ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक, मंदिर के प्रमाण मिलने का दावा:हिंदू पक्ष बोला- मंदिर होने के 32 सबूत, शिव के 3 नाम, खंडित मूर्तियां भी मिलीं
हैदराबाद के साथ अमेरिका के वैज्ञानिकों की टीम ने कई दिनों तक 10 मीटर तक गहराई का गहन अध्ययन किया गया था। फिर अमेरिका में 400 से लेकर 900 मेगाहर्ट्ज और उससे अधिक रेंज के रडार की मदद से रिपोर्ट बनाई गई।
वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट गुरुवार रात सार्वजनिक कर दी गई। 839 पेज की रिपोर्ट हिंदू-मुस्लिम पक्ष को सौंपी गई है। इसके बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने दावा किया है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है।
उन्होंने कहा- भगवान शिव के 3 नाम भी मिले हैं। वो हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर। मस्जिद के सारे पिलर पहले मंदिर के थे, जिन्हें मॉडिफाई कर मस्जिद में इस्तेमाल किया गया। मस्जिद की पश्चिमी दीवार से साफ पता चला है कि वह मंदिर की दीवार है। यह दीवार 5 हजार साल पहले नागर शैली में बनी है। दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही कुछ कह सकेंगे।
‘हनुमान और गणेश की खंडित मूर्तियां भी मिलीं’
विष्णु शंकर जैन ने कहा, ”मस्जिद का गुंबद महज 350 साल पुराना है। हनुमान और गणेश की खंडित मूर्तियां भी मिली हैं। दीवार पर त्रिशूल की आकृति मौजूद है। मस्जिद में औरंगजेब काल का शिलापट भी मिला है। तहखाना S2 में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। ASI ने जदुनाथ सरकार के इस निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।
24 जनवरी की वाराणसी कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को देने को लेकर फैसला सुनाया। इसके बाद गुरुवार यानी 24 जनवरी की सुबह सीलबंद रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट के पटल पर रखी गई। जज के सामने लिफाफा खोला गया। इसके बाद रिपोर्ट के पन्नों को गिना गया। जिसे देने के लिए कोर्ट ने प्रति पेज 2 रुपए की दर तय की।
जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा- दोनों पक्ष रिपोर्ट के लिए अप्लाई कर सकते हैं। रिपोर्ट में मिलने के बाद दोनों पक्ष 6 फरवरी तक आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं। इसके बाद हिंदू पक्ष की तरफ से विष्णु शंकर जैन और सुधीर उपाध्याय, चारों वादिनी महिलाएं और मुस्लिम पक्ष से वकील अखलाक अहमद समेत 13 लोगों ने रिपोर्ट के लिए आवेदन किया।
इसके बाद रिपोर्ट की फोटो कॉपी कराई गई। फिर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सुधीर उपाध्याय और मुस्लिम पक्ष के अखलाक अहमद को रिपोर्ट सौंपी गई। बाकी 10 लोगों को कल यानी शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
18 दिसंबर को कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई थी रिपोर्ट
18 दिसंबर को ASI ने कोर्ट में सील बंद लिफाफे में स्टडी रिपोर्ट सौंपी थी। इसी दिन हिंदू पक्ष ने कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, बाद में मुस्लिम पक्ष ने भी कोर्ट से कॉपी सौंपने की मांग की थी। जिस पर 3 जनवरी को सुनवाई होनी थी।
हालांकि, उस दिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद 5 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई हुई। लेकिन कोई फैसला नहीं आया। इसके बाद 24 जनवरी की सुनवाई में कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को देने को लेकर फैसला सुनाया।
हैदराबाद के साथ यूएस के वैज्ञानिकों ने की है स्टडी
ASI ने 84 दिनों में ज्ञानवापी परिसर में GPR, फोटोग्राफ, वीडियोग्राफी समेत सभी पहलुओं पर सर्वे किया था। ASI ने 36 दिन में इसकी रिपोर्ट तैयार की। इसमें GPR रिपोर्ट तैयार करने में 30 दिन लगे। इसे अमेरिका के GPR सर्वे एक्सपर्ट ने तैयार की है।
हैदराबाद के साथ अमेरिका के वैज्ञानिकों की टीम ने कई दिनों तक 10 मीटर तक गहराई का गहन अध्ययन किया गया था। फिर अमेरिका में 400 से लेकर 900 मेगाहर्ट्ज और उससे अधिक रेंज के रडार की मदद से रिपोर्ट बनाई गई।
36 दिनों तक तीन हिस्सों में तैयार हुई रिपोर्ट
- पहली कॉपी ऊपरी हिस्सों में दिखने वाली आकृतियों की है, जिसमें स्थलीय बनावट, काल और समय आदि का डिटेल है।
- दूसरी कॉपी में जमीन के अंदर की GPR सर्वे की डिटेल को शामिल किया है। इसमें तरंगों के जरिए ग्राफ बनाया और उसके नीचे मौजूद अवशेषों का एक्स-रे किया गया। उसकी रिपोर्ट डिजिटल और ग्राफिक्स में तैयार की गई है।
- तीसरी कॉपी में वीडियो-फोटोग्राफी को स्थान के साथ मार्क किया है। ज्ञानवापी में तीन स्तर पर तैयार रिपोर्ट को दिनों के अनुसार, PPT स्लाइड में तैयार किया गया है और उस दिन की प्रगति को अलग से उल्लिखित भी किया है।