घर वापसी / कुवैत से 177 पंजाबी चंडीगढ़ पहुंचे, चार महीने से नहीं मिली सैलरी, कई रातें भूखे साेकर गुजारीं

कुवैत से रविवार शाम 8 बजे लाैटे पंजाबी, सभी को उनके जिलों में भेजकर सरकार ने किया क्वारेंटाइन कुवैत से भारतीयाें काे लेकर 14 जुलाई को एक और फ्लाइट दिल्ली पहुंचेगी

लुधियाना. कुवैत ने 8 लाख भारतीयों को वापस भेजने का बिल पास किया है। हालांकि इस बिल को अभी वहां की संसद से मंजूरी मिलनी बाकी है। लेकिन कोरोना से वहां हालात बिगड़े हुए हैं। कई नामी कंपनियां बंद हो चुकी हैं। इससे वहां काम करने वाले पंजाबी भी मुसीबत में आ चुके हैं। ऐसे ही वहां फंसे और मुसीबत के मारे 177 पंजाबियों को शहीद भगत सिंह एनजीओ की मदद से पंजाब भेजा गया। इनकी फ्लाइट रविवार शाम करीब 8 बजे चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर लैंड हुई।

कोरोना काल के चलते सरकार ने सभी को रात में ही होम डिस्ट्रिक्ट रवाना कर दिया और उनके जिलों में बनाए गए सेंटरों में क्वारेंटाइन करने की व्यवस्था की गई है। कुवैत से शहीद भगत सिंह एनजीओ के मेंबर रमन शर्मा ने कहा कि यहां हालात खराब हो चुके हैं। कंपनियों ने भारतीयों को वेतन देना बंद कर दिया है। जिन कंपनियों ने सिम दे रखे थे, वो भी कई लाेगाें से वापस ले लिए गए हैं। रविवार को 177 पंजाबी भेजे हैं। ये पंजाब के अलग-अलग जिलों से हैं। जबकि 6 फ्लाइट्स के जरिए 1032 पंजाबियों को भेजा जा चुका है। कुवैत से अगली फ्लाइट दिल्ली के लिए 14 जुलाई को रवाना होगी।

पैसे अरेंज कर भेजे, तब लौट रहा है बेटा

लुधियाना के काराबारा निवासी सुरिंदर कुमार डेढ़ साल पहले कुवैत गए थे। सुरिंदर के पिता मदन लाल ने बताया कि उनका बेटा जिस कंपनी में ड्राइवरी करता था। उसने 4 महीनों से सैलरी नहीं दी। उन्हें खाने का खर्चा कंपनी से मिलता था। किसी तरह चंडीगढ़ पहुंचे हैं। समराला के कुलविंदर सिंह के भाई ने बताया कि कुलविंदर सिंह कुवैत में ट्रक ड्राइवर था। 7 महीने पहले शादी करके गया था। वहां कंपनी ने सैलरी देने से मना कर दिया है। तीन-चार महीनों से कमरा रहने को दे रहे थे। खाना भी नहीं देते थे। टिकट के पैसे भेजे हैं तब लाैट रहा है।

सिम छीना ताकि किसी को वहां के हालात न पता चलें 

अमृतसर निवासी सुखजिंदर सिंह की पत्नी मंजीत कौर ने बताया कि उनके पति परेशानी में आ गए थे। कंपनी सैलरी नहीं दे रही। खाना नहीं दिया। दोस्तों की मदद से गुजारा चला रहे थे। एनजीओ पे फ्लाइट का अरेंजमेंट किया तो कुछ पैसे जो बचाए थे, उसके सहारे लौट रहे हैं। 6 महीने पहले ही गए थे। कंपनी ने सिम छीन लिया ताकि वहां के हालात किसी को न पता चलें। जालंधर निवासी परमपाल सिंह के भाई हरविंदर सिंह ने बताया कि कुवैत में उनका भाई कारपेंटर था। फरवरी में कंपनी ने निकाल दिया। तब से वहां बैठा था। कंपनी की तरफ से सिर्फ रोटी का खर्च दिया गया। ऐसे में पंजाब वापस आने के लिए उन्होंने वहां पर पैसे इधर-उधर से मांग कर इक्ट्‌ठे किए तो आ पाए हैं। कंपनी की तरफ से सैलरी दी ही नहीं गई। जगराओं निवासी बलराज सिंह के भाई सिमरनजीत सिंह ने बताया कि कुवैत की जिस कंपनी में उसका भाई डेढ़ साल से काम कर रहा था, उसने निकाल दिया। कहा कि स्टाफ कम किया जा रहा है लिस्ट में आपका नाम है। इसलिए आप वापस इंडिया चले आ ओ। 3 महीनों से न तो सैलरी और न ही खाने का खर्चा दिया। टिकट के पैसे भी अरेंज करके यहां से भेजे तब वापस आ रहा है।

एनजीओ का संदेश-हाउसमेड वीजा लगवाकर न जाएं, बहुत प्रताड़ित करते हैं

एनजीओ शहीद भगत सिंह मेंबर रमन शर्मा ने कुवैत से भास्कर को बताया कि वहां से कोई भी महिला और पुरुष कुवैत में हाउस मेड का वीजा लगाकर न आए। यहां उनसे बहुत बुरा व्यवहार हाेता है। 15 घंटे काम कराते हैं और मारपीट भी करते हैं। रविवार को जिस फ्लाइट में 177 लोगों को भेजा है, उनमें से एक महिला को रेस्क्यू करके भेजा है। कुवैत में ब्यूटी पार्लटर में काम करने के लालच में यहां भेजा गया था, लेकिन उनके साथ बहुत ही गंदी हरकते की गई हैं। कुवैत में हर हाउस मेड से बुरा सलूक होता है।

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