रामकाज करने को आतुर:मंदिर निर्माण के लिए राष्ट्रपति के दान पर विवाद हुआ तो चंपत राय बोले- सवाल उठाने वाले इतिहास पढ़ें

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि जो लोग राष्ट्रपति द्वारा समर्पण राशि दिए जाने पर आपत्ति उठा रहे हैं, उन्हें याद करना चाहिए कि देश के प्रधानमंत्री के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारतीय हैं और भारत की आत्मा में राम हैं। जो कोई सक्षम है, वह इस नेक काम में मदद कर सकता है।

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अयोध्या में 39 महीने में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए अब तक 100 करोड़ रुपए का चंदा इकट्ठा कर लिया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्रस्ट को 5 लाख 100 रुपए का दान दिया था। 15 जनवरी को ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने खुद राष्ट्रपति से मुलाकात की थी।

मंदिर के लिए राष्ट्रपति से सहयोग राशि लेने पर सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। रविवार को ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आपत्ति उठाने वालों पर निशाना साधा। राय ने लोगों को इतिहास पढ़ने की सलाह दी है।

विरोध के बावजूद राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर गए थे
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि जो लोग राष्ट्रपति द्वारा समर्पण राशि दिए जाने पर आपत्ति उठा रहे हैं, उन्हें याद करना चाहिए कि देश के प्रधानमंत्री के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारतीय हैं और भारत की आत्मा में राम हैं। जो कोई सक्षम है, वह इस नेक काम में मदद कर सकता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

39 महीने में बन जाएगा मंदिर
चंपत राय ने एक बार फिर दोहराया कि देश के पांच बड़े इंजीनियरिंग संस्थान, भवन निर्माण और भू-गर्भ के अध्ययन से जुड़ी संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने मंदिर की नींव और धरती के नीचे का अध्ययन किया है। नींव के लिए काम शुरू हो गया है। 39 महीने में मंदिर बन जाएगा।

अब तक करीब 100 करोड़ का दान मिला
चंपत राय ने कहा कि अब तक कितना दान आ चुका है, इसका कोई सटीक डेटा अभी तक नहीं मिला है। लेकिन, कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट के आधार पर अब तक 100 करोड़ रुपए का दान मिलने की बात कही गई है। विश्व हिंदू परिषद इसके लिए जनसंपर्क अभियान चला रहा है जो 15 जनवरी से शुरू हो चुका है। यह अभियान 27 फरवरी तक चलेगा।

विश्व हिंदू परिषद उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने शुक्रवार को लखनऊ में राम मंदिर को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने इस प्रेस कांफ्रेंस में मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग से लेकर इसके निर्माण की स्थिति और प्रारूप के बारे में भी विस्तार से बताया. उन्होंने कहा विश्व हिंदू परिषद मंदिर निर्माण को लेकर 12 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का अभियान चलाएगी लेकिन इस दौरान किसी से भी दान नहीं मांगा जाएगा. वे स्वेच्छा से जो देंगे, वही मंदिर निर्माण के कार्य में उपयोग किया जाएगा.

 

‘गुलामी याद दिलाने वाला कलंक समाप्त’
मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के लिए 1949 से ही संघर्ष किया गया है. अब गुलामी की याद दिलाने वाला कलंक समाप्त हो गया है. हिंदुस्तान अपनी संतान को गुलामी की याद नहीं दिलाना चाहता. राम जन्मभूमि मंदिर देश के गौरव और अस्मिता का प्रतीक है और इस लड़ाई को स्थानीय समाज के साथ संतों से लड़ा है.

3 मंजिला मंदिर बेहद भव्य होगा 
चंपत राय ने कहा कि 5 अगस्त को पीएम के भूमिपूजन करने के बाद मंदिर के निर्माण को गति मिली है. पहले हमने इसे बहुत छोटा सोचा था, लेकिन कोर्ट की ओर से 70 एकड़ जमीन मिलने के बाद इसे बढ़ाया गया है. अब बनने वाले मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी. 3 मंजिल के भव्य मंदिर की हर मंजिद करीब 20 फीट की होगी. 6.50 फीट फर्स्ट प्लिंथ की लंबाई है. भूतल से शिखर तक की ऊंचाई 161 फीट है. मंदिर में 4 लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेगा और 75 हजार क्यूबिक फीट पत्थर की कार्विंग पूरी हो चुकी है. उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण

 

लार्सन एंड ट्रुबो कर रहे हैं निर्माण, टाटा सलाहकार 
पूरा मंदिर पत्थरों से ही बनाया जाएगा, ताकि इसकी लाइफ हजारों वर्षों की हो. मंदिर के निर्माण का काम लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को दिया गया है. जबकि निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने टाटा कंसल्टेंट इंजिनीरयर्स को चुना है. मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकांत सोमपुरा पर है. आईआईटी दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के साथ कई और जगहों के वैज्ञानिकों की टीम मिलकर मंदिर की नींव पर स्टडी कर रहे हैं.

दिसंबर के अंत तक नींव को लेकर मिलेगी जानकारी
ट्र्स्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया कि इसरो की ओर से उन्हें जो नक्शा मिला, उसमें पता चला कि जहां मंदिर है वहां दो हजार साल पहले सरयू नदी का प्रवाह था. अब तक 4 बार सरयू अपना प्रवाह बदल चुकी है, इसलिए भविष्य में भी बदल सकती है. इस समय बी गर्भ गृह के पश्चिम में नदी का प्रवाह है. पहले भी यहां मंदिर था, और सरयू की धारा रही है. मंदिर के नीचे 60 मीटर तक लूस सैंड है. ऐसे में मंदिर की नींव पर अध्ययन किया जा रहा है, क्योंकि नींव मजबूत चाहिए. इस संबंध में दिसंबर के अंत तक अच्छी सूचना मिल सकती है.

 

भगवान को मांगने की जरूरत नहीं, सहयोग से बनेगा मंदिर
चंपत राय ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद करीब 11 करोड़ परिवारों तक जाएगी. 55 से 60 करोड़ लोगों तक पहुंचेगी. 3 से 4 लाख कार्यकर्ताओं के जिम्मे ये काम होगा. इस दौरान किसी से दान के लिए नहीं कहा जाएगा, लोगों से मिले सहयोग को ही लिया जाएगा. क्योंकि भगवान को मांगने की जरूरत नहीं है. इसके लिए बाकायदा 10-100-1000 रुपये के कूपन और रसीद बुक छापी गई है. ये कार्य भरोसे का होगा, इसमें कोई भी कार्यकर्ता 48 घंटे से ज्यादा अपने पास पैसे नहीं रखेगा. हर जिले का अपना ऑडिट होगा.

सीएम ने किया 11 लाख का सहयोग 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद 11 लाख रुपये अपने खाते से मंदिर निर्माण में सहयोग स्वरूप दिए हैं. मकर संक्रांति के दिन से विश्व हिंदू परिषद संपर्क अभियान पर लगेगा और देशवासियों से इसके लिए सहयोग लिया जाएगा. हर कूपन पर राम मंदिर का चित्र अंकित है और कोशिश होगी कि हर घर में ये कूपन जाए. विदेशों से सहयोग की बात पर चंपत राय ने कहा कि हम कानून में विश्वास रखते हैं और जो भी करेंगे कानून के दायरे में ही करेंगे.

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