फिर शुरू होगा सुखबीर का ‘गल पंजाब दी’ कार्यक्रम:किसानों दे चुके हैं चेतावनी, शिअद ने मांगा संगठनों से मिलने को समय; मोगा लाठीचार्ज के बाद 6 दिन के लिए टाला गया था प्रोग्राम

चंडीगढ़। किसानों के विरोध-प्रदर्शनों के बाद रद्द किए अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल के ‘गल पंजाब दी’ कार्यक्रम बुधवार से दोबारा शुरू होने हैं। मगर किसान संगठनों ने इस पर अपनी अनुमति नहीं दी है। बल्कि सुखबीर को चेतावनी दे रहे हैं कि वह इस तरह से चुनाव रैलियां न करें। मोगा में हुए लाठीचार्ज आौर विरोध के बाद सुखबीर सिंह बादल ने इस कार्यक्रम को 6 दिन के लिए टाल दिया था। वहीं किसान संगठनों को बातचीत के लिए आह्वान के बावजूद बात नहीं होने के बाद अब शिरोमणी अकाली दल ने किसान संगठनों को पत्र लिखा है। पार्टी के सीनियर नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा की तरफ से लिखे गए इस पत्र में किसान संघर्ष के दौरान किए गए सहयोग और कृषि कानूनों पर अपने स्टैंड संबंधी बताया गया है।

पत्र में लिखा गया है कि एनडीए का हिस्सा होते हुए उन्होंने कृषि बिलों को किसानों के पक्ष में करवाने, किसानों की सहमती से ही इसे लागू करने का दबाव उनके साथ गठबंधन में रही पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बन बनाया था। मगर ऐसा नहीं हो सका, जिस कारण ही हमने केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा ही नहीं दिया, बल्कि उनका समर्थन भी छोड़ा है। चुनाव से पहले हर पार्टी को हक है कि वह अपनी बात लोगों तक पहुंचाए और उनकी बात सुने। मगर कुछ लोग सवालों के जवाब लेने की आड़ में हुल्डबाजी करते हैं और इसका नुकसान होता है। इसलिए किसान नेता शिअद द्वारा बनाई 3 सदस्य कमेटी से बैठकर विचार विमर्श करें और हमसे जो सवाल करने हैं, वह करें। इसके लिए समय तय कर लें और अपने संगठनों से भी सदस्यों का चुनाव कर लें।

संयुक्त किसान मोर्चा की चेतावनी के बावजूद सुखबीर करेंगे समारोह
बता दें कि सुखबीर सिंह बादल की तरफ से 100 दिन 100 विधानसभा क्षेत्र के प्रोग्राम के तहत ‘गल पंजाब दी’ जानने के लिए समारोह किए जा रहे हैं। मोगा में हुए लाठीचार्ज आौर विरोध के बाद सुखबीर सिंह बादल ने इस कार्यक्रम को 6 दिन के लिए टाल दिया था। कल यानि बुधवार को सुखबीर सिंह बादल ने अमलोह विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम करने हैं। मगर अभी तक इसके लिए किसान संगठनों की सहमति नहीं मिली है। जिस कारण सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या सुखबीर सिंह बादल यह कार्यक्रम करेंगे क्योंकि वहां भी विरोध हाोना लाजिमी है। जबकि वह पहले ही कह चुके हैं कि कृषि कानूनों पर सवाल पूछने की आड़ में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध के नाम पर हुल्लड़बाजी कर रहे हैं।

32 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सुखबीर सिंह बादल को पहले ही चेतावनी दी हुई है कि जब दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का संघर्ष चल रहा है और 800 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा है तो सुखबीर सिंह बादल का अपनी चुनाव रैलियां बंद कर देनी चाहिएं।

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