चंडीगढ़। नवजोत सिद्धू पंजाब में कांग्रेस के प्रधान रहेंगे या जाएंगे? इसका फैसला आज ही हो जाएगा। पंजाब भवन में उनकी CM चरणजीत चन्नी के साथ मीटिंग होगी। इसके लिए सिद्धू चंडीगढ़ पहुंच गए हैं। यह मीटिंग पंजाब भवन में होगी। सिद्धू ने इस संबंध में पहले ट्वीट किया था। जिसमें सिद्धू बोले कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया है। सिद्धू ने कहा था कि किसी भी बातचीत के लिए CM का स्वागत है। सिद्धू के इस्तीफे के बाद हाईकमान ने दूरी बना ली थी। जिसके बाद सिद्धू बैकफुट पर आ चुके हैं।
सिद्धू लगातार पंजाब के नए डीजीपी इकबालप्रीत सिंह सहोता, एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल और कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत को हटाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी वीडियो डालकर कहा था कि अगर यही दागी अफसर और नेता वापस आ गए तो फिर पुराने और नए सिस्टम में क्या फर्क रह जाएगा।
जाखड़ का सिद्धू पर हमला : बस बहुत हो गया. CM की काबिलियत पर सवाल उठाना बंद करो
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात से पहले पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने सिद्धू पर हमला किया है। उन्होंने बिना नाम लिए गया कि अब बहुत हो गया है। बार-बार CM की काबिलियत पर सवाल उठाना बंद करो। नए DGP और एडवोकेट जनरल (AG) की नियुक्ति पर सवाल उठाने पर भी जाखड़ भड़क गए। उन्होंने कहा कि यह असल में CM और होम मिनिस्टर की क्षमता पर सवाल उठाना है। जाखड़ ने यहां तक कह दिया कि यह समय अब आगे बढ़ने का है। जाखड़ के इस बयान को कांग्रेस हाईकमान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जाखड़ को हटाकर ही सिद्धू को पंजाब में कांग्रेस का प्रधान बनाया गया था।
NSA अजीत डोभाल से मिले पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के एक दिन बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल से मुलाकात की। पंजाब में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर इस मुलाकात को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान भी सिद्धू को मनाने के मूड में नहीं
उधर, नवजोत सिद्धू का रवैया देख कांग्रेस हाईकमान भी अड़ गया है। सिद्धू को साफ संदेश भेज दिया गया है कि उनकी हर जिद अब पूरी नहीं होगी। इसी वजह से सिद्धू के इस्तीफे के 2 दिन बीतने के बाद भी हाईकमान ने उनसे बात नहीं की। यह देख अब पंजाब में सिद्धू के प्रधान बनने से जोश में दिख रहे विधायक और नेता भी उनका साथ छोड़ने लगे हैं। कैप्टन का तख्तापलट करते वक्त सिद्धू के साथ 40 विधायक थे, अब वे अकेले पड़ गए हैं। उनके समर्थन में सिर्फ रजिया सुल्ताना ने ही मंत्रीपद छोड़ा। उनके करीबी परगट सिंह डटकर सरकार के साथ खड़े हैं।
बुधवार रात मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी चंडीगढ़ से पटियाला जाने की तैयारी में थे। ऐन वक्त पर यह दौरा टल गया। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें इनकार कर दिया। चुनाव की घोषणा में सिर्फ 3 महीने बचे हैं। ऐसे में उन्हें सरकार के काम पर फोकस करने को कहा गया है। हाईकमान सिर्फ परिणाम चाहता है ताकि पंजाब में अगली सरकार कांग्रेस की बन सके। सिद्धू को मनाने के लिए हाईकमान के कहने पर CM चरणजीत चन्नी ने नवजोत के ही करीबी मंत्री परगट सिंह और अमरिंदर राजा वडिंग की कमेटी बना दी है। वे पहले 2 बार सिद्धू से मिल चुके हैं, लेकिन आगे कोई बात नहीं हुई है।
सिद्धू की शर्तें मानी तो सुपर-CM पर लगेगी हाईकमान की मुहर
कांग्रेस ने पंजाब में पहला अनुसूचित जाति का CM बनाया है। पंजाब में 32% अनुसूचित जाति का वोट बैंक है। इसी को निशाना बना चन्नी सीएम बन गए। अगर सिद्धू की शर्तें मान ली तो DGP और AG को हटाना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो सरकार कमजोर पड़ जाएगी। हाईकमान ने ऐसा करवा दिया तो सिद्धू के सुपर CM बनने पर मुहर लग जाएगी। ऐसे में चन्नी को लेकर विरोधी मुद्दा बनाकर कांग्रेस का यह दांव फेल कर देंगे। इसी वजह से सिद्धू के बिना बात किए अचानक इस्तीफा देने पर कांग्रेस हाईकमान ने उनसे दूरी बना ली है।
हाईकमान ने नया प्रधान ढूंढने को कहा
सिद्धू के अड़ियल रवैए को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने अब पंजाब में नए प्रधान के संकेत दे दिए हैं। कांग्रेस के पर्यवेक्षक हरीश चौधरी बुधवार सुबह ही चंडीगढ़ पहुंच गए थे। इसके बाद उन्होंने कुछ नेताओं से मुलाकात और बातचीत की। चर्चा यही है कि सिद्धू के इस्तीफा वापस न लेने की सूरत में नया प्रधान बना दिया जाए। मंत्री पद पाने से आखिरी समय में चूके कुलजीत नागरा इसके बड़े दावेदार हैं। चर्चा पूर्व CM बेअंत सिंह के परिवार से जुड़े सांसद रवनीत बिट्टू की भी है। यह भी संभव है कि सुनील जाखड़ को वापस प्रधान बना दिया जाए ताकि उनकी भी नाराजगी दूर हो सके।
सिद्धू की मनमानी नहीं आ रही रास
सिद्धू भले ही मुद्दों की बात कर रहे हों, लेकिन उनके तरीके को लेकर कांग्रेस के भीतर ही नाराजगी है। सिद्धू ने इस्तीफा तब दिया, जब मंत्री चार्ज संभाल रहे थे। यह टाइमिंग सबको नागवार गुजरी। पहले इसके बारे में किसी से बात नहीं की। सीधे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। जब सब पूछते रहे कि नाराजगी की वजह क्या है तो सोशल मीडिया पर फिर वीडियो पोस्ट कर दिया। CM चन्नी ने भी इस ओर इशारा किया कि वे पार्टी प्रधान हैं, परिवार में बैठकर बात करते। सिद्धू का यह रवैया किसी को रास नहीं आ रहा।
जाे अब तक साथ थे, वो अलग होते चले गए
कैप्टन अमरिंदर के विरोध के बावजूद सिद्धू पंजाब कांग्रेस प्रधान बने। इसमें अहम रोल मौजूदा डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा और मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा का रहा। नई सरकार बनी तो अब वे सिद्धू का साथ छोड़ गए। परगट सिंह सिद्धू के करीबी थे, उन्होंने भी सिद्धू के समर्थन में इस्तीफा न देकर किनारा कर लिया। अमरिंदर राजा वडिंग को मंत्री बनाने में सिद्धू ने खूब लॉबिंग की, वे मंत्री बन गए तो अब सिद्धू का सपोर्ट करके नहीं, बल्कि मध्यस्थ बनकर काम कर रहे हैं। इसी बड़ी वजह सिद्धू के अचानक लिए जाने वाले फैसले हैं। पहले कैप्टन और अब सिद्धू के चक्कर में टिकट न कटे, इसलिए विधायक और नेता कूदकर सरकार के पाले में चले गए हैं।
इस बार अपने स्टाइल से खुद झटका खा गए सिद्धू
नवजोत सिद्धू के अचानक फैसले लेने का स्टाइल समर्थकों को खूब रास आता रहा है। उनके बयान से लेकर हर बात पर अड़ जाने की खूब चर्चा रही। सिद्धू की जिद के आगे हाईकमान को कैप्टन को हटाना पड़ा। चरणजीत चन्नी का नाम भी सिद्धू ने ही आगे किया था। चन्नी सीएम बने तो अब सिद्धू की सुनवाई नहीं हो रही। संगठन प्रधान होने के बावजूद वे खुद उसकी सीमा लांघ गए। सब कुछ सार्वजनिक तरीके से कर रहे है।
सीएम चन्नी ने भी यही बात कही थी कि अगर उन्हें कोई एतराज है तो वे बैठकर बात कर सकते हैं। वे जिद्दी नहीं हैं, फैसला बदला जा सकता है। हालांकि, सिद्धू चर्चा नहीं बल्कि सीधे मनमाफिक फैसला चाहते हैं, जिसे हाईकमान मानने को तैयार नहीं है।