श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर को लेकर तेजी से घटते घटनाक्रम को लेकर देश भर में अटकलें लगाई जा रही हैं। राज्य में जारी अमरनाथ यात्रा के लिए पहले 40,000 सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद 10,000 सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती और फिर उसके बाद और 25 हजार सुरक्षा बल घाटी में भेजे जाने और सेना और वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था ही कि शुक्रवार को सरकार के अचानक से अमरनाथ यात्रा को रद्द करते हुए सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को घाटी खाली करने का फरमान जारी करने से स्थिति चिंताजनक हो गई है।
लेकिन इन कयासों के बीच जो सबसे अहम और चिंताजनक खबर हवा में तैर रही है वह ये है कि केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर को तीन भागों में बांटने जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खबर है कि केंद्र सरकार चुनाव से पहले परिसीमन या राज्य के विभाजन के बारे में कोई घोषणा कर सकती है। सूत्रों के अनुसार सरकार जम्मू और कश्मीर का तीन भाग में विभाजन कर सकती है। इसके तहत जम्मू को पूर्ण राज्य का दर्जा, लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश और कश्मीर को एक अलग राज्य घोषित किया जा सकता है।
घाटी में छाए असमंजस के कुहासे के बीच एक और खबर हवा में ये तैर रही है कि मोदी सरकार राज्य को तीन भाग में विभाजित कर सकती है, जिसमें जम्मू को पूर्ण राज्य का दर्जा और लद्दाख और कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जा सकते हैं। हालांकि इन खबरों की कहीं से पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सरकार के ताजा कदम से हवा में इसी तरह की कई और अटकलें तैर रही हैं।
इसके अलावा इस तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि सरकार संविधान के विवादित अनुच्छेद 35ए को हटाने जा रही है। यही अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नागरिकों को परिभाषित करता है, जो उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष दर्जा देता है। कहा जा रहा है कि सरकार अनुच्छेद 35ए को हटाने के बाद की स्थिति से निपटने के लिए घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा के कदम उठा रही है।
इसे पूरे मामले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से अब तक स्थिति साफ नहीं की गई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि एक के बाद एक हो रही घटनाएं महज संयोग वाली हैं या इन सबके पीछे किसी खास तरह की योजना है? केंद्र सरकार ने इन सबको लेकर रहस्यमय चुप्पी साध रखी है जबकि स्थानीय स्तर पर अधिकारी गोलमोल जवाब देकर भ्रम को और बढ़ा रहे हैं और कई अटकलों को जन्म दे रहे हैं।