यूपी हादसे की कहानी, घायलों की जुबानी / पैसे मांगने पर ठेकेदार गालियां देता था; ट्रक पर सो रहे थे, अचानक तेज आवाज आई और बोरियों के नीचे दब गए

उत्तर प्रदेश के औरैया में शनिवार तड़के हुए सड़क हादसे में 24 लोगों मौत हो गई घायलों को औरैया जिला अस्पताल और सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया

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औरैया. चूने की बोरियों के नीचे से मैले-कुचैले कपड़ों में दबे मजदूर मजबूरी की मौत मारे गए। चूने से नहाए घायलों को याद ही नहीं कि उनके साथ ये हादसा कैसे हुआ है। 24 लोगों की मौत के बाद भी सिसकियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। किसी का बच्चा घायल है तो किसी का का साथी गुम है। किसी को 7 घंटे बाद होश आया तो पता चला कि हड्डियों में काफी दर्द है। औरैया के जिला अस्पताल और सैफई पीजीआई में घायलों को भर्ती किया गया है। जानिए, हादसे की कहानी घायलों की जुबानी…

अस्पताल में भर्ती शम्भु ने अपनी आपबीती सुनायी।
अस्पताल में भर्ती शंभु ने अपनी आपबीती सुनाई।

पहली कहानी: पैसे मांगने पर गाली देता था ठेकेदार, इसलिए राजस्थान से भाग आए
21 साल के शंभू को झारखंड स्थित अपने घर जाने के लिए तकरीबन 1400 किमी का सफर तय करना है। वह बताते हैं- ‘‘झारखंड में भाई और माता-पिता रहते हैं। राजस्थान में मैं 2 साल से मार्बल कंपनी में काम कर रहा था। महीने की 8 हजार की पगार से घर 4 से 5 हजार रुपए भेज दिया करता था अब वह भी बंद है। लॉकडाउन लगने के बाद ठेकेदार से पैसे मांगे तो वह गाली देता था, इसलिए राजस्थान से भागकर घर जाना ही उचित समझा। राजस्थान से औरैया तक अभी आधी से भी कम दूरी तय की और भयानक हादसा हो गया।’’

शंभू बताता है- ‘‘हड्डियों में दर्द हो रहा है। मुझे हादसे के बाद अभी होश आया। जो कुछ बचा खुचा था, उसी से खर्च चल रहा था। जब हमारे साथी आने को तैयार हुए तो हम भी तैयार हो गए। अभी दो दिन पहले ही हम राजस्थान से निकले थे। सौ-सवा सौ किमी पैदल चले तो पुलिस ने पकड़ लिया। वहां मीडिया वाले भी आ गए थे तो खाना खिलाकर हमें बस में बिठा दिया गया। झांसी से पहले हमें उतार दिया गया। वहां से हम और हमारे साथ तकरीबन 50 से 60 लोग इस ट्रक पर सवार हुए।’’

‘‘ट्रक वाले को झारखंड तक पहुंचने के लिए पैसे भी दिए थे। रात करीब 3 से 4 के बीच हम लोग ट्रक पर थे और ट्रक खड़ा हुआ था, तभी पीछे से किसी ट्रक ने टक्कर मार दी और हम लोग बोरियों के नीचे दब गए। इसके बाद मुझे याद नहीं। अभी अस्पताल में होश आया है। मेरे साथ गांव के बगल का एक साथी था वह मुझे कहीं दिखाई नहीं दे रहा। अब आगे घर कैसे पहुंचूंगा। जो थोड़ा बहुत सामान था, वह भी गायब है।’’

धनंजय को आंख में चोट आयी है। इन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
धनंजय को आंख में चोट आई है। इन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

दूसरी कहानी: अचानक तेज आवाज हुई और चूने की बोरियों के नीचे दब गए
औरैया से सैफई मेडिकल कॉलेज आए धनंजय के खून से सने सिर पर पट्टी बंधी हुई है। चेहरे पर मास्क लगा हुआ है। दर्द की वजह से हाथ मोड़े हुए हैं। कहा- ‘‘हम लोग ट्रक पर सो रहे थे कि अचानक से तेज आवाज आई। आंख खुली तो हम चूने की बोरियों के नीचे दबे हुए थे। हमारा दम घुट रहा था और हम बेहोश हो गए। मैं राजस्थान में मार्बल कंपनी में काम करता हूं। लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया था। पैसे भी मिलने बंद हो गए थे। हमने पहले अप्रैल में निकलने की कोशिश की थी, लेकिन हमें निकलने नहीं दिया गया काफी सख्ती की वजह से हम डर गए थे। ठेकेदार हमारी सुन नहीं रहा था तो अब हम झारखंड घर जाने के लिए निकले थे। घर में मां और बाबू जी है। अब मुझे चिंता हो रही है कि उन्हें कैसे पता चलेगा।’’

मां क्रांति देवी की गोद में बैठी बच्ची।
क्रांति देवी की गोद में बैठी उसकी बच्ची।

तीसरी कहानी: इस मां के दो बच्चे एडमिट हैं
मां की गोद में बैठी बच्ची सहमी है। मां सिसकियां भर रही है। उसके दो बच्चे घायल हैं और सैफई पीजीआई में एडमिट हैं। क्रांति देवी अस्पताल के बाहर बैठकर बच्चों के लिए प्रार्थना कर रही है। परिवार में पति, देवर और तीन बच्चे हैं। पति और देवर बच्चों की तीमारदारी में लगे हुए हैं। क्रांति कहती हैं- ‘‘दिल्ली में रहती थे और छतरपुर जाना है। दिल्ली से गाजियाबाद तक हम लोग दल पहुंचे हैं। रास्ते में बड़ी मिन्नतों के बाद हम लोग ट्रक में बैठ पाए थे। अब मेरे बच्चों का क्या होगा यह चिंता खाए जा रही है। क्रांति बोली कि हम बच्चों को लेकर सो रहे थे तभी टक्कर हुई। हमें कुछ याद नहीं। जब आंख खुली तो हम सही सलामत थे। तीनो बच्चे अगल बगल ही गिरे थे। दो बच्चों को खून निकल रहा था। हम घबराए हुए थे लेकिन पुलिस वालों ने हम सबको एम्बुलेंस से इस अस्पताल में भेज दिया।’’

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