एमपी में फ्लोर टेस्ट पर संग्राम / भाजपा की फ्लोर टेस्ट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को नोटिस दिया, कल 10.30 बजे सुनवाई होगी

मध्य प्रदेश के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने अभी राज्य सरकार, स्पीकर और बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है, जिसपर कल सुनवाई होगी. मध्य प्रदेश में पिछले दो हफ्तों से जारी सियासी घमासान अपने चरम पर है. सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया. विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया, हालांकि राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से कमलनाथ सरकार को 17 मार्च तक बहुमत साबित करने को कहा गया.

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  • राज्यपाल ने 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था, स्पीकर ने कोरोनावायरस का हवाला देकर 26 मार्च तक सदन की कार्यवाही स्थगित की
  • भाजपा ने जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी, राज्यपाल के सामने 106 विधायकों की परेड भी कराई
  • भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- कमलनाथ सरकार के पास बहुमत नहीं, इसलिए उनकी तरफ से कोई सुनवाई में नहीं आया

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच भाजपा की फ्लोर टेस्ट की मांग पर अब सुप्रीम कोर्ट में बुधवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को नोटिस भी दिया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत 10 विधायकों ने सोमवार को याचिका दायर की थी।

भाजपा की तरफ से पैरवी करने पहुंचे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- आज कांग्रेस की ओर से कोई वकील कोर्ट रूम में मौजूद नहीं था। इसलिए अदालत ने बुधवार के लिए नोटिस जारी किया है। कांग्रेस के 22 विधायक पार्टी छोड़कर चले गए हैं, उनके पास बहुमत नहीं है, इसलिए उनकी तरफ से कोई सुनवाई में भी नहीं आया।

ऐसे केस में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में क्या फैसला दिया?
भाजपा ने याचिका में 1994 के एसआर बोम्मई vs भारत सरकार, 2016 के अरुणाचल प्रदेश, 2019 के शिवसेना vs भारत सरकार जैसे मामलों का जिक्र किया है। इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। अरुणाचल प्रदेश के मामले में कोर्ट ने कहा था कि अगर राज्यपाल को लगता है कि मुख्यमंत्री बहुमत खो चुके हैं तो वे फ्लोर टेस्ट का निर्देश देने के लिए स्वतंत्र हैं। 2017 में गोवा से जुड़े एक मामले में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक और टिप्पणी की- ‘फ्लोर टेस्ट से सारी शंकाएं दूर हो जाएंगी और इसका जो नतीजा आएगा, उससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी विश्वसनीयता मिल जाएगी।’

SC का सरकार और बागी विधायकों को नोटिस, कल होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को स्टैंडिंग काउंसिल के जरिए नोटिस जारी किया है. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी और स्पीकर को भी नोटिस जारी किया गया है. इसी के साथ सुनवाई को कल तक के लिए टाल दिया गया है और अब बुधवार को इस मामले पर सुनवाई होगी.

बागी विधायक बोले- हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया

पिछले कई दिनों से कर्नाटक के बेंगलुरु में रुके हुए कांग्रेस के बागी विधायकों ने मंगलवार को मीडिया से बात की. बागी विधायकों का कहना है कि हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. हालांकि, विधायकों का कहना है कि अभी उन्होंने बीजेपी में जाने पर फैसला नहीं लिया है, वे इसपर विचार करने के बाद फैसला करेंगे.

 

भाजपा की जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग

भाजपा ने दावा किया है कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है और कांग्रेस को सरकार चलाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इस स्थिति में तत्काल विधानसभा फ्लोर टेस्ट कराया जाए। इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार को मुख्यमंत्री को दूसरी चिट्ठी लिखकर आज ही बहुमत परीक्षण कराने के निर्देश दिए। कल बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के बाद स्पीकर ने कोरोनावायरस का हवाला देते हुए विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी थी।

 

  • इससे पहले राज्यपाल ने 14 मार्च को कमलनाथ से कहा था कि वे 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराएं। हालांकि, रविवार रात कमलनाथ ने उनसे मुलाकात की और बताया कि सोमवार को फ्लोर टेस्ट नहीं होगा। बताया जाता है कि इस बात से राज्यपाल नाराज थे। वे बजट सत्र के पहले दिन अभिभाषण के बाद सिर्फ 12 मिनट में विधानसभा से राजभवन लौट गए थे।
  • राज्यपाल का दूसरा पत्र मिलने के बाद कमलनाथ उनसे मिलने राजभवन पहुंचे थे। इसके बाद कमलनाथ ने कहा- हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन संवैधानिक दायरे में रहकर और यह बात हमने राज्यपाल से कह दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रही है, अगर ऐसा है तो वे अविश्वास प्रस्ताव लाएं। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा ने हमारे 16 विधायकों को बंधक बनाकर रखा है।
क्या कमलनाथ सरकार को बर्खास्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे राज्यपाल?

मध्य प्रदेश के सत्ता संघर्ष में राजभवन और स्पीकर के बीच ठन गई है. कमलनाथ सरकार और राज्यपाल लालजी टंडन आमने-सामने आ गए हैं. सत्ता की रस्साकशी में कमलनाथ सरकार के भविष्य पर संकट गहराता जा रहा है. राजभवन जिस तरह का रवैया अपना रहा है, उससे सवाल उठता है कि क्या कमलनाथ सरकार को बर्खास्त करने की दिशा में राज्यपाल कदम बढ़ा रहे हैं?

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  • मध्य प्रदेश विधानसभा के सत्र की शुरुआत सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण से हुई और उसके तुरंत बाद स्पीकर एनपी प्रजापति ने विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दूसरी तरफ अपने 106 विधायकों की परेड राज्यपाल के सामने की और कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं किया.
  • सोमवार देर शाम राज्यपाल ने कमलनाथ को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर 17 मार्च यानी मंगलवार को बहुमत साबित करने का अल्टीमेटम दिया है. राज्यपाल ने कमलनाथ को पत्र लिख कर कहा कि अगर कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं करेगी तो उसे अल्पमत में माना जाएगा. हालांकि, कमलनाथ ने सोमवार देर शाम राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात भी की. इसके बाद कमलनाथ ने फिर कहा कि अभी उनके पास बहुमत है, ऐसे में उन्हें साबित करने की कोई जरूरत नहीं है.
  • दरअसल राज्यपाल लालजी टंडन लखनऊ से भोपाल लौटने के बाद से एक्शन में हैं. शनिवार की रात उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भेजकर कहा था, ‘बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के ठीक बाद फ्लोर टेस्ट कराया जाए. राज्यपाल ने कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के बाद नंबर गेम में पिछड़ गई कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का अंदेशा भी जाहिर किया था.

विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापित ने राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देशों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया था. विधानसभा की कार्यसूची में न तो फ्लोर टेस्ट को शामिल किया और न हीं राज्यपाल के अभिभाषण के बाद उस पर अमल किया. इसके चलते राज्यपाल लालजी टंडन ने त्यौरियां चढ़ा ली हैं और मंगलवार को सरकार को बहुमत साबित करने का अल्टीमेटम दे रखा है. वहीं, कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट की दिशा में कदम नहीं बढ़ा रही है. राजभवन के तेवर को देखकर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर नजर है.

कमलनाथ सरकार ने राज्यपाल के निर्देशों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है. इससे राजभवन और कमलनाथ के बीच टकराव के हालात बन बन गए हैं. ऐसे में ऐसे ही टकराव बढ़ा और राज्यपाल के निर्देशों को ना सुना तो यह सरकार को बर्खास्त करने का ठोस सबब बन सकता है.

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