भोपाल. मध्य प्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार से होने जा रहा है. सत्र की कार्यसूची भी जारी कर दी गई है. हालांकि इसमें कहीं भी फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं है. इस पूरे घटनाक्रम के बीच खबर है कि प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (Lalji Tandon) ने विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखकर कहा है कि फ्लोर टेस्ट होने की स्थिति में बटन दबाकर मतदान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इस दौरान सभी विधानसभा सदस्य हाथ उठाकर ही अपना मत दर्ज करवाएंगे.
कार्यसूची में नहीं है जिक्र
मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट चल रहा है. इस बीच सोमवार से होने वाले बजट सत्र की कार्यसूची जारी हो चुकी है. लेकिन बजट सत्र के पहले दिन की कार्यसूची में कही भी फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं है. इस सूची के अनुसार, इस दिन सबसे पहले राज्यपाल का विधानसभा में अभिभाषण होगा. बता दें, बीजेपी नेता लगातार फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस नेता इस परिस्थिति में बहुमत सिद्ध करने का दावा कर रहे हैं.
उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि कांग्रेस के विधायकों को बेंगलुरु में बंदी बना कर रखा गया है. कमलनाथ ने यह भी कहा कि बीजेपी की इस हरकत पर प्रदेश की जनता को ही सोचना है कि किस हद तक बीजेपी घबराई हुई है.
बीजेपी के नेता ही लाए इस्तीफे
इस बातचीत में कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी अपने ही जहाज में बैठाकर कांग्रेस विधायकों को बेंगलुरु ले गई. वहां कर्नाटक पुलिस उनकी सुरक्षा कर रही है और अब उनके इस्तीफे भी बीजेपी नेता लाकर दे रहे हैं. ऐसे में साफ है कि कांग्रेस के विधायकों को बंदी बनाकर रखा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मतदान का अर्थ तो तभी है जब सारे लोग स्वतंत्र होकर वोट दें. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर वे पूरी तरह से आश्वस्त हैं और उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है.
डर गई है बीजेपी
सीएम कमलनाथ ने कहा कि उनकी ओर से प्रदेश में चलाए जा रहे अभियानों के कारण बीजेपी डर गई है. सीएम ने कहा कि माफियाओं और कालाबजारी के खिलाफ लगातार चल रहे अभियानों के बाद बीजेपी ने बचने के लिए यह नया पैंतरा चला है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों के उजागर होने के डर से अब ये काम किया जा रहा है. उन्होंने सारे विधायकों के साथ होने का दावा किया और कहा किसी भी तरह का डर नहीं है.
विधानसभा अध्यक्ष को करना है निर्णय
कोरोना के खतरे को लेकर विधानसभा सत्र पर खतरे के सवाल पर सीएम ने कहा कि इस संबंध में फैसला पूरी तरह से विधानसभा अध्यक्ष का होगा. इसके साथ ही कमलनाथ ने राज्यपाल से वे संविधान के रक्षक की भूमिका निभाने की अपील की.
विधानसभा सत्र से 9 घंटे पहले 100 से ज्यादा भाजपा विधायक भोपाल पहुंचे, शिवराज बोले- सीएम फ्लोर टेस्ट करवाएं, फैसला हो जाएगा
मध्य प्रदेश में सोमवार को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की शुरुआत से करीब 9 घंटे पहले रविवार रात दो बजे भाजपा के 100 से ज्यादा विधायक भोपाल पहुंचे। भोपाल में विधायकों को रिसीव करने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा- ऑल इज वेल। ये सभी विधायक हरियाणा के मानेसर में ठहरे हुए थे। लेकिन, विधानसभा सत्र में फ्लोर टेस्ट की संभावना के मद्देनजर विधायकों को भोपाल रवाना कर दिया गया। यह फैसला दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के घर भाजपा नेता नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बैठक के बाद लिया गया।
आज सिंधिया समर्थक विधायकों के आने की संभावना
ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सोमवार सुबह भोपाल आ सकते हैं। उनके आने पर बेंगलुरु के रिसॉर्ट में ठहरे उनके खेमे के 22 विधायक भी सोमवार सुबह भोपाल पहुंच सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि विधायकों को फ्लोर टेस्ट के लिए बेंगलुरु से सीधे विधानसभा भी लाया जा सकता है। सिंधिया समर्थक विधायकों ने भोपाल आने से पहले सीआरपीएफ से सुरक्षा मांगी है।
राज्यपाल से देर रात मिले कमलनाथ, कहा- फ्लोर टेस्ट पर फैसला स्पीकर करेंगे
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, इस पर सस्पेंस है। लेकिन, सदन की जो कार्यसूची जारी की गई है, उसमें केवल राज्यपाल के अभिभाषण और धन्यवाद ज्ञापन का ही जिक्र है। इस सूची के जारी होने के बाद राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ को पत्र लिखा, जिसमें विश्वास मत के दौरान मत विभाजन हाथ उठाकर करवाने का जिक्र था। टंडन ने सीएम को मिलने भी बुलाया। इसके बाद कमलनाथ ने कहा कि फ्लोर टेस्ट पर फैसला स्पीकर एनपी प्रजापति लेंगे। इस बयान के कुछ ही देर बाद शिवराज सिंह ने कहा कि सरकार अल्पमत में है। कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट करवाना चाहिए, फैसला हो जाएगा।
कमलनाथ ने कहा- फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार, पर पहले विधायक रिहा हों
राज्यपाल से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा- लालजी टंडन ने फोन पर मुझे मिलने के लिए बुलाया था। वे विधानसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने के लिए मुझसे चर्चा करना चाहते थे। मैंने उनसे कहा कि मैं स्पीकर से बात करूंगा। फ्लोर टेस्ट पर फैसला स्पीकर करेंगे। यह मेरा काम नहीं है। मैंने राज्यपाल को बता दिया है कि मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं, पर इससे पहले बेंगलुरु में बंधक बनाए गए विधायकों को रिहा किया जाए।
राज्यपाल को मुख्यमंत्री को निर्देश, फ्लोर टेस्ट करवाएं- शिवराज
कमलनाथ के बयान के बाद शिवराज सिंह ने कहा- राज्यपाल ने निर्देश दिए हैं कि सरकार फ्लोर टेस्ट करवाए, लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि यह मेरा काम नहीं। वे कह रहे हैं कि यह स्पीकर का काम है। मुख्यमंत्रीजी! सदन में क्या कामकाज होगा, यह सरकार तय करती है। उसे पूरा करवाने के लिए स्पीकर कार्रवाई करते हैं। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है कि आप विश्वास मत हासिल करें। मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट की बात नहीं कर रहे। इधर-उधर की बात कर रहे हैं। फ्लोर टेस्ट करवाओ, फैसला हो जाएगा। सरकार डर भी रही है और फ्लोर टेस्ट से भाग रही है। किसी को बंधक नहीं बनाया गया है।
10 मार्च को भाजपा विधायकों को हरियाणा भेजा गया था
भाजपा के पास 107 विधायक हैं। इनमें से 105 विधायकों को भाजपा ने 10 मार्च की रात ही भोपाल में पार्टी मुख्यालय से बसों में बैठाकर दिल्ली रवाना कर दिया था। इन्हें गुड़गांव के होटल में ठहराया गया है। बाकी 2 विधायकों में शिवराज सिंह अभी दिल्ली और नारायण त्रिपाठी मां के निधन के चलते मध्य प्रदेश में हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को लेकर सस्पेंस अभी खत्म नहीं हुआ है। लेकिन, रविवार को विधानसभा की कार्यसूची जारी होने के बाद सियासी हलचल बढ़ गई। कार्यसूची में केवल राज्यपाल के अभिभाषण और धन्यवाद ज्ञापन का जिक्र किया गया था। बताया जा रहा है कि इसे लेकर राज्यपाल लालजी टंडन नाराज हैं। कार्यसूची जारी होने के कुछ ही देर बाद उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को खत लिखा। इसमें कहा गया था कि विश्वास मत के दौरान मतों का विभाजन हाथ उठाकर किया जाए। टंडन ने खत लिखने के बाद कमलनाथ को मिलने के लिए बुलाया। देर रात हुई इस मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा- फ्लोर टेस्ट पर फैसला स्पीकर एनपी प्रजापति लेंगे। मैंने राज्यपाल को बता दिया है कि मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं, पर पहले बेंगलुरु में बंधक बनाए गए विधायकों को रिहा किया जाए। इस बीच, हरियाणा में ठहरे भाजपा के 100 से ज्यादा विधायक रविवार देर रात 2 बजे भोपाल लौट आए हैं।
कमलनाथ सरकार को 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट से गुजरने के आदेश शनिवार आधी रात राज्यपाल लालजी टंडन ने जारी किए थे। इसके मुताबिक, सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद ही विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग होगी। आदेश में कहा गया था कि प्रक्रिया इसी दिन पूरी होगी और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
भाजपा ने कहा- राज्यपाल के निर्देशों का उल्लंघन हुआ
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने रात को राज्यपाल से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने कहा- राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष और सरकार को निर्देश दिया था कि 16 मार्च को अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट करवाएं। दुख की बात है कि विधानसभा की कार्यसूची में केवल अभिभाषण को लिया गया। यह राज्यपाल के निर्देश का उल्लंघन और असंवैधानिक है। हमने विरोध के तौर पर ज्ञापन दिया है। राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि वे नियमों के तहत इस पर निर्णय लेंगे।
वोटिंग सिस्टम खराब होने पर राज्यपाल नाराज
राज्यपाल लालजी टंडन ने सदन का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम खराब होने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सदन के सचिव को फटकार लगाई कि इन व्यवस्थाओं को पहले से सही क्यों नहीं किया गया? टंडन ने विधानसभा के प्रमुख सचिव को तलब किया था। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम तुरंत ठीक कराने को कहा। राज्यपाल ने सचिव से पूछा कि सिस्टम ठीक नहीं था तो पहले से व्यवस्थाएं ठीक क्यों नहीं की गईं? नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा ने राज्यपाल से मिलकर वोटिंग मशीन खराब होने पर हाथ उठाकर वोटिंग कराने की मांग की है।
विधायकों की खबर मिल रही, वे सीधे मुझसे संपर्क नहीं कर रहे: स्पीकर
फ्लोर टेस्ट को लेकर स्पीकर प्रजापति से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह सवाल ही काल्पनिक है। उन्होंने मीडिया से कहा कि आपको कल ही इस बारे में पता चलेगा। फैसला लेने से पहले मैं आप लोगों को कुछ नहीं बता पाऊंगा। उन्होंने कहा, “मैं लोकतंत्र का संरक्षक हूं। ये आप तय कीजिए कि क्या चल रहा है। जो लोग लोकतंत्र के संरक्षक हैं, उन्हें भी चिंता करनी चाहिए। मैं विधायकों को लेकर चिंतित हूं। विभिन्न माध्यमों से उनके बारे में जानकारी मिल रही है। लेकिन वे मुझसे सीधे संपर्क नहीं कर रहे।”
विधायकों ने 5 दिन में दूसरी बार भेजे इस्तीफे
ज्योतिरादित्य समर्थक 16 विधायकों ने 5 दिन में दूसरी बार अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को भेजे हैं। इससे पहले प्रजापति ने ज्योतिरादित्य गुट के 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए। ये सभी 22 विधायक अभी बेंगलुरु में हैं। दूसरी बार इस्तीफा भेजने वाले विधायकों ने स्पीकर से कहा कि जिस तरह आपने 6 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया है, उसी तरह हमारे इस्तीपों पर भी विचार करें।