असम के कैंडिडेट्स की बाड़ेबंदी: BJP की सेंधमारी से बचाने जयपुर लाए गए AIUDF के कैंडिडेट, कांग्रेस के प्रत्याशी भी जल्द पहुंचेंगे; नतीजे आने तक यहीं रहेंगे
असम से AIUDF के कैंडिडेट्स को लाकर जयपुर के फेयरमोंट रिसॉर्ट में रखा गया है।
जयपुर एक बार फिर सियासी बाड़ेबंदी का केंद्र बन गया है। असम में वोटिंग के बाद कांग्रेस के सहयोगी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के विधानसभा उम्मीदवारों को बाड़ेबंदी के लिए जयपुर लाया गया है। दोपहर बाद गुवाहाटी से 18 नेता जयपुर पहुंचे। इनमें से कुछ उम्मीदवारों के परिवार के सदस्य बताए जा रहे हैं। गठबंधन को आशंका है कि चुनाव के बाद भाजपा इन कैंडिडेट्स को तोड़ने की कोशिश कर सकती है। लिहाजा, नतीजे आने से पहले ही इनकी बाड़ेबंदी का फैसला किया है।
अभी असम में कांग्रेस की सहयोगी AIUDF के उम्मीदवारों को लाया गया है, एक-दो दिन में कांग्रेस के उम्मीदवारों को भी लाया जाएगा। 2 मई को नतीजे आने के बाद तक बाड़ेबंदी जारी रह सकती है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री गहलोत खेमे के विधायकों को जिस फेयरमोंट रिसॉर्ट में बाड़ेबंदी में रखा गया था, अब उसी होटल में असम के कैंडिडेट्स को रखा गया है। सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी और कांग्रेस विधायक रफीक खान बाड़ेबंदी की कमान संभाल रहे हैंं। कांग्रेस ने असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था।
असम ये नेता लाए गए हैं जयपुर
असम से शुक्रवार को जयपुर पहुंचे AIUDF नेताओं में सुहाना रहमान, असमा खातून, समसुल हुडा, हफीज बसीर अहमद, मिनाक्षी रहमान, अब्दुल्ला अमीन, निजानुर रहमान, रजीब अहमद, अमीनुल इस्लाम, सुजामुद्दीन लश्कर, निजामुदृदीन चौधरी, नजरूल हक, अमीनुल इस्लाम, असरफुल हुसैन, करीमुद्दीन बरभुइय्या, नरूल हुडा और जाकिर हुसैन शामिल हैं।
महेश जोशी बोले- भाजपा कर सकती है खरीद फरोख्त
सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा, ‘भाजपा के केंद्र में सत्ता में रहने तक विधायकों की खरीद-फरोख्त की गुंजाइश बनी ही रहती है। असम से आने वाले नेता हमारे मेहमान हैं। ये कितने दिन रहेंगे, हमने उनसे पूछा नहीं। हमारी जिम्मेदारी उनकी देखभाल की है। जब तक ठहरेंगे, तब तक हम उनकी अच्छे से खातिरदारी करेंगे। हम तो सबको अपना मेहमान मान रहे हैं। राजस्थान का नारा है पधारो म्हारे देस…।’
कांग्रेस और सहयोगी दलों की बाड़ेबंदी के लिए राजस्थान सबसे सेफ
मौजूदा राजनीतिक हालात में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेताओं और विधायकों की बाड़ेबंदी के लिए सबसे सुरक्षित राज्य है। मुख्यमंत्री गहलोत का लंबा राजनीतिक अनुभव होने के साथ उनके साथ कांग्रेस हाईकमान का विश्वास भी है। इसीलिए जब भी बाड़ेबंदी होती है, तब राजस्थान की चुनाव ही किया जाता है।
बाड़ेबंदी और सियासी पर्यटन का हब बन रहा राजस्थान
पिछले 2 साल में राजस्थान सियासी बाड़ेबंदी और राजनीतिक पर्यटन का हब बनता जा रहा है। नवंबर 2019 में महाराष्ट्र के विधायकों की जयपुर के दिल्ली रोड स्थित रिसॉर्ट में बाड़ेबंदी की गई। इसके बाद फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों की दिल्ली रोड के होटल और रिसॉर्टस में बाड़ेबंदी की गई थी।
गुजरात के विधायकों की बाड़ेबंदी पिछले साल मार्च आखिर में लॉकडाउन लगने के बाद खत्म की गई थी। पिछले साल मई में राजस्थान के राज्यसभा चुनावों में तोड़फोड़ की आशंका को देखते हुए राज्य के कांग्रेस विधायकों की 10 दिन से ज्यादा की बाड़ेबंदी हुई। इसके बाद जुलाई-अगस्त 2020 में सचिन पायलट की बगावत के बाद 34 दिन तक राजस्थान के राजनीतिक इतिहास की सबसे लंबी विधायकों की बाड़ेबंदी चली थी।