जालंधर. पंजाब कांग्रेस में मची कलह शांत नहीं हो रही। गुरुवार को मीटिंग के बाद सिद्धू को मनाने का फॉर्मूला निकल गया था। अब अचानक CM चरणजीत चन्नी दिल्ली जा रहे हैं। जहां उनकी कांग्रेस हाईकमान से 2 बजे मुलाकात हो सकती है। चर्चा है कि सिद्धू को मनाने के लिए जो रास्ता निकाला गया, उससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जनता के बीच भी सरकार को लेकर गलत छवि जा सकती है। इसी को लेकर CM चन्नी दिल्ली जा रहे हैं। खासकर, सिद्धू को इस्तीफा वापस लेने से रोकने का जिम्मा भी चन्नी को दिया गया था। कल की मीटिंग के बाद वह अब पंजाब में पार्टी के हालात पर हाईकमान को रिपोर्ट देंगे।
यह भी संभावना है कि दिल्ली में वो केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से मिल सकते हैं। यह मुलाकात धान की खरीद शुरू न किए जाने के संबंध में हो सकती है।
यह निकाला गया है फॉर्मूला
पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से नवजोत सिद्धू के इस्तीफे में उलझी कांग्रेस ने सिद्धू की नाराजगी दूर करने का रास्ता निकाल लिया है। इसका फॉर्मूला कुछ ऐसा है कि न सिद्धू को झुकना पड़े और न ही सरकार को। सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रधान बने रहेंगे और सरकार के बड़े फैसलों में उनका दखल रहेगा।
इन 2 बड़े मुद्दों पर बनी सहमति
- सिद्धू ने DGP इकबालप्रीत सहोता को हटाने की मांग की थी। सरकार का कहना है कि उन्हें सिर्फ एडिशनल चार्ज दिया है और कागजों में दिनकर गुप्ता ही DGP हैं, लेकिन वे अभी छुट्टी पर हैं। CM चरणजीत चन्नी से सिद्धू की मीटिंग के बाद 10 नाम UPSC को भेज दिए गए हैं। वहां से 3 नाम फाइनल होंगे, उनमें से कोई एक DGP लगाया जाएगा। यह फैसला जल्द हो, इसके लिए सरकार UPSC से तालमेल करेगी। तब तक सिद्धू और हाईकमान के साथ CM की को-ऑर्डिनेशन कमेटी चर्चा कर लेगी।
- नए एडवोकेट जनरल (AG) एपीएस देयोल को हटाना एकदम संभव नहीं है। गवर्नर की तरफ से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद उन्हें नियुक्त किया गया है। इसलिए सिद्धू की मांग को देखते हुए रास्ता निकाला गया है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और उससे जुड़े गोलीकांड के केसों की जांच के लिए सरकार नई टीम तैयार बनाएगी।
DGP के लिए ये नाम भेजे गए-
पंजाब के अगले DGP के लिए भेजे गए 10 नामों में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, दिनकर गुप्ता, वीके भावरा, एमके तिवारी, प्रबोद कुमार, रोहित चौधरी, इकबालप्रीत सहोता, संजीव कालड़ा, पराग जैन और बीके उप्पल शामिल हैं। दिनकर गुप्ता का नाम वरिष्ठता के हिसाब से लिस्ट में शामिल है, हालांकि वे सेंट्रल डेपुटेशन के लिए आवेदन कर चुके हैं।
इसी सिलसिले में गुरुवार को चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में सिद्धू और CM चरणजीत चन्नी की बैठक हुई। इसमें सिद्धू को पद पर बने रहने के लिए सहमत करने की कोशिश की गई। हालांकि सिद्धू के काम के तरीके से अभी तक संशय बरकरार है कि वे इन मुद्दों पर सहमत हुए हैं या नहीं। अभी तक चन्नी या सिद्धू की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है।
सिद्धू को रखना कांग्रेस की मजबूरी
कांग्रेस हाईकमान ने इस पूरे मामले में नवजोत सिद्धू को झटका जरूर दिया है, लेकिन सिद्धू को बनाए रखना उनकी मजबूरी है, क्योंकि पंजाब में चुनाव की घोषणा होने में सिर्फ 3 महीने बचे हैं। सिद्धू की जिद के चलते पहले सुनील जाखड़ को पंजाब कांग्रेस प्रधान की कुर्सी से हटाया गया। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। सुखजिंदर रंधावा भी सिद्धू के विरोध के चलते CM नहीं बन सके। तो डिप्टी सीएम पद के लिए ब्रह्म मोहिंदरा का पत्ता सिद्धू ने आखिरी वक्त पर कटवा दिया। ऐसे में कांग्रेस चाहेगी कि सिद्धू की वजह से पार्टी में इतने बदलाव करने पड़े तो आने वाले विधानसभा चुनाव में उनका इस्तेमाल जरूर किया जाए।