MP: कमलनाथ सरकार को तगड़ा झटका, SC ने कल शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी और कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा.
- शिवराज सिंह चौहान ने SC के फैसले को बताया न्याय की जीत
- 22 विधायकों की बगावत से गहराया कमलनाथ सरकार पर संकट
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है. यह फ्लोर टेस्ट मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार शाम 5 बजे तक कराया जाएगा. इस फैसले को कमलनाथ सरकार के लिए झटका माना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि इस फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी. साथ ही कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों पर बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी. आपको बता दें कि कांग्रेस के 22 विधायकों के बागी होने के बाद से कमलनाथ सरकार पर संकट मंडरा रहा है.
गुरुवार को शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विधानसभा की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया जाएगा. विधानसभा सत्र का एक मात्र एजेंडा फ्लोर टेस्ट करवाना होगा. सभी अधिकारी ये सुनिश्चित करें कि किसी भी तरह आदेश का उल्लंघन न हो.
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको न्याय की जीत करार दिया है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा. उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार को जनता की आहें लग गई हैं. बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी और जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी.
उधर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर हमारे पास बहुमत होगा, तो हम जरूर पास होंगे. इसके लिए कोशिश की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया था कि हमारी सरकार के पास बहुमत है, लेकिन हम फ्लोर टेस्ट में क्यों जाएं? बीजेपी को लगाता है कि हमारी सरकार के पास बहुमत नहीं है, तो शिवराज सिंह चौहान अविश्वास प्रस्ताव लाएं, फिर हम सदन के अंदर बहुमत साबित करके दिखाएंगे. कमलनाथ ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश होगा उसे हम स्वीकार करेंगे.
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी संग्राम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है. यह फ्लोर टेस्ट मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार शाम 5 बजे तक कराया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विधानसभा सत्र का एक मात्र एजेंडा फ्लोर टेस्ट करवाना होगा और फ्लोर टेस्ट का लाइव प्रसारण भी किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक ओर जहां बीजेपी नेताओं के बीच खुशी साफ दिखाई दे रही है, वहीं कांग्रेस खेमे में चिंता की लकीरें भी नजर आने लगी हैं.
कांग्रेस की चिंता का सबसे बड़ा कारण उसके बागी विधायक ही हैं. दरअसल, बागी विधायकों की संख्या 1 या दो नहीं बल्कि 22 है जिसमें से 6 के इस्तीफे मंजूर हो चुके हैं, जबकि बाकी 16 अभी भी बेंगलुरू में ही हैं.
इसके अलावा कांग्रेस की मुश्किल यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ है कहा है कि बेंगलुरू में ठहरे बागी विधायक अगर आना चाहें तो उन्हें कर्नाटक और एमपी की पुलिस सुरक्षा दे, और नहीं आना चाहें तो उन पर सदन में मौजूद रहने का कोई दबाव नहीं है.
सीटों की गणित में पहले ही पिछड़ चुकी है कांग्रेस
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं. इसमें दो सीटें फिलहाल रिक्त हैं. इसके अलावा 22 कांग्रेस विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप रखा है. इसमें से 6 लोगों का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया था और बाकी 16 विधायकों की विधानसभा में आने की बाध्यता सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी है.
इस तरह फिलहाल विधानसभा में कुल मौजूदा विधायकों की संख्या सिमटकर हो जाती है 206, जिसके बाद किसी दल को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 104 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. यही नंबर कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बन रहा है.
फ्लोर टेस्ट पास करने से चूक सकती है कमलनाथ सरकार
दरअसल, कांग्रेस के पास फिलहाल 92 विधायक हैं. इसके अलावा उसे दो बीएसपी, एक सपा और 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है. इस तरह मौजूदा हालात में कमलनाथ सरकार के पास सिर्फ और सिर्फ 99 विधायकों का समर्थन ही है. ऐसे में साफ है कि विश्वासमत से उनकी सरकार के पास 5 विधायक कम हैं. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 107 विधायक हैं.
अब अगर मान लें कि बागी कांग्रेस विधायकों का रवैया वही रहता है और रातोंरात बीजेपी में कोई बड़ी फूट नहीं होती है तो कल सदन में कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट पास करने से चूक सकती है. यानी अगर इन्हीं हालातों में कल फ्लोर टेस्ट होता है तो एमपी में कमलनाथ सरकार गिर सकती है.
ऐसे ही बच सकती है एमपी में कांग्रेस की सत्ता
अब अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश जैसे बड़े हिंदी भाषी राज्य में अपनी सत्ता बचाए रखना चाहती है तो उसे हॉर्स ट्रेडिंग पर उतरना पड़ेगा. उसे भी वही काम करना पड़ेगा जिसका आरोप वह बीजेपी पर लगाती आ रही है. कांग्रेस को बीजेपी विधायकों को तोड़ना होगा.
अगर फ्लोर टेस्ट के दौरान बीजेपी के कुछ विधायक मौजूद नहीं रहते हैं तो ही कमलनाथ का ताज बचा रह सकता है. लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस को बीजेपी के कई विधायक फोड़ने होंगे ताकि संख्याबल बराबरी पर आ सके.
अधीर रंजन चौधरी ने बोला मोदी सरकार पर हमला
मध्य प्रदेश के फ्लोर टेस्ट पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि बीजेपी कांग्रेस की सरकार को तोड़ना चाहती है. मोदी सरकार और बीजेपी को यह हजम नहीं हुआ. इसलिए सरकार को गिराने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. इसका नतीजा जो होगा हमारी सरकार रहे या नहीं रहे. लेकिन ये बात साबित हो गई कि चुनाव जीतने के बजाए ताकत और पैसे के बल पर हमारी सरकार गिराकर अपनी सरकार बनाना चाहते हैं. मोदी सरकार की नैतिकता का सबसे बड़ा उदाहरण है कि किस तरह की नैतिकता की बात करते हैं. सरकार बनाने के लिए पैसे और ताकत के सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.