Lockdown से देश का मजदूर हुआ मजबूर, लाखों को करनी पड़ रही कई सौ किलोमीटर की यात्रा
कोरोना वायरस को लेकर देशभऱ में लागू लॉकडाउन अब मजदूरों के लिए मुसीबत बन गया है. रोजगार के संकट के चलते हजारों-लाखों मजदूर अपने राज्य की ओर पैदल लौटने को मजबूर हो गए हैं.प्रवासी मजदूरों और छात्रों को भोजन-आवास सुनिश्चित करें, MHA ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखी चिट्ठी
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए देशभर में लॉकडाउन है. लेकिन इस लॉकडाउन ने मजदूरों की परेशानी को पढ़ा दिया है. लॉकडाउन की वजह से रोगजार का संकट गहराने लगा है और काम न मिलने की वजह से खाने-पीने की समस्या भी गहराने लगी है. ऐसे में अब मजदूर अपने राज्यों की तरफ लौट रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से यातायात की सुविधा नहीं मिल पा रही है इसलिए कई मजदूर को पैदल ही अपने गांव की ओर निकल चुके हैं ताकि इस संकट की घड़ी में वे अपने परिवार के साथ रह पाएं.
देश के अलग-अलग कोने से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं. प्रवासी मजदूर मुंबई, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों से अब अपने राज्यों की तरफ पैदल ही निकल चुके हैं. ट्रेन और बसें नहीं चल रही है. दिल्ली से कुछ मजदूर रिक्शा से ही अपने गांव की ओर लौटने का फैसला कर चुके हैं. कई प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन के बाद कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है. इसलिए उनके पास अपने घर वापस लौटने के सिवाय कोई विकल्प मौजूद नहीं है.
यूपी से तस्वीर सामने आई जिसमें बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर की ओर लौटते दिख रहे हैं. इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकारें एक्शन में आई हैं. अपने-अपने यहां के स्थानीय प्रशासन को राज्य सरकारों ने निर्देश दिया है कि वे इन मजदूरों तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करें.
इस बीच गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि कामगारों, मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों के लिए खाने-पीने और रहने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, तत्काल कदम उठाए जाएं. अनावश्यक पलायन को भी रोकने को कहा गया है.
वहीं राज्य सरकारें भी एक दूसरे के संपर्क मे हैं. बिहार से कई मजदूर बाहर के राज्यों में रोजी-रोजगार के लिए आते हैं. बिहार सरकार ने दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है और इस समस्या से अवगत कराते हुए हससंभव मदद की अपील की है.
कोरोना वायरस को लेकर देशभर में लॉकडाउन है. इस दौरान प्रवासी मजदूरों के पलायन की खबरें सामने आई है. अपने राज्य से दूर रहने वाले इन मजदूरों के सामने लॉकडाउन के एलान के बाद रोजगार न मिलने का संकट आ खड़ा हुआ है. कुछ पैदल ही अपने राज्यों की ओर निकल चुके हैं तो कुछ को अभी भी मदद के इंतजार में हैं. इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन हमारे गरीब और कमजोर लोगों को बर्बाद कर देगा. ऐसे में इस संकट से निपटने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है. अभी भी बहुत देर नहीं हुई है.
राहुल गांधी ने कहा, ‘’लॉकडाउन हमारे गरीब और कमजोर लोगों को तबाह कर देगी. यह भारत के लिए एक बहुत बड़ा झटका होगा जिसे हम प्यार करते हैं. हमारे फैसले बहुत ही ध्यान से सोच विचार कर लिए जाने चाहिए. इस संकट से निपटने के लिए एक अधिक सूक्ष्म और दयालु दृष्टिकोण की जरूरत है. अभी बहुत देर नहीं हुई है.’’
The lockdown will devastate our poor & weak. It will deliver a heavy blow to the India we love. India isn’t black & white. Our decisions have to be carefully thought through. A more nuanced & compassionate approach is required to deal with this crisis. It’s still not too late. pic.twitter.com/qZuoABfOMi
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 27, 2020
उधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर सरकार के लॉकडाउन के फैसले का समर्थन किया था. इसके साथ ही उन्होंने सरकार को सुझाव दिया था कि स्वास्थ्यकर्मियों को मास्क बांटे जाएं. इसके साथ ही अस्थायी अस्पताल शुरू किए जाएं जिसमें बड़ी संख्या में आईसीयू और वेंटिलेटर हों.
केंद्रीय गृह सचिव ने कोरोना वायरस के मद्देनजर किए गए 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि लॉकडान के दौरान लोगों के अनावश्यक पलायन से रोकने के लिए प्रवासी कृषि श्रमिकों, औद्योगिक कामगारों और असंगठित क्षेत्र के अन्य कामगारों को भोजन और आश्रय सहित पर्याप्त सहायता प्रदान करने हेतु तत्काल कदम उठाया जाएं.
पत्र मे यह सलाह दी गई है कि दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों, कामकाजी महिलाओं और अन्य को अपने मौजूदा आवास में ही बने रहना सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएं. एडवाइजरी में कहा गया है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों, विशेषकर विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों की मुश्किलें कम करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से उन्हें स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ भोजन और आश्रय भी प्रदान करने के उपाय करने चाहिए.
इसके अलावा, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सलाह भी दी गई है कि वे इन असुरक्षित वर्गों या लोगों को सरकार द्वारा किए गए विभिन्न ठोस उपायों से अवगत कराएं जिनमें पीडीएस के माध्यम से खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुएं मुफ्त में मुहैया कराना भी शामिल है. इसके साथ ही वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित बनाने की भी सलाह दी गई है. एडवाइजरी के अनुसार, इससे इन लोगों की अनावश्यक आवाजाही को रोकने में मदद मिलेगी.
गृह मंत्रालय ने यह भी सलाह दी है कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि होटल, किराये पर दिए गए कमरे, छात्रावास आदि निरंतर चालू अवस्था में रहें और आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी भी सुव्यवस्थित रहे ताकि छात्र-छात्राएं,कामकाजी महिलाएं, छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थी इत्यादि आवश्यक सावधानियां बरतते हुए अपने-अपने वर्तमान कमरों और घरों में ही आगे भी रह सकें.
आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बार-बार यह निर्देश दिया जा रहा है कि वे लॉकडाउन को सख्ती से लागू करें और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विभिन्न कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करें. यह कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए अत्यंत आवश्यक है.