भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में रविवार को प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा उठा. इस मुद्दे को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों ही दलों के सदस्यों ने पूरक प्रश्न कर अपनी बात कही. इस पर विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कहा कि प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के तो प्रमोशन हो रहे हैं, बाकि के क्यों नहीं.
अध्यक्ष ने कहा कि कहीं ऐसा न हो कि मुझे ही यह आदेश देना पड़े कि इनके प्रमोशन क्यों हो रहे हैं, यह भी बंद करो. उन्होंने इस मामले को लेकर समिति बनाकर विधानसभा में ही इस समस्या का समाधान करने की बात कही. अध्यक्ष ने पक्ष और विपक्ष दोनों ही सदस्यों को इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा करने को कहा.
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक डा. सीताशरण शर्मा ने प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा उठाया, जिसके जवाब में प्रदेश सरकार ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सरकार पूरे मामले में गंभीरता से कोर्ट में जवाब दे रही है.
विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने सख्ती बरतते हुए कहा कि प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के प्रमोशन हो रहे हैं
प्रमोशन में आरक्षण के इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने सख्ती बरतते हुए कहा कि प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के प्रमोशन हो रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि समिति बनाकर विधानसभा में ही समस्या का समाधान हो.
उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा ना हो कि किसी दिन मुझे निर्देश देने पड़े कि अब इनके भी प्रमोशन बंद हों, इसीलिए मामला जल्द सुलझाया जाए. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विभाग के मंत्री और सत्ता पक्ष- विपक्ष के 4-4 विधायक की समिति बैठकर प्रमोशन में आरक्षण के मामले का हल निकालेगी. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रमोशन न होने से परिवार में मानसिक पीड़ा बढ़ती है. इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रमोशन का रास्ता जल्द खुलेगा.
भाजपा विधायक सीताशरण शर्मा ने विधानसभा में आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि प्रथम श्रेणी अधिकारियों के कैसे हो रहे हैं प्रमोशन, साथ ही कहा कि कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ स्टे दिया था फिर भी सामान्य वर्ग के प्रमोशन क्यों रोके गए. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा ने भी इस मामले में सीताशरण का समर्थन किया. मामले पर सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने भी चिंता जताई. उन्होंने इस मामले पर जल्द ही विधि विशेषज्ञों से सलाह लेने की बात कही. कंडीशनल प्रमोशन का भी रास्ता बताया.
विभागों तक पहुंचाई जाए शून्यकाल के मुद्दों की जानकारी
विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने सदन में कहा कि शून्यकाल के दौरान सदस्यों की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों की जानकारी संबंधित विभागों तक पहुंचाई जाए. प्रजापति ने यह निर्देश अपने अधिकारियों को देते हुए कहा कि इनका उत्तर मिलना भी सुनिश्चित किया जाए. शून्यकाल में भाजपा के रामेश्वर शर्मा द्वारा शहर में रेत के भंडारण संबंधी मामला उठाने पर अध्यक्ष ने कहा कि रेत के शहर में भंडारण की व्यवस्था बंद की जाए. उन्होंने कहा कि भोपाल में रात में ट्रक खड़े होने की व्यवस्था भी बंद की जाए. अध्यक्ष ने कहा कि भोपाल से सटे मिसरोद क्षेत्र की आसपास की बहुत सी कालोनियों के रहवासी इस समस्या से परेशान हैं. वहां पर रेत के डंपरों से अवैध भंडारण किया जाता है. रेत माफिया ट्रकों से जाम लगा देते हैं. मंत्री आरिफ अकील ने इस मामले में अध्यक्ष से व्यवस्था देने का अनुरोध किया था.
मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार रविवार को चला सदन
मध्यप्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब विधानसभा की कार्रवाई रविवार को भी चली. विधानसभा की कार्यवाही शनिवार को देर रात लगभग पौने ग्यारह बजे स्थगित होने के बाद आज रविवार सुबह 11 बजे फिर शुरू हो गई. प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब विधानसभा की कार्यवाही रविवार को भी चली है. रविवार को सुबह प्रश्नकाल शुरू हुआ. इसके पहले शनिवार को भी सदन की बैठक सुबह 11 बजे प्रारंभ हुई, जो बगैर भोजनावकाश के रात्रि लगभग 10.45 बजे तक चली. शनिवार को दिन में लगभग बारह घंटे तक लगातार बैठक के दौरान प्रश्नकाल, शून्यकाल, ध्यानाकर्षण और अन्य सरकारी कामकाज निपटाए गए.
पबजी गेम पर लगाएं प्रतिबंध
राज्य विधानसभा में आज रविवार को पबजी गेम बंद करने की मांग की शून्यकाल के दौरान भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन ने युवाओं और बच्चों में पबजी की लत लगने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे आत्महत्या की ओर रुझान बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में इस गेम पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए. वहीं भाजपा विधायक दिलीप परिहार ने कहा कि वकील सभी प्रकार के मामले लड़ते हैं. ऐसे में या तो एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए या उन्हें शस्त्र लाइसेंस दिया जाए. विधायक हरदीप सिंह डंग ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र सुवासरा में मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर 5 दिन पहले एक व्यक्ति की हत्या के मामले में जांच कराई जाए.