नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च को लेकर टिकरी समेत दिल्ली के बॉर्डरों पर अंतिम तैयारी हो चुकी है। मार्च में जाने वाले ट्रैक्टरों की लिस्ट तैयार होने के बाद देर रात तक ट्रैक्टरों को कतारबद्ध खड़ा किया जाएगा ताकि मंगलवार सुबह जब मार्च निकले तो किसी तरह की अव्यवस्था न हो और कोई ट्रैक्टर एक-दूसरे को ओवरटेक न करे। बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस भी खड़ी है और फिलहाल एंट्री पर बैरीकेडिंग की गई है ताकि रात को किसी तरह की अप्रिय घटना न हो। इससे पहले उन सभी ट्रैक्टरों के नंबर नोट किए जा चुके हैं, जो मार्च में शामिल होंगे। मार्च में जाने से पहले यूनियन के कार्यकर्ता दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर उन्हीं ट्रैक्टरों को अंदर जाने की इजाजत देंगे। ट्रैक्टर मार्च में हरियाणा की खाप पंचायतों से लेकर पंजाब के अलग-अलग जिलों व ब्लॉकों को भी प्रतिनिधित्व मिले, इसके लिए पूरी तैयारी की जा रही है। फिलहाल यह तय है कि एक ट्रैक्टर पर तीन ही लोग जा सकेंगे। टिकरी बॉर्डर पर ट्रैक्टर में पंजाब व हरियाणा से किसानों का पहुंचना देर रात तक जारी रहा।
आंदोलन पर चढ़ा देशभक्ति का रंग, किसान बोले – हम भी राष्ट्रीय पर्व मना रहे
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च से पहले किसान आंदोलन पर देशभक्ति का रंग चढ़ गया है। ‘हर करम अपना करेंगे, ए वतन तेरे लिए…’ और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ जैसे गाने और नारे 61 दिन से आंदोलन में डटे किसानों का जोश बढ़ा रहे हैं। यहां हर ट्रैक्टर पर तिरंगा लहरा रहा है। ट्रैक्टरों पर लगे डीजे पर देशभक्ति के गाने चारों तरफ गूंज रह हैं। सोमवार को ये नजारा दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर देखने को मिल रहा है। यहां करीब 20 किमी से ज्यादा हाइवे पर सिर्फ किसानों के ट्रैक्टर ही नजर आ रहे हैं। किसानों में सबसे ज्यादा उत्साह कल दिल्ली में होने वाले ट्रैक्टर मार्च काे लेकर है। किसान कहते हैं कि हम भी राष्ट्रीय पर्व मना रहे हैं। गणतंत्र दिवस हम सबका है।
अकेला पंजाब के किसान हैं.. सुन-सुनकर युवाओं ने डाले डेरे
टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में डटे गुरविंदर, मलकीत सिंह, प्रदीप सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार ने कृषि सुधार कानून बनाए तो विरोध पंजाब से ही शुरू हुआ। करीब एक महीने धरने चलते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। जब वो पंजाब से दिल्ली कूच कर गए तो कहा गया कि यह तो सिर्फ पंजाब के किसानों का आंदोलन है। कितने दिन बैठेंगे, सिर्फ पंजाब वाले ही तो हैं। यही सुन-सुनकर पंजाब का युवा भी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गया और वहां डेरा डालकर बैठे हैं। युवाओं को मलाल है कि लोकतंत्र में तो एक आदमी की बात भी सुनी जानी चाहिए, लेकिन फिर भी इतनी बड़ी संख्या में किसान आंंदोलन कर रहे हैं फिर भी कानून वापस नहीं लिया जा रहा।
पंजाब का ट्रैक्टर हरियाणा वाले मुफ्त में रिपेयर कर रहे, हर रोज पहुंच रही मदद
जालंधर से दिल्ली बॉर्डर पहुंचे किसान जसवंत सिंह व सतनाम सिंह कहते हैं कि अब यह आंदोलन सिर्फ पंजाब का नहीं, बल्कि देश का है। हर जगह से किसान आंदोलन में डटे हैं। पंजाब से चलते वक्त ट्रैक्टर खराब हुआ तो हरियाणा के भाईयों ने ठीक कर दिया और पैसे तक नहीं लिए। आंदोलन की जगह पर पहुंचे तो पता चला कि हर रोज सुबह ही हरियाणा के भाई सब्जी, दूध, लस्सी और पानी लेकर पहुंच जाते हैं। बठिंडा से टिकरी बॉर्डर पहुंचे गुरविंदर किसानों के लिए टूथब्रश, तिरपाल, साबुन जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजें लेकर पहुंचे हैं। वो कहते हैं कि यह ऐतहासिक आंदोलन है, जहांं आपस में इतना भाईचारा है कि शायद सगे-संबंधियों में भी न हो।
पंजाबी गानो भर रहे जोश
पंजाब की गायकी को कभी लचर व हिंसा-हथियारों को बढ़ावा देने वाला कहा जाता था लेकिन किसान आंदोलन ने गायकी भी बदल दी। अब चाहे किसान एंथम हो या फसलां दे फैसले किसान करूगा या तैनूं दिल्लीए नीं इकट्ठ परेशान करूगा…, ऐसे तमाम गीत आंदोलन में डटे किसानों में जोश भर रहे हैं।