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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मध्यप्रदेश इकाई ने जारी किया है एक आदेश
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नसबंदी की असंतोषजनक प्रगति को लेकर जारी किया गया है यह आदेश
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक आदेश से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है. यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने नसबंदी को लेकर एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. सरकारी आदेश से स्वास्थ्यकर्मियों के अंदर एक डर समा गया है. एनएचएम ने एमपी के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आदेश दिया है कि कम से कम एक सदस्य की नसबंदी कराओ वरना उनको VRS दे दिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक यह आदेश नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर जारी किया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पुरूष नसबंदी के लक्ष्य पूरा ना करने पर वेतन में कटौती और अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही आदेश में टारगेट पूरा ना करने पर नो पे, नो वर्क के आधार वेतन ना देने की बात कही गई है. बता दें कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए पांच से दस पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है.
वही शुक्रवार की दोपहर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने विवादित आदेश को वापस ले लिया है. मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हम सर्कुलर को वापस ले रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सहलावत ने कहा कि राज्य सरकार ने आदेश वापस ले लिया है. हम किसी को बाध्य नहीं करेंगे और हम आदेश का अध्ययन करेंगे.
MP में NHM ने जारी किया था आदेश
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने विवादित आदेश को वापस ले लिया है. मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हम सर्कुलर को वापस ले रहे हैं. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सहलावत ने कहा कि राज्य सरकार ने आदेश वापस ले लिया है. हम किसी को बाध्य नहीं करेंगे और हम आदेश का अध्ययन करेंगे.
दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण पर कमलनाथ सरकार ने अजीबो-गरीब फरमान जारी किया था. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वो कम से कम एक व्यक्ति की नसबंदी कराएं और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनको जबरदस्ती वीआरएस दे दिया जाएगा और उनके वेतन में भी कटौती की जाएगी.
Madhya Pradesh Health Minister Tulsi Silawat: The State government has withdrawn the order https://t.co/wWzHOmULhw
— ANI (@ANI) February 21, 2020
इन लोगों को भेजा गया है यह आदेश
साल 2019-20 में पुरुष नसबंदी की असंतोषजनक प्रगति को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश की मिशन संचालक छवि भारद्वाज द्वारा जारी यह आदेश राज्य के सभी संभागीय आयुक्तों, जिला अधिकारियों, सीएमओ और अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजा गया है. आदेश में पुरुष नसबंदी की गंभीरता से समीक्षा करने की अपील भी की गई है.
मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (Male Multi Purpose Health Workers) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है। #MP_मांगे_जवाब pic.twitter.com/Fl7Q8UM9dX
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 21, 2020
@ChouhanShivraj @narendramodi @UNICEFIndia @MoHFW_INDIA
Staff at NATIONAL RURAL HEALTH MISSION MP are not being paid as per govt rules . We have served more than 10 yrs on hope of being regularlised so that someday we will get pay as per our work , not as a samvida worker.— Anand kumar jain (@AKJainofficial) August 12, 2018
वीआरएस को लेकर कही गई है यह बात
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है कि 20 फरवरी 2020 तक अपने काम में सुधार न कर पाने वाले एमपीडब्ल्यू के वीआरएस प्रस्ताव जिला कलेक्टर के जरिए एनएचएम के मिशन संचालक के पास प्रेषित किए जाएं ताकि उन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया जा सके.