सुखदेव सिंह ढींडसा ने अपने नए दल का नाम शिरोमणि अकाली दल रख कर पंजाब की सियासत में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। राजनीतिक विश्लेषक इसकाे लेकर अपने तरीके से तर्क कर रहे हैं, लेकिन इसका राज भी सामने आ गया है। बताया जाता है कि दरअसल ढींडसा शिरोमणि अकाली दल पर दावा करना चाहते हैं और इसी कारण उन्होंने यह कदम उठाया है। दूसरी ओर, शिअद ने उनको इसको लेकर चेताया है। शिअद प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ढींडसा गैरकानूनी काम कर रहे हैं।
बता देंगे सुखदेव सिंह ढींडसा ने मंगलवार को लुधियाना मेें नया बनाने की घोषणा की थी और इसका नाम शिरोमणि अकाली दल रखा। बताया जाता है वह असली शिअद होने की बात कह कर इस नाम पर दावा करना चाहते हैं। बताया गया है कि वह चुनाव के समय इस नाम को लेने के लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। दो संविधान बनाने को लेकर शिअद पहले ही चुनाव आयोग और अदालत में लड़ाई लड़ रहा है।
शिरोमणि अकाली दल ने जो संविधान चुनाव आयोग को दिया है उसमें कहा गया है कि शिरोमणि अकाली दल धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, जबकि जो संविधान गुरुद्वारा चुनाव आयोग को दिया है उसमें है कि अकाली दल सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी है। सोशलिस्ट पार्टी के प्रधान बलवंत सिंह खेड़ा ने अकाली दल के दो संविधान को लेकर अदालत में और चुनाव आयोग के पास चुनौती दी हुई है। चुनाव चिन्ह का विवाद खड़ा करके ढींडसा पक्के पंथक वोट को तोडऩे की कोशिश कर सकते हैं।
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल (ब) में बगावत करने वाले वरिष्ठ अकाली नेताओं द्वारा मंगलवार को राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा के नेतृत्व में नए शिरोमणि अकाली दल का गठन किया। पिछले साल टकसाली अकाली दल में शामिल हुए वरिष्ठ नेता सेवा सिंह सेखवां, बीर दविंदर सिंह और बब्बी बादल भी ढींडसा की बैठक में पहुंचे। इस पर टकसाली अकाली दल के प्रधान रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने कहा कि इन लोगों ने पीठ में छुरा घोंपा है। वहीं ढींडसा का कहना है कि वह जल्द ही रंजीत सिंह ब्रह्मïपुरा से मुलाकात करेंगे और उन्हें साथ लेकर चलने की कोशिश करेंगे।
लुधियाना के मॉडल टाऊन स्थित गुरुद्वारा शहीदां में हुई बैठक में पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां और बीबी परमजीत कौर ने सुखदेव सिंह ढींडसा को प्रधान बनाने का प्रस्ताव रखा। सभी नेताओं की सहमति से उन्हें प्रधान चुन लिया गया। नई पार्टी का नाम शिरोमणि अकाली दल (शिअद) रखा गया। ढींडसा ने कहा कि अगर पार्टी रजिस्टर्ड करवाने में दिक्कत हुई तो नाम शिअद डेमोक्रेटिक रखा जाएगा। पार्टी का एजेंडा तय करने के लिए अगली बैठक अमृतसर में की जाएगी। बैठक में पूर्व कैबिनेट मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, सेवा सिंह सेखवां, मनजीत सिंह जीके, बलवंत सिंह रामूवालिया, बीर दविंदर सिंह, बब्बी बादल, बीबी परमजीत कौर, रजिंदर सिंह संधू, पूर्व विधायक उजागर सिंह वडाली विशेष तौर पर मौजूद रहे।
ढींडसा ने कहा- बादलों से मुक्त करवाएंगे एसजीपीसी, ब्रह्मपुरा को साथ लेकर चलेंगे
ढींडसा ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एसजीपीसी) पर सुखबीर सिंह बादल का कब्जा है। एसजीपीसी को बादल से मुक्त करवाया जाएगा। बादलों ने अकाली दल के सिद्धातों को बुरी तरह से तोड़ दिया है। उनकी पार्टी अकाली दल के सिद्धांतों पर काम करेगी। वह पार्टी की अलगी बैठक से पहले रंजीत सिंह ब्रह्मïपुरा से मुलाकात करेंगे। उनकी कोशिश रहेगी कि वह उन्हें साथ लेकर चलें। वहीं, मनजीत सिंह जीके ने कहा कि पार्टी द्वारा डीएसजीएमसी का चुनाव भी लड़ा जाएगा।
मेरी पीठ में छुरा घोंपा : ब्रह्मपुरा
अकाली दल (टकसाली) के प्रधान रंजीत सिंह ब्रह्मïपुरा ने कहा कि बीर दविंदर सिंह, सेवा सिंह सेखवां और बब्बी बादल ने ढींढसा की बैठक में शामिल होकर पीठ में छुरा घोंपा है। तीनों ने ढींडसा की बैठक में जाने की न पार्टी से अनुमति मांगी और न ही जानकारी दी। ब्रह्मपुरा ने कहा कि उन्होंने तो सुखदेव सिंह ढींडसा को नई पार्टी बनाने की बजाय अकाली दल (टकसाली) का प्रधान बनने की पेशकश की थी। परंतु ढींडसा ने नई पार्टी का गठन कर लिया।
शिअद का नाम इस्तेमाल कर गैरकानूनी काम कर रहे ढींडसा : चीमा
दूसरी ओर ढींडसा द्वारा अपनी पार्टी का नाम शिरोमणि अकाली दल रखने को शिअद ने इसे गैरकानूनी बताया है। शिअद के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कोई भी मोहल्ला स्तर पर मीङ्क्षटग आयोजित कर सौ साल पुरानी पार्टी को बदलने का दावा नहीं कर सकता।
चीमा ने कहा कि ढींडसा अपनी पार्टी का गठन कर सकते हैं, लेकिन वह शिरोमणि अकाली दल के नाम का प्रयोग नहीं कर सकते। यह सरासर धोखाधड़ी है। यह ढींडसा जैसे कद वाले व्यक्ति को शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि ढींडसा ने आज कांग्रेस पार्टी के कहने पर कुछ लोगों को इकट्ठा किया। बलवंत सिंह रामूवालिया और मंजीत सिंह जीके जैसे कुछ अन्य ने भी समारोह में भाग लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि उनकी अपनी राजनीतिक जत्थेबंदी में शामिल होने के लिए अपनी राजनीतिक पार्टी को वे भंग नहीं कर रहे हैैं।
चीमा ने कहा कि ढींडसा ने अकाली दल (टकसाली) के अध्यक्ष रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा के साथ भी गलत किया था। उनके अस्पताल से बाहर आने का इंतजार तक नहीं किया। अगर ढींडसा किसी राजनीतिक दल का अध्यक्ष बनना चाहते थे तो अकाली दल (टकसाली) का अध्यक्ष बनने से क्यों इंकार कर दिया था। जाहिर तौर पर कांग्रेस पार्टी ने ही ढींडसा का मार्गदर्शन किया और उन्हें सलाह दी कि वह अकाली दल (टकसाली) में न शामिल हों। ऐसा करने से ङ्क्षहदू समुदाय से भी दूर हो जाएंगे। चीमा ने कहा कि हम टकसाली नेताओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने अकाली दल में बहुत बड़ा योगदान दिया है। ढींडसा को कांग्रेस पार्टी के कहने पर टकसाली नाम इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।