शबनम की फांसी टली:वकील ने कहा- राज्यपाल के पास दया याचिका लंबित, इस पर कोर्ट ने डेथ वारंट जारी नहीं किया
जेल में रहने के दौरान शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जन्म दिया था। बेटे को 5 साल की उम्र पूरी होने के बाद छोड़ दिया गया था।
अमरोहा. देश में पहली बार किसी महिला अपराधी को होने वाली फांसी की सजा फिलहाल टल गई है। प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या करने वाली शबनम का डेथ वारंट जारी नहीं हो सका है। अमरोहा की कोर्ट में शबनम के वकील ने कहा कि उसने 3 दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को दया याचिका भेजी है। जब तक दया याचिका पर निर्णय नहीं होता, तब तक डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता।
शबनम के वकील की दलील पर डेथ वारंट जारी करने का फैसला टाल दिया गया। सरकारी वकील महावीर सिंह ने बताया कि अब दया याचिका पर फैसला आने के बाद ही डेथ वारंट पर निर्णय हो पाएगा।
जेलर के जरिए राज्यपाल को भेजी दया याचिका
उत्तर प्रदेश की रामपुर जेल में बंद शबनम ने वकील के जरिए जेल अधीक्षक को दया याचिका के लिए आवेदन दिया था। उसकी याचिका राज्यपाल को भेज दी गई है। राष्ट्रपति पहले ही शबनम की दया याचिका खारिज कर चुके हैं।
परिवार को दवा से बेहोश कर कुल्हाड़ी से काट दिया था
अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की रहने वाली शबनम ने 15 अप्रैल 2008 को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा 10 महीने के भतीजे अर्श की हत्या कर दी थी। इन सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया और इसके बाद अर्श को छोड़कर सभी को कुल्हाड़ी से काट दिया था। शबनम ने अर्श का गला दबाकर उसे मारा था।
जांच में पता चला था कि शबनम गर्भवती थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।
दोषी शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया था
जेल में रहने के दौरान शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जन्म दिया था। उसका बेटा जेल में उसके साथ ही रहा था। 15 जुलाई 2015 में उसका बेटा जेल से बाहर आया, इसके बाद शबनम ने बेटे को उस्मान सैफी और उसकी पत्नी सौंप दिया था। उस्मान शबनम का कॉलेज फ्रेंड है, जो बुलंदशहर में पत्रकार है।