पंजाब में मानव तस्करी : लाॅकडाउन में माता-पिता की नौकरी गई तो बच्चों को भेजा था पैसे कमाने, 27 में से 15 बच्चे ही पुलिस के पास 12 अभी भी लापता

काउंसलिंग कर सिखाते रहे कोई पूछे तो पढ़ाई और नौकरी का बताना, अफसरों के सवालों पर बच्चे चुप, 12 बच्चों को अमृतसर जाना था, पर किसी ने बीच में ही उतार लिया, पुलिस कर रही खोजबीन

लुधियाना. मानव तस्करी कर बिहार के 27 बच्चों को पंजाब-हिमाचल के अलग जिलों में ले जाने के मामले में सभी आरोपियों की ओर से उनकी काउंसलिंग की गई। इसमें उन्हें पढ़ाई और नौकरी के बारे में बताने की बात सिखाई गई। मगर अधिकारियों के सवालों पर चुपी साधने पर शक होने के बाद उक्त मामले का राज खुला। फिलहाल इनके पीछे कोई गैंग तो नहीं, इसकी पड़ताल के लिए बच्चों के परिजनों को सोमवार तक लुधियाना बुलाया गया है।

जहां उनके भी बयान लिए जाएंगे। विभागीय सूत्र बताते हैं कि बच्चों से जब सवाल किया गया कि वो कहां जा रहे हैं तो कुछ ने जवाब दिया कि वो पढ़ना चाहते हैं और उन्हें पढ़ाई के लिए ले जा रहे हैं। जब आरोपियों से पूछा कि उन्हें कहां पढ़ाएंगे तो वो बोले कि उनके घर के पास एक महिला पढ़ाती है, उसके पास पढ़ाना था।

टीम ने कहा कि क्या वो सर्टिफिकेट देगी तो किसी का जवाब नहीं आया। पुलिस ने पूछा कि अगर वो बच्चों के रिश्तेदार हैं तो उनसे बात करवाओ, जिसमें कुछ के परिजनों से बात हो पाई। जिन्हें उन्हें रिश्तेदार नहीं, बल्कि गांव का जानकार बताया। पुलिस को कई सवालों पर शक हुआ, जिसके बाद पुलिस का शक और बढ़ गया। फिलहाल इसी पर पूछताछ की जा रही है।

दूसरी बोगियों में बैठाए गए 12 बच्चे जाने थे अमृतसर, मगर रास्ते में ही ट्रेन रोक उतारे
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो 27 बच्चे लेकर आए थे। इसमें से 12 को अमृतसर में छोड़ना था। लुधियाना में 15 बच्चे पकड़े जाने के बाद चाइल्ड लाइन और पुलिस ने अमृतसर को भी अलर्ट कर दिया, लेकिन वो बच्चे अमृतसर पहुंचे ही नहीं, जोकि रास्ते में ही कहीं उतार लिये गए। पुलिस को शक है कि आरोपियों के साथ कुछ और लोग भी थे, जोकि बच्चों को रास्ते से निकालकर ले गए।

बच्चों का करवाया कोरोना टेस्ट
चाइल्ड लाइन केयर के कुलविंदर सिंह ने बताया कि उक्त सभी बच्चों का चाइल्ड लाइन की टीम द्वारा कोविड टेस्ट करवाया गया। जिसके साथ ही परिवार को सूचना दे दी गई। फिलहाल बच्चों को शिमलापुरी चाइल्ड केयर होम में रखा गया है, ताकि उनका रखरखाव सही ढंग से हो सके। जीआरपी के एसएचओ बलवीर सिंह ने बताया कि अमृतसर गए बाकी 12 बच्चों के बारे में अभी कुछ पता नहीं है, क्योंकि वो वहां पहुंचे ही नहीं। मगर आरोपियों से पूछताछ की गई है। सभी एंगल्स पर जांच कर रहे हैं।

जहां खुद करते थे काम, वहीं बच्चों को भेजना था
जांच में सामने आया है कि उक्त बच्चों के परिजनों ने उन्हें काम करवाने के लिए उनके साथ भेजा था, क्योंकि लॉकडाउन में उनकी नौकरियां चली गई थी। पंजाब और हिमाचल में जहां-जहां वो नौकरी करते थे, उन्हीं जगहों पर उनकी बात हो गई और उन्होंने अपने बच्चों को काम के लिए भेज दिया। जबकि कुछ तो कारण स्पष्ट नहीं कर पाए।

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