Manmohan Singh Birthday: मशहूर शायर नवाज़ देवबन्दी का शेर, ‘ऐसी-वैसी बातों से तो खामोशी ही अच्छी है, या फिर ऐसी बात करो जो खामोशी से अच्छी हो’, जब-जब इस शेर को सुनते या पढ़ते हैं तो एक शख़्स का चेहरा ज़हन में उभर आता है. यह वही शख़्स है जो राजनीति में रहते हुए भी राजनीति के दांव-पेंच से अलग एक साफ-सुथरी छवी रखता है. एक ऐसा व्यक्तित्व जो जितना कांग्रेस में लोकप्रिय और सम्मानित है उतना ही अन्य राजनीतिक दलों में भी, उस शख़्स का नाम मनमोहन सिंह है.
भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन हैं. आज ही के दिन 1932 में वह अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में पैदा हुए थे. मनमोहन सिंह की जहां एक तरफ प्रोफेसर, अर्थशास्त्री और राजनेता के रूप में ख्याति है तो वहीं दूसरी तरफ मनमोहन सिंह की पहचान एक साधारण और सरल व्यक्तित्व के रूप में भी है.
नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता ही उनकी पहचान रही है. 12 साल तक वह गांव में रहे और कहा जाता है कि वहीं केरोसिन लेंप में वह पढ़ाई किया करते रहे. मनमोहन सिंह की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से 10वीं पास की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन के कैब्रिज विश्वविद्यालय चले गए. 1957 में अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल किया.
जो उच्च शिक्षा मनमोहन सिंह ने हासिल की उसे उन्होंने खुद तक सीमित नहीं रखा. उन्होंने भारत लौटने पर शिक्षक के तौर पर कई सालों तक पढ़ाने काम किया. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बतौर शिक्षक पढ़ाया. फिर उन्होंने यूएनसीटीएडी जो व्यापार, निवेश, और विकास के मुद्दों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हिस्सा है, उसमें काम किया. इसी दौरान उन्हें 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्ति किया गया.
इसके बाद साल 1971 में उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहाकार के रूप में काम किया. इसके बाद वित्त मंत्रालय में भीआर्थिक सलाहाकार रहे. मनमोहन सिंह ने अपने जीवन में वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, RBI के अध्यक्ष, पीएम के सलाहकार के तौर पर काम किया.
आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन
मनमोहन सिंह ने 1991 से 1996 तक आर्थिक सुधार में निर्णायक भूमिका निभाई. पी.वी. नरसिम्हाराव सरकार में जब उन्होंने बतौर वित्त मंत्री अपना बजट पेश किया तो देश को एक नई आर्थिक दिशा मिली. इससे पहले भी बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने कई ऐसे नियम बदले जिसने अर्थव्यस्था की रफ्तार को रोक रखा था. 1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे. देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत इन्होंने ही की थी. इसके बाद पीएम रहते हुए मनरेगा की शुरुआत भी एक बड़ा फैसला रहा, मनरेगा के कारण कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया.
परमाणु समझौता
18 जुलाई 2006 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ. इसमें भी मनमोहन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस समय के भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. ये मनमोहन सिंह की बड़ी सफलता मानी जाती है.
देश के चौदहवें प्रधानमंत्री बने
मनमोहन सिंह 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे. डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि मनमोहन सिंह कभी भी लोकसभा चुनाव नहीं जीते.
फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं मनमोहन सिंह
इस वक्त पूर्व प्रदानमंत्री मनमोहन सिंह राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं.वह पहली बार साल 1991 में असम से राज्यसभा सांसद बने थे. इसके बाद साल 1995, 2001, 2007 और 2013 में भी राज्यसभा सदस्य रहे. इसके अलावा 1998 से साल 2004 तक वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे.
साल 2012 में जब एक बार सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उनसे पूछा गया कि विपक्ष उनके कम बोलने को लेकर उनपर निशाना साधती है. इस पर उन्होंने शायराना तरीके से जवाब दिया था. उन्होंने कहा, ”हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी’. यह महज़ शेर नहीं मनमोहन सिंह के पूरे व्यक्तित्व का सार है.