दिल्ली हिंसा: मीनाक्षी लेखी ने जजों को घेरा, बोलीं- धरना कब हिंसात्मक होगा ये कौन तय करेगा

मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली हिंसा के लिए CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दिसंबर से यह लोग सड़क घेरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा में बहुसंख्यकों की संपत्ति और घरों को भारी नुकसान पहुंचाया है जबकि अल्पसंख्यकों की घर-दुकान हिंसा में सुरक्षित रहे.

  • ‘कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एक्शन से रोका’
  • लेखी ने दिल्ली हिंसा को बताया साजिश
  • अन्य सांसदों ने भी कोर्ट पर उठाए सवाल

दिल्ली हिंसा पर लोकसभा में बयान देते हुए बीजेपी सांसद मीनाक्षा लेखी ने जजों को भी घेर लिया. उन्होंने कुछ जजों पर बगैर नाम लिए नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि शाहीन बाग को हटाने के लिए कोर्ट ने भी कड़े कदम नहीं उठाए. लेखी ने कहा दिल्ली हाई कोर्ट के जज एस मुरलीधर को ट्रांसफर को नियमित प्रक्रिया बताते हुए कहा कि उसे किसी अन्य संदर्भ में लेना गलत है.

मीनाक्षा लेखी ने कहा, ‘कुछ जजों का मानना है कि जब तक धरना हिंसात्मक ना हो, तब तक पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी. अब धरना कब हिंसात्मक होगा यह बैठकर कौन तय करेगा.’ उन्होंने कहा कि बगैर सिफारिश के किसी भी जज का ट्रांसफर नहीं किया जाता और उनका (मुरलीधर) तो ट्रांसफर पहले ही हो चुका था. लेखी ने विपक्षी सांसदों पर निशाना साधते हुए कहा कि आईबी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए ताकि सबको समझ आ जाए कि किसी का ट्रांसफर क्यों हुआ है.

‘सिर्फ बहुसंख्यकों का हुआ नुकसान’

मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली हिंसा के लिए CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दिसंबर से यह लोग सड़क घेरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा में अल्पसंख्यकों की संपत्ति और घरों को भारी नुकसान पहुंचाया है जबकि अल्पसंख्यकों की घर-दुकान हिंसा में सुरक्षित रहे.

लेखी ही नहीं बेतिया से बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने भी दिल्ली हिंसा का ठीकरा न्यायपालिका के मत्थे जड़ दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते तनाव के लिए कोर्ट जिम्मेदार है जिसकी वजह से बाद में हिंसा हुई. जायसवाल ने कहा कि दिल्ली हिंसा के लिए देश की न्यायपालिका भी दोषी है, क्योंकि जब हम जनप्रतिनिधि होने के बावजूद रेल या सड़क जाम करते हैं तो हमें भी कोर्ट से सजा मिलती है. लेकिन कोर्ट की ओर से दी गई अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब रेल और सड़क जाम करना नहीं है.

सत्तापक्ष के और भी सांसदों ने जज मुरलीधर के ट्रांसफर पर केंद्र सरकार का बचाव किया. सांसदों की दलील थी कि जज का ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर किया गया है और सरकार सबसे बड़ी अदालत की सिफारिश मानने को बाध्य है.

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