कोरोना महामारी के बीच गरीबों और मजदूरों को मुफ्त में बांटे जाने वाले राशन के पैकेट वितरण में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आ रहा है। प्रदेश भर में सभी जिलों में गरीबों व मजदूरों को 24.69 लाख राशन के पैकेट बांटे जाने का रिकॉर्ड जिला प्रशासन ने सरकार को दिया है। जबकि कोविड-19 कंट्रोल रूम से जब सभी जिलों से पैकेट वितरण का अपडेट डेटा मांगा गया तो उसमें 10.67 लाख पैकेट के वितरण का हिसाब ही नहीं मिल रहा है।
दैनिक भस्कर में प्रकाशित खबर में खुलासा किया गया है कि कोविड-19 कंट्रोल रूम ने सभी जिलों के डीसी को इसकी जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल, सरकार की ओर से मांगी गई 24 जुलाई तक प्रतिदिन राशन वितरण की रिपोर्ट और इसी तारीख की जिलों से आईं ताजा राशन वितरण सूची के मिलान से ये गड़बड़ी सामने आई है। महामारी में सरकार ने जरूरतमंदों को इन पैकेटों में आटा, दाल, चावल, तेल, चीनी और सब्जी मसाले मुहैया कराए थे, जिससे कि लोग अपने परिवार की जीविका चला सकें। बाजार में औसतन ऐसे एक पैकेट की कीमत 850 रुपए आती है। ऐसे में हिसाब नहीं मिल रहेे कुल राशन की कीमत 85 करोड़ रुपए बनती है। फिलहाल सभी डिप्टी कमिश्नर को ई-मेल भेजकर पूरे मामले में जांच रिपोर्ट तलब की गई है।
सरकार को 24 जुलाई तक सभी जिलों से 24,69, 386 राशन के पैकेट वितरित होने की जानकारी दी गई। 24 जुलाई को सरकार के निर्देश पर सभी जिलों से राशन के पैकेट वितरण की अपडेटेड जानकारी देने को कहा गया। सरकार के पास जो अपडेट सूची पहुंची, उसमें सभी जिलों द्वारा कुल 14,01, 692 राशन के पैकेट वितरण वितरित होने की जानकारी दी गई। दोनों सूचियों का मिलान करने पर इसमें 10,67,994 राशन के पैकेट का अंतर सामने आया। बाजार में एक पैकेट में वितरित किए गए सामान की औसतन कीमत 800 से 850 रुपए बताई जा रही है। गरीबों को राशन देने के नाम पर सरकार को 85 करोड़ रुपए से अधिक का चूना लगता दिख रहा है। इतनी बड़ी संख्या में राशन के वितरण में हेरफेर होने का मामला उजागर होने के बाद सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। सरकार की ओर से साफ कहा गया है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कहां और किस स्तर पर हुई है, इसकी पूरी रिपोर्ट भेजी जाए।
24 मार्च से ही शुरू हो गया था राशन वितरण
दरअसल कोरोना वायरस के चलते 24 मार्च से सूबे में आम लोगों की सुरक्षा को देखते हुए लॉकडाउन लगा दिया था। इस दौरान खासतौर पर गरीब तबके के लोगों को खाने पीने की कोई दिक्कत ना हो, इसे देखते हुए सरकार ने सभी 22 जिलों में बड़ी संख्या में राशन के पैकेट बंटवाए। सरकार के निर्देश पर करीब ढाई महीने तक सभी जिलों में जिला प्रशासन ने हर जरूरतमंद को राशन के पैकेट पहुंचाने का काम किया। फिलहाल रिपोर्ट तलब करने के बाद राशन वितरण के काम में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
24 जुलाई तक 22 जिलों की रिपोर्ट, इसी तारीख को अपडेटेड रिपोर्ट में दिखा अंतर
जिला | प्रतिदिन वितरण | अपडेडेट | अंतर |
अमृतसर | 2,47,862 | 1,95,380 | 52,482 |
बरनाला | 42,700 | 26,864 | 15,836 |
बठिंडा | 29,367 | 38,932 | 9,565 |
फरीदकोट | 53,988 | 16,293 | 37,695 |
फतेहगढ़ | 45,415 | 45,415 | 00 |
फाजिल्क | 82,500 | 51,180 | 31,320 |
फिरोजपुर | 52,222 | 52,222 | 00 |
गुरदासपुर | 67,580 | 30,333 | 37,247 |
होशियारपुर | 1,18,598 | 49,590 | 69,008 |
जालंधर | 2,31,500 | 2,02,588 | 28,912 |
कपूरथला | 59,500 | 27,387 | 32,113 |
लुधियाना | 755940 | 154712 | 601228 |
मनसा | 48376 | 31409 | 16967 |
मोगा | 49670 | 50270 | 600 |
पठानकोट | 47970 | 30663 | 17,307 |
पटियाला | 102417 | 55293 | 47124 |
रोपड़ | 45025 | 45025 | 00 |
संगरूर | 92311 | 87055 | 5256 |
माेहाली | 109874 | 67443 | 42431 |
नवांशहर | 34370 | 34370 | 00 |
मुक्तसर | 91205 | 89428 | 1777 |
तरनतारन | 60996 | 19840 | 41156 |
गड़बडियां सामने आई हैं, जांच होगी
स्टेट कोविड-19 कंट्रोल रूम के इंचार्ज आईएएस राहुल तिवारी का कहना है कि ज्यादातर जिलों में लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण में गड़बड़ियां सामने आई हैं। सभी जिलों के डीसी को जांच करने के आदेश दिए गए हैं।
पंजाब के करीब 60 से 70 फीसदी गरीब लोगों को इस कोरोना महामारी के संकट काल में भी केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त मुहैया करवाया गया अनाज नहीं मिला जिसका कारण पंजाब की कैप्टन सरकार के फूड सप्लाई विभाग के मंत्री, संबंधित अफसर व डिपो होल्डरों की आपस में सांझ-गांठ है जिसके तहत पंजाब में अनाज को लेकर बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। यह बड़ा आरोप भाजपा लुधियाना द्वारा आयोजित प्रैस वार्ता में जिला भाजपा अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंघल की अगुवाई में प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अनिल सरीन ने लगाए थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश फूड सप्लाई विभाग के अफसरों , इंस्पैक्टरों व डिपो होल्डरों द्वारा कई सैंकड़ों करोड़ों का घोटाला हुआ है जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री मौन बैठे हैं।
आधार कार्ड वाले को पता नहीं कि नीला कार्ड बना
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अनिल सरीन ने बताया कि हमारे पास कई सबूत हैं जो बता रहे कि किसी और के आधार कार्ड पर नीला कार्ड बनाया गया है। जिसके तहत जाली सेल दिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गरीब जनों हेतु 15 किलो गहूं प्रति व्यक्ति व 3 किलो दाल प्रति परिवार देने की योजना है। पंजाब की 1.41 करोड़ जनता हेतु अनाज केंद्र द्वारा भेजा गया है किंतु इस संकट काल में भी प्रदेश की सरकार वाले इतना बड़ा पाप कर रहे हैं।
2019 में हुई मौत किंतु अभी भी बंट रहा अनाज
एक उदाहरण देते हुए भाजपा नेताओं ने बताया कि एक औरत की मृत्यु 2019 में हो गई थी किंतु पिछले महीने ही उसके स्मार्ट कार्ड से 30 किलो गेहूूं की सेल हुई है। ऐसा कैसे संभव है। साफ है कि विभाग के सभी अफसर मिले हुए हैं और जाली सेल डालकर केंद्र सरकार के अनाज का दुरुपयोग कर रहे हैं।
देबी के शक ने उजागर किया घोटाला
मामले संंबंधी शुरुआत से जानकारी देते हुए भाजपा नेताओं ने बताया कि इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब प्रदेश भाजपा कोषाध्यक्ष व सैंट्रल विधानसभा के इंचार्ज गुरदेव शर्मा देबी ने वार्ड 51 के दो डिपो का दौरा किया। वहां जाने के अगले दिन सेल बंद कर दूसरे डिपो तक शुरू होने से देबी को कुछ शक हुआ। जब पूरा मसला देखा तो इतना बड़ा घोटाला निकला।
पार्षद डिपो होल्डर नहीं हो सकता
जानकारी देते हुए भाजपा नेताओं ने बताया कि कोई भी पार्षद डिपो होल्डर नहीं हो सकता। किंतु विधानसभा सैंट्रल के पार्षद के पास भी डिपो है जो गैर-कानूनी है। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
सीबीआई जांच की मांग
पूरा मामला बताने के पश्चात भाजपा नेताओं अनिल सरीन, गुरदेव शर्मा देबी, जीवन गुप्ता व पुष्पेंद्र सिंघल द्वारा इस पूरे घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की विजीलैंस पर भाजपा को भरोसा नहीं है। जिसके कारण प्रदेश सरकार का स्वयं इस घोटाले में शामिल होना है। अगर पंजाब सरकार इसकी सीबीआई जांच का आवेदन नहीं करेगी तो न्यायालय प्रक्रिया व अन्य तरीकों से इसपर जोर डाला जाएगा।
सबकुछ ऑनलाईन, घोटाले का सवाल ही नहीं: मंत्री आशु
इस संबंधी पंजाब के खाद्य मंत्री भारत भूषण आशू ने कहा कि पंजाब में सब कुछ ऑनलाईन प्रक्रिया द्वारा सेल होती है। सिर्फ कोरोना वक्त में बिना अंगूठा लगाए सेल की गई किंतु उस वक्त भी डिपो होल्डर, इंस्पैक्टर व मोहल्ला विजीलैंस कमेटी वहां पर मौजूद रही है। फिर भी कोई शिकायत करता है, तो जिले का एडीसी पूरी कारवाई करेगा।