चंडीगढ़। पंजाब में काेरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखने के बाद अब सरकार ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। फूड एंड ड्रग विभाग ने अब ऑक्सीजन तैयार करने वाली यूनिटों को दूसरे राज्यों को सप्लाई करने पर कुछ पाबंदी लगाई है। जिसमें खासतौर पर ऑक्सीजन तैयार करने वाली ईकाईयों को कहा गया है कि वह पहले अपने राज्य में ऑक्सीजन सप्लाई का ध्यान रखें।
क्योंकि काेराेना वायरस के संक्रमण की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हो चुकी है। इसलिए कई मरीजों को ऑक्सीजन सपाेर्ट पर भी रखा गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है। इन यूनिटों को कहा गया है कि ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सूबे को प्राथमिकता दें। फूड एवं ड्रग विभाग के जाॅइंट कमिश्नर प्रदीप कुमार ने कहा कि मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर जरूरी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
रिपोर्ट में बताना होगा कितनी ऑक्सीजन तैयार की और कितनी बेची गई
राज्य की 10 इकाइयों में मेडिकल ऑक्सीजन बनती है। यहां से हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड से भी ऑक्सीजन की सप्लाई होती है। अब सूबे में ऑक्सीजन की मांग 100 मीट्रिक टन तक है। ऐसे में फूड एंड सेफ्टी विभाग की ओर से पंजाब की ईकाईयों को पत्र लिख कर दूसरे राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन की बिक्री और सप्लाई करने को मना किया गया है। साथ ही पंजाब की रोजाना ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए कहा गया है।
रोज रिपोर्ट न बनाने वाली कंपनियों का रद्द हो सकता है लाइसेंस
इसके अलावा इन यूनिटों को अपनी एक डेली बेस रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी। जिसमें यह बताना होगा कि हर रोज कितनी आक्सीजन बनाई और कितनी बेची गई एवं कितनी स्टॉक में है। अगर किसी भी यूनिट से यह रिकार्ड मेंटेन नहीं रखा तो उसका लाइंसेस तक रद्द हो सकता है। क्योंकि यह वायरस जब मरीजों में सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है तो मरीज को ऑक्सीजन और वेंटीलेंटर स्पोर्ट पर रखा जाता है।
ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या हर माह बढ़ रही
ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ने वाले मरीजों की संख्या हर महीने बढ़ती जा रही थी। इसके बाद जब विभाग के अधिकारियों ने डाटा एनालाइज किया तो सितंबर में वायरस के पीक पर आने की संभावना के चलते ऑक्सीजन का प्रबंध पहले से ही करके रखने का कदम उठाना जरूरी लगा।
ओवर चार्जिंग को लेकर सख्त हुआ विभाग
अगर किसी दूसरे सूबे को ऑक्सीजन सप्लाई करनी पड़ती है तो ऐसे में अब इन ईकाईयों को जोनल लाइसेंसिंग अथाॅरिटी से लिखित में इजाजत लेनी होगी। इसके अलावा इन यूनिटों को केंद्र सरकार एवं नेशनल फार्मास्टियूकल प्राइसिंग अथाॅरिटी द्वारा निर्धारित पैसे चार्ज करने होंगे। अगर ऐसा नहीं किया तो इन यूनिटों को जरूरी वस्तु एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। विभाग ओवर चार्जिंग को लेकर पूरी तरह से सख्ती बरतने के मूड में है। अगर ऐसा करता कोई पाया गया तो विभाग के अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई करने से गुरेज नहीं करेंगे।