चांद के और करीब पहुंचा Chandrayaan-2, अंतिम कक्षा में हुआ दाखिल
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का Chandrayaan-2 चांद के और करीब पहुंच गया है. Chandrayaan-2 अब चांद की अंतिम और पांचवीं कक्षा में पहुंच गया है.
- ऑनबोर्ड प्रोपलशन सिस्टम का इस्तेमाल कर Chandrayaan-2 पांचवीं कक्षा में दाखिल हो गया
- 7 सितंबर को विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा
- विक्रम लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का Chandrayaan-2 चांद के और करीब पहुंच गया है. Chandrayaan-2 अब चांद की अंतिम और पांचवीं कक्षा में पहुंच गया है.
Here’s a quick snapshot of all the support that is pouring in for #Chandrayaan2 as it nears its destination! We thank each and every one of you for the faith you have shown in us and for inspiring us to reach ever-higher, always! #ISRO pic.twitter.com/4yPW84flkk
— ISRO (@isro) August 30, 2019
रविवार यानी आज 1 सितंबर 2019 को भारतीय मानक समय शाम 06:21 बजे Chandrayaan-2 सफलता पूर्वक चांद की पांचवीं कक्षा में दाखिल हो गया. एडवांस ऑनबोर्ड प्रोपलशन सिस्टम का इस्तेमाल कर Chandrayaan-2 पांचवीं कक्षा में दाखिल हो गया.
#ISRO
The final and fifth Lunar bound orbit maneuver for Chandrayaan-2 spacecraft was performed successfully today (September 01, 2019) at 1821 hrs IST.For details please visit https://t.co/0gic3srJx3 pic.twitter.com/0Mlk4tbB3G
— ISRO (@isro) September 1, 2019
Chandrayaan-2 को कक्षा बदलने में 52 सेकेंड का वक्त लगा. स्पेसक्राफ्ट के सभी पैरामीटर्स नॉर्मल हैं. अब अगले ऑपरेशन में विक्रम लैंडर Chandrayaan-2 ऑरबिटर से अलग होगा. यह ऑपरेशन 2 सितंबर दोपहर 12:45 से 01:45 बजे(भारतीय समय अनुसार) के बीच पूरा होगा. वहीं 3 सितंबर को पहला डीऑर्बिट और 4 सितंबर को दूसरा डीऑर्बिट होगा पूरा होगा. इसका मतलब है कि 4 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के सबसे करीब होगा.
7 सितंबर को सबसे बड़ी चुनौती
विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा. यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा. विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे.