नवजोत सिद्धू की सुप्रीम कोर्ट से गुहार:मुझसे हथियार नहीं मिला; कोई दुश्मनी भी नहीं थी; लोगों का भला किया; रोडरेज केस में सजा न दी जाए
चंडीगढ़. पंजाब कांग्रेस चीफ पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें रोडरेज मामले में सजा न दी जाए। सिद्धू के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल हुई है। जिसमें सिद्धू ने एफिडेविट दाखिल किया है। सिद्धू ने कहा कि पिछले 3 दशक में उनका राजनीतिक और खेल करियर बेदाग रहा है। राजनेता के तौर पर उन्होंने न सिर्फ अपने विस क्षेत्र अमृतसर ईस्ट बल्कि सांसद के तौर पर बेजोड़ काम किया है। उन्होंने लोगों के भले के लिए कई काम किए हैं। उनसे कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ और उनकी मरने वाले से कोई दुश्मनी भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाए। उन्हें दी गई 1 हजार जुर्माने की सजा पर्याप्त है।
Review Against Reduction Of Sentence: Supreme Court Asks Navjot Singh Sidhu To File Reply In Two Weeks @sherryontopp,@Shrutikakk https://t.co/kTyOLTRcKZ
— Live Law (@LiveLawIndia) February 25, 2022
34 साल पुराना केस, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
सिद्धू के खिलाफ 34 साल पुराना रोडरेज का मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। यह घटना 1988 में हुई थी। जिसमें पार्किंग को लेकर हुए झगड़े में बुजुर्ग की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने सिद्धू को सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल हुई है। पहले इस मामले की सुनवाई 3 फरवरी को हुई थी। हालांकि सिद्धू के चुनाव लड़ने की वजह से SC ने इसे 25 फरवरी तक के लिए टाल दिया था।
1988 road rage case | Supreme Court asks Congress leader Navjot Singh Sidhu's lawyer to file a reply on an application seeking to enlarge the scope of notice; Supreme Court lists the matter after two weeks.
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— ANI (@ANI) February 25, 2022
1988 का मामला, हाथापाई में हुई थी बुजुर्ग की मौत
सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 1988 का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया।
निचली अदालत ने किया बरी, हाईकोर्ट ने दी सजा
इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा। सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते 1999 में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले जुर्माना लगाकर छोड़ा
हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का) के मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया गया। जिसके लिए उन्हें जेल की सजा नहीं हुई लेकिन एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।
पीड़ित परिवार की यह मांग
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ अब मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। उनकी मांग है कि हाईकोर्ट की तरह सिद्धू को 304IPC के तहत सजा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया।