श्रीगंगानगर। यह खबर उन लाखों पेरेंट्स के लिए बड़ी चिंता पैदा करने वाली है, जिनके बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। रायसिंह नगर में चार दिन पहले एक गांव में 12 साल के लड़के ने 6 साल अपनी बहन से रेप किया। पुलिस ने शुक्रवार को बच्चे को हिरासत में ले लिया।
शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि बच्चा मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखा करता था और उसे यह लत ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान लगी। पोर्न वीडियो देखने के बाद उसके दिमाग में निगेटिविटी आती गई और उसने इस छोटी सी उम्र में शर्मनाक घटना को अंजाम दे डाला।
आरोपी कक्षा 6 का स्टूडेंट
शुरुआती पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी कक्षा 6 का स्टूडेंट है। कोरोना के चलते वह एक साल से स्कूल नहीं जा रहा था और अपने पिता के मोबाइल फोन पर ही पढ़ाई करता था। मोबाइल पर पढ़ाई करते-करते ही उसे अश्लील वीडियो का लिंक आया, जिस पर उसने अनजाने में क्लिक कर दिया। इसके बाद से वह पोर्न वीडियो देखने का आदी हो गया।
बच्चों पर पेरेंट्स कैसे निगरानी रखें
- ऐप्स के जरिए- मोबाइल फोन में अगर बच्चे पोर्न देख रहे हैं तो हिस्ट्री डिलीट करना भी जानते होंगे। ऐसे समय पर आपकी मदद कुछ खास ऐप्स कर सकते हैं। ध्यान रहे इन ऐप्स का इस्तेमाल तब तक ना करें, जब तक आपको पूरी तरह से यकीन ना हो जाए कि आपका बच्चा कुछ गलत देख रहा है। Covenant Eyes, Kids Place – Parental Control, Abeona – Parental Control & Device Monitor जैसे ऐप्स हैं जो ऐसा करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
- कुकीज के जरिए- क्रोम ब्राउजर में जाकर सेटिंग में जाएं। इसमें स्क्रॉल करके नीचे जाएं और Site Setting ऑप्शन पर टैप करें। यहां जाकर कुकीज (Cookies) ऑप्शन ऑन कर दें। इसके बाद सर्च हिस्ट्री डिलीट होने पर भी आपको पता चल जाएगा कि फोन में कैसी साइट्स देखी गई हैं। कुकीज यूजर द्वारा विजिट की गई साइट्स, एक्टिविटी और किसी वेबसाइट पर स्पेंड किए गए समय की इंफॉर्मेशन सेव रखती हैं। फिर आप देख सकते हैं कि आपके बच्चे ने किस-किस तरह की साइट्स देखी।
भारत में 96% बच्चे मोबाइल इस्तेमाल करते हैं
एक कार्टून चैनल की रिसर्च के मुताबिक, भारत में 96% बच्चे ऐसे घरों में रह रहे हैं, जहां मोबाइल फोन इस्तेमाल होता है। इनमें से 73% मोबाइल फोन यूजर बच्चे हैं और वे भी रोज मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं।
लत कोई भी हो खराब होती है और अगर लत पोर्न की है, तो फिर यह बेहद खतरनाक है। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 19 साल के बच्चों में पोर्न एडिक्शन बढ़ गया है। दुनिया के कई देश अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं। पाकिस्तान में इसके खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है और टीनएजर्स को जागरूक किया जा रहा है।
भारत में पोर्न 2015 से ही बैन है। लेकिन, जो चीज इंटरनेट पर सहज उपलब्ध हो, उस पर बैन जैसे कदम महज औपचारिकता ही होते हैं। आज के समय में टीनएजर्स दूसरे देशों के VPN का इस्तेमाल कर इसे एक्सेस कर रहे हैं। आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इस बात पर हम क्यों फोकस कर रहे हैं?
शारीरिक-मानसिक कमजोरी लाता है पोर्न
इंदौर के साइकैट्रिस्ट डॉ. श्रीकांत रेड्डी कहते हैं कि बच्चों के ऊपर पोर्न का बेहद गंभीर असर पड़ता है। वे न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं। हालांकि, बच्चों में पोर्न एडिक्शन जैसा कोई ऑफिशियल टर्म नहीं है। यह दो शब्दों को मिलाकर बना एक जनरल टर्म है। 10 से 11 साल के बच्चों में इस तरह की समस्या ज्यादा देखने में आती है। भारत में लॉकडाउन के बाद से बच्चों के हाथ में लगातार फोन आने की वजह से यह समस्या और तेजी से बढ़ी है।
अप्रैल 2020 को बिजनेस इनसाइडर में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ( ICPF) ने दावा किया था कि भारत में लोगों ने चाइल्ड पोर्न को सबसे ज्यादा सर्च किया। इसके अलावा एक पोर्न बेवसाइट ने बताया था कि 24 से 26 मार्च 2020 के बीच भारत में उसका ट्रैफिक 95% तक बढ़ा है। इनमें से ज्यादातर बच्चे थे।
पोर्न एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये तरीके
1. ऐसा क्या है जो पोर्न देखने पर ट्रिगर करता है
- एक्सपर्ट्स की मानें तो इस उम्र में बच्चे जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। यह सब एक्सीडेंटली ही होता है, जो बच्चों को पोर्न देखने के लिए उकसाता है। अगर बच्चे इंटरनेट पर कुछ देख रहे हैं, तो उनसे किसी ऐसी लिंक पर क्लिक हो जाता है, जो उन्हें पोर्न वेबसाइट तक ले जाती हैं। उनके अंदर इस तरह की वीडियो देखने की जिज्ञासा बढ़ जाती है। बच्चों को इससे बचाने के लिए उन्हें समझाना होगा कि अगर आप गलती से किसी पोर्न लिंक पर चले गए हैं, तो उस तरह के वीडियो देखने से बचें।
2. पोर्न देखने के सोर्स किल करें पैरेंट्स
- जागरूक पेरेंट्स के तौर पर बच्चों को पोर्न से दूर रखने के लिए ऐसे सोर्स को किल करें, जिससे वे ऐसी चीजें एक्सेस कर सकते हैं। अगर बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन चल रही हैं और वे लगातार इंटरनेट एक्सेस कर रहे हैं, तो सॉफ्टवेयर की मदद से पोर्न से जुड़ी सारी साइट्स को ब्लॉक कर सकते हैं। बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करें और हो सके तो उनसे ऐसे मुद्दों पर खुलकर बात करें।
3. एडिक्शन का पता चलने पर बच्चों को डिस्ट्रेक्ट करें
- पैरेंट्स के तौर पर अगर आपको पता चल जाता है कि आपका बच्चा पोर्न एडिक्ट है, तो सबसे पहले उसका फोकस किसी और चीज पर शिफ्ट करने की कोशिश करें। बच्चों को उनके इंटरेस्ट की दूसरी चीजों में बिजी रखने की कोशिश करें। फिल्म, म्यूजिक और स्पोर्ट्स बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं।
4. पैरेंट्स अपने स्तर पर क्या कर सकते हैं?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बच्चों को पोर्न की लत से बचाना है, तो पेरेंट्स को सबसे पहले बच्चे की परेशानी को समझना होगा। कहीं बच्चा अकेलापन तो महसूस तो नहीं कर रहा है। या फिर किसी तरह का डिसऑर्डर तो नहीं हो गया है। पेरेंट्स या तो बच्चे से खुद बात कर सकते हैं या फिर काउंसलर के पास भी जा सकते हैं। बच्चों को समझाना होगा कि यह एक तरह की बीमारी है। इससे बचना चाहिए। यह बैड हैबिट्स में आता है।
5. टीचर अपने स्तर क्या कर सकते हैं?
- अक्सर स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को लेकर बच्चों में शर्म रहती है। कई बार टीचर भी इस तरह के टॉपिक को छोड़ देते हैं। अगर टीचर बच्चों को इस तरह की चीजों से अवेयर करेंगे, तो ऐसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
- टीचर बच्चों से कह सकते हैं कि इस तरह की बातों में समय बर्बाद करने से अच्छा है, पढ़ाई पर फोकस करें। बच्चों में इस तरह की भावनाएं पैदा न हो, इसके लिए टीचर अपनी तरफ से हफ्ते में एक बार उनकी काउंसलिंग भी कर सकते हैं।
6. थैरेपी और काउंसलिंग से मिलेगी मदद
- अगर बच्चों में पोर्न की लत लग गई है, तो इससे बचने के लिए थैरेपी बेस्ट विकल्प है। बच्चों में पोर्न की लत मानसिक बीमारियों की वजह बन सकती हैं।
- कई बार बच्चे, टीचर्स और पेरेंट्स एक दूसरे के साथ ऐसे मुद्दों पर बात करने में कंफर्टेबल नहीं रहते हैं। ऐसी स्थिति में थेरेपिस्ट या मेडिकल प्रोफेशनल से काउंसलिंग करा सकते हैं। इससे उन्हें पोर्न से दूर रहने में मदद मिल सकती है।