जालंधर. शुक्रवार रात पांच घंटे तक 21 साल की सोनिका की जान बचाने के लिए उसका पति सन्नी शहर के 9 अस्पतालों में इलाज के लिए भटकता रहा लेकिन किसी अस्पताल में उसे दाखिल नहीं किया गया। आखिर इलाज के अभाव में देर रात सोनिका ने दम तोड़ दिया। बस्ती पीरदाद के रहने वाले सन्नी ने बताया कि वीरवार रात करीब 11:30 बजे सोनिका को लेबर पेन शुरू हुई। वह उसे नवजीवन अस्पताल ले गया, जहां नाॅर्मल डिलीवरी के बाद सोनिका ने बच्ची को जन्म दिया। इसी दौरान उसे ब्लीडिंग शुरू हो गई, जो रुकी ही नहीं। सन्नी ने आरोप लगाया कि इसके बाद स्टाफ ने कहा कि हमारे पास खून रोकने वाला डाॅक्टर नहीं है, मरीज को कहीं और ले जाएं।
नवजीवन अस्पताल के डाॅक्टरों ने सोनिका के मुंह में पाइप के जरिये एंबू बैग लगा दिया। स्टाफ ने ही एंबुलेंस करके दी और दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कहा। पत्नी की हालत बिगड़ रही थी, वह उसे दूसरे प्राइवेट अस्पताल ले गया लेकिन वहां से किसी और अस्पताल ले जाने के लिए कह दिया गया। वह सुबह 5 बजे तक भटकता रहा लेकिन किसी अस्पताल ने दाखिल नहीं किया। आखिर जौहल अस्पताल पहुंचा तो डाॅक्टरों ने एंबुलेंस में ही सोनिका की जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया। इस संबंध में थाना भार्गव कैंप में नवजीवन अस्पताल के खिलाफ लिखित रूप से शिकायत दी गई है। इसके बाद शुक्रवार को परिजनों ने सिविल अस्पताल के बाहर डाॅक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया और डाॅक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।
पोस्टमार्टम कर गर्भाश्य और फेफड़े जांच के लिए भेजे
शुक्रवार शाम सिविल अस्पताल में महिला के परिजनों ने नवजीवन अस्पताल के डॉक्टर को गिरफ्तार करने की मांग की और अस्पताल के बाहर सड़क पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे थाना भार्गव कैंप के इंचार्ज भगवंत सिंह भुल्लर का कहना है कि मामले में कार्रवाई पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी। वहीं सिविल अस्पताल में किए गए पोस्टमार्टम के बाद महिला का गर्भाश्य और फेफड़े विभाग ने फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिए गए।
सिविल में प्रदर्शन कर निजी अस्पताल पर मांगी कार्रवाई
डिलीवरी के समय खून नहीं निकल रहा था, एंबुलेंस में खून था या रंग, पता नहीं- डॉ. सूद
नवजीवन अस्पताल के डॉ. संजीव सूद का कहना है कि सोनिका वीरवार रात पहली बार उनके पास आई थी। उससे पहले उनके पास उसका कोई चेकअप नहीं हुआ। इसके बावजूद उन्होंने मरीज को इंसानियत के नाते अस्पताल में दाखिल कर लिया क्योंकि उसे काफी दर्द हो रहा था। जैसे ही उन्होंने डिलीवरी की तो सोनिका ने पूछा कि क्या हुआ है? उसे बताया कि बेटी हुई तो उसने एक लंबी सांस ली। उसके बाद उसकी सांसें उखड़ने लगीं। हमने मरीज को डीएमसी या सीएमसी ले जाने के लिए कहा लेकिन मरीज के परिजन उसे 4 से 5 घंटे तक शहर के अस्पतालों में लेकर घूमते रहे। डॉ. सूद ने बताया कि जब महिला उनके पास लाई गई, उसे बुखार भी था और सेचुरेशन लेवल भी काफी कम था। उसे कोरोनावायरस भी हो सकता है। इसके अलावा डिलीवरी के दौरान महिला के शरीर से कोई खून नहीं निकल रहा था। हमें नहीं पता एंबुलेंस में खून था या परिजनों ने रंग फेंका हुआ था।