान दिलाया था। प्राथमिक जांच के बाद अधीक्षण यंत्री को हटा दिया गया है। 10 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी गई है।