पंजाब पर बढ़ रहा बोझ:3 साल से बजट की पूरी राशि खर्च नहीं कर पाई कैप्टन सरकार, फिर भी बढ़ता गया कर्ज; 8 साल बाद हो जाएगा दोगुना

बता दें कि सोमवार को विधानसभा में वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल द्वारा प्रस्तुत लेखे-जोखे में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सरकार को 1,62,599 करोड़ का राजस्व आने का अनुमान है, वहीं सरकार ने 1,68,015 करोड़ का अनुमानित खर्च प्रस्तुत किया है। इस हिसाब से यह 5,416 करोड़ के घाटे वाला बजट है। वहीं, सरकार की तरफ से 24,240 करोड़ रुपए का वित्तीय घाटा दिखाया गया है।

चंडीगढ़। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने सोमवार को अपने कार्यकाल के अंतिम बजट में हर किसी को कुछ न कुछ देने की कोशिश की है। भले ही चुनावी आहट के चलते सूबे की जनता को लुभाने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन आलोचनात्मक पहलू भी है। यह किसी विपक्षी दल की आलोचना नहीं है, बल्कि आंकड़े खुद बोलते हैं। अगर इन पर गौर करें तो सरकार के लिए चार्वाक दर्शन याद आ रहा है। इस नाम के आते ही अपने आप प्राचीन भारतीय भौतिकवादी नास्तिक दर्शन जेहन में उभरता है, ‘यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा, घृतं पिबेत्’ (जब तक जीओ सुख से जीओ, उधार लो और घी पीयो)’। दरअसल, महालेखाकार (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब सरकार ने तीन साल में अपने तय बजट की राशि भी खर्च नहीं की और फिर भी कर्ज बढ़ गया।

बता दें कि सोमवार को विधानसभा में वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल द्वारा प्रस्तुत लेखे-जोखे में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सरकार को 1,62,599 करोड़ का राजस्व आने का अनुमान है, वहीं सरकार ने 1,68,015 करोड़ का अनुमानित खर्च प्रस्तुत किया है। इस हिसाब से यह 5,416 करोड़ के घाटे वाला बजट है। वहीं, सरकार की तरफ से 24,240 करोड़ रुपए का वित्तीय घाटा दिखाया गया है। इसका कारण सरकार की तरफ से पिछला कार्यकाल पूरा कर चुकी शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन की सरकार की कारगुजारी को बताया जा रहा है। इस बारे में पिछले चार साल से कहा जा रहा है कि पंजाब पर 31 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का ब्याज भारी पड़ रहा है। किसानों की फसलों के भुगतान के लिए केंद्र सरकार से ली जाने वाली कैश-क्रेडिट लिमिट (CCL), जिसे पिछली सरकार कर्ज में तब्दील कर गई।

इतना ही नहीं कर्ज के आंकड़ों पर नजर डालें तो 8 साल में पंजाब के कर्ज का मर्ज बढ़ता ही जा रहा है। 2016-17 में प्रदेश पर 1.82 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। 2017-18 में 1.95 लाख करोड़ हो गया। 2018-19 में 2.11 लाख करोड़ हो गया तो फिर 2019-20 में बढ़कर यह बोझ 2.28 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड किया गया। अगले वित्त वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 2,52,880 करोड़ रुपए हो गया और अब 2021-22 में 2,73,703 करोड़ हो जाने का अनुमान है।

कैग ने साल 2019 के खत्म हुए वित्तीय वर्ष तक की रिपोर्ट में कई जगह पर काम में ढिलाई की वजह से करोड़ों रुपए के नुकसान का भी जिक्र किया है। राज्य पर बढ़ते कर्ज के बोझ पर भी चिंता जताई है। यह भी कहा गया है कि कई विभागों में तय फंडों को खर्च न करके इनको डायवर्ट कर दिया गया। CAG ने अपनी रिपोर्ट में राज्य पर बढ़ते जा रहे कर्ज पर चिंता जताई और कहा है कि अगर आमदनी और खर्च का औसत यही रही तो कर्ज बढ़कर 2028-29 में 6.33 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। इससे निपटने के लिए या तो राज्य सरकार को अपनी आमदनी बढ़ानी होगी या फिर और कर्ज लेना होगा।

अधूरे प्रोजेक्टों के चलते 390 करोड़ का नुकसान
CAG ने सिंचाई विभाग के प्रोजेक्टों का भी अध्ययन किया है, जिन पर पिछले 10 साल से काम चल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि इन प्रोजेक्टों को तय समय में पूरा न करने के चलते विभाग को 390 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

श्रमिक कल्याण सेस के 1078 करोड़ नहीं खर्च पाई सरकार
पंजाब में लोक निर्माण के कार्य पर लगे एक फीसद सेस का भी CAG ने 10 साल का अध्ययन किया और पाया कि सरकार श्रमिकों के कल्याण पर 1073 करोड़ खर्च नहीं कर पाई है। 10 साल में श्रमिक बोर्ड को 1,715 करोड़ रुपए मिले, जिसमें सरकार मात्र 7 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई। विभिन्न कार्यों के लिए रखे 1,324 करोड़ रुपए का फंड भी अन्य कार्यो में डायवर्ट कर दिया गया।

रिपोर्ट ने जाखड़ के झूठ का पर्दाफाश किया: मजीठिया
इस मसले पर पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कांग्रेस सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को घेरा है। उन्होंने कहा कि जाखड़ ने दावा किया था कि 8 मार्च को पेश किया जा रहा आगामी बजट शून्य घाटे वाला बजट होगा, लेकिन सच्चाई सबके सामने है। CAG की रिपोर्ट झूठ नहीं बोलती। बस जाखड़ को अपनी सरकार के बारे में झूठ बोलकर अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने की आदत है। स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा दिए जा रहे संकेत ठीक नहीं है।

इनोवेटिव आइडियाज अपनाने होंगे
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए और कर्ज का बोझ कम करने के लिए सरकार को अपना राजस्व बढ़ाने पर फोकस करना होगा। इसके लिए इनोवेटिव आइडियाज को अपना कर नई पहल करनी होगी। कृषि आधारित राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा। किसान की आमदनी बढ़ाने के लिए इंतजाम करना होगा, इसके लिए गेहूं धान के अलावा अन्य फसलों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद को सुनिश्चित करना होगा। पर्यटन, विश्व स्तरीय कृषि रिसर्च, तकनीक, IT हब बनाने होंगे। साथ ही कृषि के साथ-साथ औद्योगीकरण को भी प्रोत्साहित करना होगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.