भोपाल. मध्य प्रदेश में 9 दिन से चल रहे सियासी घमासान में निर्णायक मोड़ 18 या 19 मार्च को आ सकता है। 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में 18 या 19 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण पर मत विभाजन की संभावना है। मत विभाजन होने पर साफ हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है। इधर, 13 मार्च को प्रदेश की राज्यसभा की तीन सीटों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है। भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सियासी उठापटक के बीच अब कांग्रेस और भाजपा अपना कुनबा सहेजने में लगे हुए हैं। भाजपा ने अपने विधायकों को गुड़गांव में शिफ्ट कर दिया है। कांग्रेस के विधायक जयपुर पहुंचे हैं, तो सिंधिया समर्थक विधायक बेंगलुरु में डटे हैं। यह भी चर्चा है कि कांग्रेस ने भाजपा के 8-10 विधायकों में सेंधमारी की है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि सदन में फ्लोर टेस्ट पास करके सरकार पूरे पांच साल चलेगी।
भाजपा करेगी मत विभाजन की मांग
मौजूदा सियासी घटनाक्रम के बीच, बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान विपक्ष (भाजपा) मत विभाजन की मांग जरूर करेगा। ऐसा हुआ, तो पक्ष-विपक्ष में डाले गए मतों से ही सरकार का भविष्य तय होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों के इस्तीफों को विधानसभा अध्यक्ष तभी स्वीकार करेंगे, जब उन्हें इस बात का भरोसा हो जाएगा कि वे इस्तीफे बिना किसी दबाव के दिए गए हैं। इससे पहले अध्यक्ष इस्तीफा देने वाले एक-एक विधायक से दो दौर की चर्चा करेंगे। अंतिम दौर की पूरी बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। इसके बाद अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार करने या न करने पर फैसला करेंगे। माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया में कर्नाटक की तरह काफी समय लग सकता है। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है।
विधानसभा में पेश होगा बजट
विधानसभा की कार्यवाही के बिंदुओं के अनुसार, सदन में बजट पेश होने के बाद उस पर चर्चा होगी। बजट पारित होने से पहले विपक्ष इस पर मत विभाजन की मांग कर सकता है। इस पर नियमानुसार विधानसभा अध्यक्ष को मत विभाजन कराना होता है। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान ये देखने को मिला था, जब राज्य के कानून से संबंधित एक बिल पर सत्ता पक्ष के ही एक सदस्य ने मत विभाजन की मांग कर दी और अध्यक्ष ने इसे मान भी लिया था। इस दौरान व्हिप जारी नहीं होने से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने सरकार के समर्थन में वोटिंग कर दी थी। संभावना यह भी जताई जा रही है कि प्रदेश में जारी घटनाक्रम को देखते हुए राज्यपाल सरकार से 16 मार्च से पहले ही सत्र बुलाने और बहुमत साबित करने कह सकते हैं। लेकिन, यह तभी संभव होगा जब विपक्ष राज्यपाल के सामने सरकार के अल्पमत में होने का दावा पेश करे।
सज्जन बोले, सिंधिया के एक्शन से समर्थक नाराज
मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा बेंगलुरु से लौटकर भोपाल पहुंचे। उन्होंने कहा कि वहां मौजूद विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक्शन से नाराज हैं। सभी की घर वापसी शीघ्र होगी। अभी मैं मुख्यमंत्री के निर्देश पर विधायकों को लेकर जयपुर जा रहा हूं। 2 दिन बाद वहां से लौटकर बात करूंगा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कुछ वरिष्ठ विधायक भोपाल में ही रहकर हालात पर नजर रखेंगे।