मथुरा में होलिका की धधकती आग। लाठी लेकर चिल्लाते लोग। 30 फीट ऊंची लपटें। तभी सिर पर गमछा और गले में रुद्राक्ष की माला पहने संजू पंडा नाम का शख्स वहां पहुंचता है। संजू की बहन जलती अग्नि के चारों तरफ कलश से अर्घ्य देती है।
वहां मौजूद 80 हजार से ज्यादा लोग बांके-बिहारी की जय का उद्घोष करते हैं। तभी संजू पंडा होलिका की धधकती आग के बीच से दौड़ता हुआ गुजरता है। बीच में अग्नि देवता को प्रणाम करता है, फिर कुछ सेकेंड में ही जलती होलिका को पार कर जाता है। उफ तक नहीं करता, शरीर बिल्कुल झुलसता नहीं है।
करीब 5200 साल पुरानी यह परंपरा मथुरा से 50 किमी दूर फालैन गांव में होलिका दहन की रात मनाई जाती है। मान्यता है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भक्त प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई थी।
इसी कथा को जीवंत करने के लिए फालैन गांव में पंडा परिवार का एक सदस्य जलती होलिका से निकलता है। पहली बार संजू पंडा धधकती आग के बीच से निकला है। इससे पहले, संजू का बड़ा भाई मोनू पंडा इस परंपरा को निभाता रहा है।
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प्रह्लाद कुंड में स्नान, बहन ने होलिका को दिया अर्घ्य
- संजू ने रात को निर्धारित लग्न में दीपक जलाया। जब तक इसकी लौ गर्म रही, तब तक उन्होंने जप किया। लौ ठंडी होने के बाद संजू ने होलिका की अग्नि में प्रवेश करने का इशारा किया, फिर होलिका में अग्नि प्रज्वलित की गई।
- ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे संजू ने प्रह्लाद कुंड में स्नान किया। उनकी बहन ने जलती अग्नि के चारों तरफ कलश से जल का अर्घ्य दिया।
- वह सीधे दौड़ते हुए आए और जलती होली से निकल गए। जैसे ही संजू अग्नि से निकले, लोगों ने भक्त प्रह्लाद और बांके बिहारी की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए।

वहां मौजूद लोगों ने क्या कुछ कहा…
- फरीदाबाद से आई अंजू गर्ग ने कहा- पहले मैंने इस परंपरा के बारे में सुना था, आज देख भी लिया। चमत्कार है। आग बहुत भयानक थी। मैं कई फीट दूर खड़ी थी, लेकिन आग की लपटें मेरे पास तक आ रही थीं। पंडित जी में बहुत हिम्मत है, जो उस आग से निकलते हैं। मैंने पहली बार ऐसा देखा।
- एक अन्य युवक ने कहा- बहुत बढ़िया है। यह चमत्कार है। साक्षात भगवान धरती पर हैं। यह सनातन धर्म की शक्ति है। 40-50 फीट ऊंची होलिका थी।
- मुंबई से आए नील शाह ने बताया- पहले मैंने सुना था, लेकिन आज देख लिया। मैं अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाया। यह अद्भुत है।
- जकार्ता से आई महिला ने कहा- मैं इंजॉय कर रही हूं। यह बहुत रोचक है। मैंने पहली बार ऐसा देखा। ग्रेट एक्सपीरियंस।
- मलेशिया से आए टोनी ली ने कहा- यह माइंड-ब्लोइंग अनुभव था। मैंने पहली बार ऐसा देखा।
धकती होलिका से निकलने वाले संजू पंडा ने कहा- मैं पहली बार जलती हुई होलिका से निकला हूं। पिछले 5 साल से मेरे बड़े भाई मोनू पंडा जलती होलिका को दौड़कर पार करते आए हैं। जब मैं जलती आग से गुजर रहा था, मुझे लगा खुद प्रह्लादजी मेरे साथ चल रहे हैं।
संजू ने कहा- मैंने कठिन व्रत का पालन किया। वसंत पंचमी के बाद से प्रह्लादजी के मंदिर में रहा। 45 दिन तक कड़े नियमों का पालन किया। दिन में सिर्फ 1 बार फलाहार किया। इस व्रत को करने के बाद अब मैं कभी गोवंश की पूंछ नहीं पकड़ सकता। कभी चमड़े से बनी चीजों का इस्तेमाल नहीं कर सकता हूं।
अब पंडा का व्रत समझिए… पंडा परिवार के संजू पंडा फालैन गांव के प्रह्लाद मंदिर में 45 दिन तक व्रत और अनुष्ठान करते हैं। उनके परिवार के सदस्य 5200 सालों से जलती होलिका के बीच से निकलते आ रहे हैं। इस तरह वह सतयुग में हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद के बचने और होलिका के भस्म होने की पौराणिक कहानी को जीवंत करते हैं।