यूपी-राजस्थान समेत 12 राज्यों के 200 टोल पर घोटाला:बिना फास्टैग की गाड़ियां फ्री कैटेगरी में दिखाईं, सॉफ्टवेयर बदलकर पैसा पर्सनल अकाउंट में लिया

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यूपी एसटीएफ ने सॉफ्टवेयर से करोड़ों की ठगी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

यूपी STF ने NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में हो रहा घोटाला उजागर किया है। STF की टीम ने बुधवार सुबह 3.50 बजे मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर 3 लोगों को पकड़ा।

आरोपियों ने टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। इसके जरिए टोल प्लाजा से बिना फास्टैग (Fastag) के गुजरने वाले वाहनों को फ्री दिखाकर उनसे वसूला गया पैसा पर्सनल अकाउंट में ले रहे थे।

यह घोटाला यूपी-राजस्थान समेत 12 राज्यों के 200 टोल पर चल रहा था।

अकेले अतरैला टोल प्लाजा पर 2 साल से हर दिन करीब 45 हजार रुपए की धांधली की जा रही थी। दो साल में 3 करोड़ 28 लाख रुपए की धांधली हो चुकी है। आरोपियों से STF ने 2 लैपटॉप, 1 प्रिंटर, 5 मोबाइल, 1 कार और 19000 रुपए बरामद किए हैं।

मिर्जापुर-लखनऊ रोड पर स्थित अतरैला टोल प्लाजा। यहीं से STF ने तीनों आरोपियों को पकड़ा।
मिर्जापुर-लखनऊ रोड पर स्थित अतरैला टोल प्लाजा। यहीं से STF ने तीनों आरोपियों को पकड़ा।

12 राज्यों में NHAI कंप्यूटर्स में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया STF ने जौनपुर के आलोक कुमार सिंह, प्रयागराज के राजीव कुमार मिश्र और मध्यप्रदेश के मझौली के रहने वाले मनीष मिश्रा को गिरफ्तार किया है। आलोक अभी वाराणसी में रह रहा था।

आरोपियों ने बताया कि ये अब तक देश के 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा में NHAI के कंप्यूटर्स में अपना बनाया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर चुके हैं। ये राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल हैं।

लगातार मिल रही थी धोखाधड़ी की शिकायतें STF इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया- NHAI के विभिन्न टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। वाराणसी STF के ASP विनोद सिंह और लखनऊ के ASP विमल सिंह की टीम लगातार मामले की मॉनिटरिंग कर रही थी। इसी बीच STF को सूचना मिली कि NHAI के सॉफ्टवेयर में अलग से सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टॉल करने वाला व्यक्ति आलोक सिंह वाराणसी में है। STF टीम ने बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से आलोक सिंह को पकड़ लिया।

यह आलोक सिंह है, जिसे STF टीम ने वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से पकड़ा है।
यह आलोक सिंह है, जिसे STF टीम ने वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से पकड़ा है।

टोल प्लाजा पर काम करता था आरोपी STF की पूछताछ में आलोक ने बताया वह MCA पास है और पहले टोल प्लाजा पर काम करता था। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियों के संपर्क में आया। इसके बाद टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक सॉफ्टवेयर बनाया। टोल प्लाजा पर लगे NHAI कंप्यूटर में अपना बनाया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया, जिसका एक्सेस अपने लैपटॉप से कर लिया। इसमें टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों ने भी साथ दिया।

यूपी के आजमगढ़, प्रयागराज, बागपत, बरेली, शामली, मिर्जापुर और गोरखपुर में वह खुद पिछले दो साल से इस धांधली से जुड़ा है।

टोल प्लाजा पर ऐसे होती है टैक्स की वसूली

देशभर में NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स की वसूली दो तरह से होती है।

1, फास्टैग से: फास्टैग लगे वाहनों को टोल पर लगा सेंसर कैच कर लेता है और अकाउंट से पैसे कट जाते हैं।

2. कैश काउंटर: जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं लगा होता है या जो किसी तरह की छूट प्राप्त होते हैं, ऐसे वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर अलग काउंटर होता है। वहां टैक्स का पैसा कैश वसूला जाता है। इसके लिए स्लिप दी जाती है।

इस तरह कर रहे थे धांधली आरोपी कैश काउंटर से वसूली में ही धांधली करते थे। टोल प्लाजा से बिना फास्टैग वाले वाहनों से टैक्स आरोपियों के बनाए सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था। उसकी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर से मिलने वाली पर्ची के समान ही होती थी। इस तरह की गई अवैध वसूली के वाहन को टैक्स छूट वाली कैटेगरी में दिखाकर जाने दिया जाता था।

बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, जिससे किसी को शक न हो।

यानी बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिया गया टैक्स सरकारी खाते में नहीं जा रहा है। जबकि नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है।

मनीष मिश्रा की फाइल फोटो।
मनीष मिश्रा की फाइल फोटो।
राजीव कुमार मिश्रा की फाइल फोटो।
राजीव कुमार मिश्रा की फाइल फोटो।

आपस में बांट लेते थे रुपए आलोक सिंह ने बताया कि घोटाले के रुपए टोल प्लाजा मालिकों, आईटी कर्मियों और अन्य कर्मचारियों के बीच बांटे जाते थे। दो अन्य आरोपियों सावंत और सुखांतु की देखरेख में देश के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इस तरह के सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए गए हैं। इनसे हर दिन करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा है।

दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए STF के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह का कहना है कि इस गिरोह का नेक्सस देश के सभी टोल प्लाजा पर फैला हुआ है। एक डिटेल रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसे NHAI से साझा किया जाएगा। बाकी टोल प्लाजा की जांच के लिए STF की एक टीम बनाई जा रही है।

उन जिलों के नाम, जहां धांधली हो रही है

इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है फास्टैग फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है। रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टेक्नोलॉजी पर फास्टैग काम करता है। हर फास्टैग गाड़ी की रजिस्ट्रेशन डिटेल के साथ जुड़ा होता है। फास्टैग के आने से पहले टोल प्लाजा पर रुककर टोल फीस कैश में देनी पड़ती थी।

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