चंडीगढ़। CM चरणजीत चन्नी दिल्ली पहुंच गए हैं। यहां अब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मीटिंग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद PM मोदी से उनकी पहली मुलाकात है। इसमें वो कृषि सुधार कानून वापस लेने, फसल खरीद में देरी न करने और करतारपुर कॉरिडोर खोलने की मांग कर रहे हैं।
इसके बाद पंजाब कांग्रेस की कलह को देखते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। सिद्धू के इस्तीफे के बाद यह उनका पहला दिल्ली दौरा है। चर्चा है कि सिद्धू को मनाने के लिए जो रास्ता निकाला गया, उससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जनता के बीच भी सरकार को लेकर गलत छवि जा सकती है। इस मामले को भी CM चन्नी दिल्ली दौरे में हाईकमान के आगे उठा सकते हैं।
हरीश रावत का अमरिंदर पर हमला- भाजपा का मुखौटा न बनें कैप्टन
कांग्रेस के अपमानित करने के बयान पर राष्ट्रीय कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी और पंजाब इंचार्ज हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला किया है। रावत ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब तक जो बातें कहीं हैं, उस पर दोबारा विचार करें। पंजाब और किसान विरोधी भाजपा को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से मदद न पहुंचाएं। भाजपा की उन्हें मुखौटा बनाने की कोशिश को नकारें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अब तक अमरिंदर का सम्मान बनाए रखने के लिए सब कुछ किया। अब जो भी फैसला लिए गए हैं, वो अगले चुनावों में कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ाने के लिए हैं।
मंत्री परगट सिंह का दावा – सिद्धू ही रहेंगे प्रधान
इससे पहले कैबिनेट मंत्री परगट सिंह ने जालंधर में दावा किया कि मामला हल हो चुका है। नई सरकार से गलती हो जाती है। उसे दूर करेंगे। इसके अलावा एक कमेटी बन रही है, जो नए-पुराने सारे फैसलों का विश्लेषण करेगी।
यह निकाला गया है फॉर्मूला
पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से नवजोत सिद्धू के इस्तीफे में उलझी कांग्रेस ने सिद्धू की नाराजगी दूर करने का रास्ता निकाल लिया है। इसका फॉर्मूला कुछ ऐसा है कि न सिद्धू को झुकना पड़े और न ही सरकार को। सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रधान बने रहेंगे और सरकार के बड़े फैसलों में उनका दखल रहेगा।
इन 2 बड़े मुद्दों पर बनी सहमति
- सिद्धू ने DGP इकबालप्रीत सहोता को हटाने की मांग की थी। सरकार का कहना है कि उन्हें सिर्फ एडिशनल चार्ज दिया है और कागजों में दिनकर गुप्ता ही DGP हैं, लेकिन वे अभी छुट्टी पर हैं। CM चरणजीत चन्नी से सिद्धू की मीटिंग के बाद 10 नाम UPSC को भेज दिए गए हैं। वहां से 3 नाम फाइनल होंगे, उनमें से कोई एक DGP लगाया जाएगा। यह फैसला जल्द हो, इसके लिए सरकार UPSC से तालमेल करेगी। तब तक सिद्धू और हाईकमान के साथ CM की को-ऑर्डिनेशन कमेटी चर्चा कर लेगी।
- नए एडवोकेट जनरल (AG) एपीएस देयोल को हटाना एकदम संभव नहीं है। गवर्नर की तरफ से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद उन्हें नियुक्त किया गया है। इसलिए सिद्धू की मांग को देखते हुए रास्ता निकाला गया है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और उससे जुड़े गोलीकांड के केसों की जांच के लिए सरकार नई टीम तैयार बनाएगी।
DGP के लिए ये नाम भेजे गए-
पंजाब के अगले DGP के लिए भेजे गए 10 नामों में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, दिनकर गुप्ता, वीके भावरा, एमके तिवारी, प्रबोद कुमार, रोहित चौधरी, इकबालप्रीत सहोता, संजीव कालड़ा, पराग जैन और बीके उप्पल शामिल हैं। दिनकर गुप्ता का नाम वरिष्ठता के हिसाब से लिस्ट में शामिल है, हालांकि वे सेंट्रल डेपुटेशन के लिए आवेदन कर चुके हैं।
इसी सिलसिले में गुरुवार को चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में सिद्धू और CM चरणजीत चन्नी की बैठक हुई। इसमें सिद्धू को पद पर बने रहने के लिए सहमत करने की कोशिश की गई। हालांकि सिद्धू के काम के तरीके से अभी तक संशय बरकरार है कि वे इन मुद्दों पर सहमत हुए हैं या नहीं। अभी तक चन्नी या सिद्धू की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है।
सिद्धू को रखना कांग्रेस की मजबूरी
कांग्रेस हाईकमान ने इस पूरे मामले में नवजोत सिद्धू को झटका जरूर दिया है, लेकिन सिद्धू को बनाए रखना उनकी मजबूरी है, क्योंकि पंजाब में चुनाव की घोषणा होने में सिर्फ 3 महीने बचे हैं। सिद्धू की जिद के चलते पहले सुनील जाखड़ को पंजाब कांग्रेस प्रधान की कुर्सी से हटाया गया। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। सुखजिंदर रंधावा भी सिद्धू के विरोध के चलते CM नहीं बन सके। तो डिप्टी सीएम पद के लिए ब्रह्म मोहिंदरा का पत्ता सिद्धू ने आखिरी वक्त पर कटवा दिया। ऐसे में कांग्रेस चाहेगी कि सिद्धू की वजह से पार्टी में इतने बदलाव करने पड़े तो आने वाले विधानसभा चुनाव में उनका इस्तेमाल जरूर किया जाए।