पंजाब को मिला ईद का बड़ा तोहफा:मालेरकोटला को बनाया गया 23वां जिला; अकेला ऐसा शहर जहां बहुसंख्यक मुसलमान, आज तक नहीं हुए सांप्रदायिक दंगे

बता दें कि मालेरकोटला पंजाब का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां बहुसंख्यक मुसलमान रहते हैं। मालेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने सरहिंद के सूबेदार का विरोध करते हुए श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों के पक्ष में अपनी आवाज उठाई थी। इसके चलते पंजाब के इतिहास में उनका एक सम्मानित स्थान है।

चंडीगढ़। ईद के मौके पर पंजाब को एक बड़ा तोहफा मिला है। मालेरकोटला को सूबे का 23वां जिला बना दिया गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ईद-उल-फितर के मौके पर मालेरकोटला को जिला घोषित किया। मालेरकोटलावासियों के लिए उपहारों की घोषणा करते हुए कहा कि शेर मोहम्मद खान के नाम पर 500 करोड़ रुपये की लागत से मालेरकोटला में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी। 12 करोड़ रुपये की लागत से लड़कियों के लिए एक और कॉलेज स्थापित किया जाएगा। एक बस स्टैंड, एक महिला थाना भी बनेगा, जिसे सिर्फ महिला कर्मचारी ही चलाएंगी।

बता दें कि मालेरकोटला पंजाब का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां बहुसंख्यक मुसलमान रहते हैं। मालेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने सरहिंद के सूबेदार का विरोध करते हुए श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों के पक्ष में अपनी आवाज उठाई थी। इसके चलते पंजाब के इतिहास में उनका एक सम्मानित स्थान है। नवाब शेर मुहम्मद खान ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को जीवित दीवार में चिनवा देने के आदेश का खुलेआम विरोध किया था।

नवाब शेर मुहम्मद खान के इस बहादुरी भरे कदम के बारे में पता लगने पर दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और मालेरकोटला की सुरक्षा का वचन दिया था। गुरु साहिब जी ने नवाब शेर मुहम्मद खान को श्री साहिब भी भेजा था। इससे पहले जनवरी में सरकार ने मालेरकोटला में मुबारिक मंजिल पैलेस के अधिग्रहण, संरक्षण और उपयोग की स्वीकृति दी थी। बेगम मुनव्वर उल निसा ने प्रदेश सरकार को लिखा था कि मुबारक मंजिल पैलेस मालेरकोटला की वह इकलौती मालिक हैं और वे इस संपत्ति को प्रदेश या पर्यटन व सांस्कृतिक मामले विभाग सहित किसी भी व्यक्ति को देने के पूरे अधिकार रखती हैं।

मालेरकोटला लुधियाना-संगरूर रोड पर स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1657 में हुई थी। सन् 1947 में इसे पंजाब में मिला लिया गया। मालेरकोटला वो शहर है, जहां एक 60 साल पुरानी मस्जिद और तीन साल पुराने मंदिर की दीवार साझी है। यहां मुसलमान हनुमान मंदिर के बाहर प्रसाद बेचता है और एक ब्राह्मण अपनी प्रेस में रमजान के ग्रीटिंग कार्ड छापता है। मुस्लिम बहुल शहर है, लेकिन यहां आज तक सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए। बंटवारे के समय भी ऐसा कुछ नहीं हुआ। यहां मुसलमान माता की चौकी पर आते हैं और हिंदू इफ्तार के लिए शरबत तैयार करते हैं।

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