प्रयागराज माघ मेला कल से:कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही मिलेगी देश के सबसे बड़े मेले में एंट्री, इस बार 45 दिन का कल्पवास

महज 675 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया गया मेला, 36 स्नान घाटों पर डुबकी लगाने की व्यवस्था

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प्रयागराज। प्रयागराज में साधना, समर्पण और संस्कृति के पर्व माघ मेला की शुरुआत गुरुवार को सूर्य के उत्तरायण होने के साथ मकर संक्रांति से हो रही है। कोरोना काल में यह देश का सबसे बड़ा मेला है। इसमें लाखों श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे। इस बार मेले में हर श्रद्धालु को अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट लानी होगी। घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्नान की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा और संक्रमण के खतरे को देखते हुए महिला हेल्प डेस्क और कोरोना हेल्प डेस्क बनाई गई है।

भीड़ नियंत्रित करने को चुनौती मान रहा प्रशासन
संगम तट पर हर साल लगने वाले माघ मेले में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। तकरीबन 5 लाख साधु संत और श्रद्धालु यहां अस्थाई निवास बनाकर मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि तक रहते हैं, जिन्हें कल्पवासी कहा जाता है। लेकिन, इस बार माघ पूर्णिमा तक ही कल्पवास की छूट दी गई है। इसलिए, इस बार कल्पवास सिर्फ 45 दिन का ही हो पाएगा। ऐसे में कोरोना काल में भीड़ को नियंत्रित करना और सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित घर वापस भेजना मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस बार माघ मेला कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार कराया जा रहा है। इसलिए श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु-संतों को कोविड की निगेटिव जांच रिपोर्ट के आने के बाद मेले में प्रवेश मिलेगा। उन्हें अधिकतम तीन दिन पुरानी RT-PCR की निगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य होगी।

संगम तट पर बनाया गया पीपे का पुल।
संगम तट पर बनाया गया पीपे का पुल।

संक्रमित मिलने के बाद पूरे शिविर के लोग होंगे आइसोलेट
मेले में आने वाले कल्पवासियों का डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है। 15-15 दिनों में दो बार रैपिड एंटीजन किट से हर कल्पवासी की कोविड जांच भी कराई जाएगी। इसके अलावा शिविर में अगर एक भी श्रद्धालु की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सभी लोगों को 15 दिन के लिए आइसोलेट भी किया जाएगा। इस बार कोविड.19 को देखते हुए मेले में अधिक भीड़ न हो, इसलिए मेले में जरूरी दुकानों को छोड़कर बाकी दुकानों पर पाबंदी रहेगी।

पूर्व में हुए माघ मेला और इस बार के आयोजन की खास बातें

पहले अब क्या
2500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसाया गया था मेला, जो छह सेक्टर में था। इस बार महज 675 हेक्टेयर में मेले का आयोजन किया गया है। जिसे 5 सेक्टरों में बांटा गया है।
3000 संस्थाओं ने अपना डेरा जमाया था। इस बार इनकी संख्या एक चौथाई रह गई है। करीब 800 संस्थाओं ने कल्पवास के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है।
साधु संतों के आश्रमों के अलावा प्रवचन के बड़े-बड़े पंडाल लगे थे। इस बार पंडाल लगाने की अनुमति नहीं है। सिर्फ आश्रमों या कल्पवास के लिए पंडाल लगाया गया है।
18 स्नान घाट बनाए गए थे। कोरोना के मद्देनजर इस बार 36 स्नान घाट बनाए गए हैं।
पुलिस श्रद्धालुओं की मदद के साथ सुरक्षा देती थी। पुलिस पर लोगों के मास्क अनिवार्य रूप से पहनने और उनकी कोरोना रिपोर्ट चेक करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी।
संगम नोज पर स्नान की व्यवस्था। मेला क्षेत्र के हर सेक्टर में स्नान घाट बनाया गया है।
कल्पवासी कहीं भी स्नान कर सकते थे। कल्पवासियों को अपने पंडाल के पास स्नान कराने की तैयारी है।
13 थाने बनाए गए थे। 13 थाने और 38 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं।
माघ मेला के लिए संगम पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा होने लगा है।
माघ मेला के लिए संगम पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा होने लगा है।

पहली बार हुआ कोविड टास्क फोर्स का गठन, फिर भी मिले 15 संक्रमित
माघ मेले की शुरुआत से पहले ही कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। माघ मेले की तैयारियों में लगे पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। अब तक 10 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, जिनमें 7 कॉन्स्टेबल, 2 हेड कॉन्स्टेबल और एक सब इंस्पेक्टर कोरोना संक्रमित हुए हैं। इनके अलावा पांच होमगार्ड के जवान भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिससे पुलिस वालों में खौफ है। हालांकि, अधिकारी योग-ध्यान और काढ़े के जरिए पुलिसवालों की इम्युनिटी मजबूत करने में लगे हुए हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए यहां तैनात पुलिसकर्मियों और अधिकारियों का कोरोना टेस्ट भी कराया जा रहा है। इसके लिए पहली बार कोविड टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

ये है मेला की सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस अधीक्षक क्राइम आशुतोष मिश्रा ने बताया कि 5 सेक्टरों में विभाजित माघ मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 5 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पूरे माघ मेला क्षेत्र में 100 से ज्यादा CCTV कैमरे लगाए गए हैं। वॉच टावर बनाए गए हैं। पांच कंपनी PAC, RPF, जल पुलिस की टीमें भी लगाई गई हैं। इसके अलावा खुफिया एजेंसियों को भी तैनात किया गया है। पूरे माघ मेले की ड्रोन कैमरे से 24 घंटे निगरानी की जा रही है। 57 दिनों तक चलने वाले मेले में 13 फायर स्टेशन, गोताखोर और नावें अलर्ट हैं।

ये है कोरोना से बचने की तैयारी

  • मेला क्षेत्र में 6 बूथों पर कोरोना एंटीजन और RTPCR टेस्ट होगा।
  • 20 मोबाइल परीक्षण वैन लगाई जाएंगी।
  • 20-20 बेड के दो अस्पताल त्रिवेणी सेक्टर और चार अस्पताल में गंगा सेक्टर में बने हैं।
  • संक्रमितों की पहचान के लिए 100 टीमें डोर टू डोर जांच करेंगी।
  • मेले में प्रवास के दौरान सभी कल्पवासियों का तीन बार एंटीजन टेस्ट कराया जाएगा।
  • मेले के 16 प्रवेश मार्गों में थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था कर दी गई है।
  • स्टेटिक कोविड सैंपलिंग सेंटर से मेला क्षेत्र में संक्रमितों की पहचान के लिए प्रतिदिन 500 से 600 टेस्ट कराए जा रहे हैं।
  • स्वास्थ्य विभाग बुजुर्गों के शिविर में नियमित अंतराल के बाद बीपी, डायबटीज और ऑक्सीजन की जांच होगी।
  • स्वास्थ्य कर्मी रोजाना लोगों का हाल लेंगे। हर 15 दिन में एंटीजन टेस्ट भी कराया जाएगा।

भूले बिछड़ों के शिविर में भी हुआ पहली बार ये बदलाव
माघ मेला 2021 में इस बार भी खोया-पाया शिविर लगेगा। हालांकि इस बार सुविधा थोड़ी हाइटेक होगी। बिछड़ने वाले लोगों को मिलाने के लिए एनाउंस करने के साथ ‘भारत सेवा दल भूले भटके शिविर’ की वेबसाइट और वॉट्सऐप ग्रुपों पर भी उनकी फोटो डाली जाएगी, जो पहली बार हो रहा है। फोटो एक से दूसरे ग्रुप में भेजी जाएगी। शहर से बाहर रहने वाले स्वयंसेवक भी फोटो को अलग-अलग ग्रुपों में भेजने में सक्रिय रहेंगे।

प्रमुख स्नान

तारीख प्रमुख स्नान
14 जनवरी मकर संक्रांति
28 जनवरी पौष पूर्णिमा
11 फरवरी मौनी अमावस्या
16 फरवरी वसंत पंचमी
27 फरवरी माघ पूर्णिमा
11 मार्च महाशिवरात्रि

प्रयागराज के मेले का इंतजार हर कोई पूरे वर्ष करता है। यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर वर्ष आते हैं। हालांकि, ऐसा माना जा रहा था कि कोरोना के चलते 2021 में माघ मेला नहीं लगेगा। लेकिन अब ऐसा नहीं है। दरअसल, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस बात की पुष्टि की है कि वर्ष 2021 में जनवरी महीने में माघ मेले का आयोजन किया जाएगा। आइए जानते हैं माघ मेले का महत्व और इतिहास।

माघ मेले का महत्व:

मान्यता है कि इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इन सभी में मकर संक्रांति और मौनि अमावस्या के दिन अगर स्नान किया जाए तो यह बेहद फलदायी होता है। कई लोग तो इस मेले में जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्ति की कामना के साथ आते हैं।

माघ मेले का इतिहास:

देश के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक प्रयागराज है। यहां पर माघ मेला लगता है। यह विश्व का सबसे बड़ा मेला होता है। माघ मेले की शुरुआत के पीछे कई कथाएं कही जाती हैं जिनका जिक्र हम यहां कर रहे हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने प्रयागराज को तीर्थ राज अथवा तीर्थस्थलों का राजा कहा था। इन्होंने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर प्राकृष्ठ यज्ञ संपन्न किया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन में अमृत कलश के लिए युद्ध हुआ था। अमृत के कलश को बचाने के लिए इंद्रदेव चारों तरफ भागे थे जिससे अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिर गई थीं। फिर अमृत कलश को विष्णु जी को दिया गया। तब से लेकर आजतक इन चारों जगहों पर स्नान करने का महत्व बहुत अधिक और विशेष है।

पद्म पुराण में मौजूद एक कथा के अनुसार, भृगु देश की एक ब्राह्मणी थी जिसका नाम कल्याणी था। कल्याणी को बचपन में ही वैधव्य प्राप्त हो गया था। उसने रेव कपिल के संगम पर कठोर तप किया। तप के दौरान 60 माघों का स्नान कल्याणी ने किया और अंत में वहीं पर उसने अपने प्राण त्याग दिए। माघ मास में स्नान का पुण्य ऐसा हुआ कि उन्होंने परम सुंदरी अप्सर तिलोत्तमा के रूप में अवतार लिया और इंद्रलोक चली गईं।

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