पंजाब में लड़की की शादी को 3 साल बीते, नाती भी हो गए, 2500 लोगों को नहीं मिले शगुन के रुपए

लॉकडाउन के दौरान 1189 लोगों ने 51000 रुपए शगुन राशि लेने के लिए किया अप्लाई अप्रैल-2019 से जुलाई-2020 तक 4100 से ज्यादा लोगों ने किया स्कीम के लिए आवेदन

साल-2017 में पंजाब सरकार सत्ता में आई तो सबसे मशहूर ‘शगुन’ स्कीम को ‘आशीर्वाद’ नाम दे दिया और लड़कियों को उनकी शादी पर मिलने वाली 21 हजार रुपए की वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 51 हजार रुपए करने का वादा कर दिया लेकिन वादा वफा नहीं हो सका। करीब दो साल से लड़कियों को तय समय पर स्कीम के पैसे भी नहीं मिल रहे जबकि राज्य भर में पेंडेंसी लगातार बढ़ती जा रही है।

हालात ऐसे बन गए हैं कि जिन लड़कियों की तीन साल पहले शादी हुई थी, उनके बच्चे भी हो गए लेकिन उन्हें पंजाब सरकार के आशीर्वाद का इंतजार है। दरअसल गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को इस स्कीम का लाभ मिलना था। इसके लिए लड़की की शादी की तय तारीख से एक महीना पहले या फिर एक महीना बाद में अप्लाई किया जा सकता है। जिन लोगों की वार्षिक आमदन 32 हजार 790 रुपए है, वे इसके दायरे में आते हैं। स्कीम का लाभ लेने के लिए उन्हें आमदन एफिडेविट दायर करना होता है।

ऑनलाइन फंड ट्रांसफर का वादा भी अधूरा
विभाग की तरफ से दावा किया जा रहा है कि अप्रैल से नवंबर-2019 तक करीब 1600 से ज्यादा लोगों को ऑनलाइन फंड ट्रांसफर किया जाएगा लेकिन अभी तक हुआ नहीं है। जिला वेलफेयर विभाग जालंधर में अप्रैल-2019 से जुलाई 2020 तक 4100 से ज्यादा लोगों ने आशीर्वाद स्कीम के तहत अप्लाई किया है। उधर, यदि कोई मजदूर 500 रुपए दहाड़ी कमाता है तो करीब दो से ढाई महीने में 30 हजार का आंकड़ा पार कर लेता है। इसलिए समय-समय पर लोगों ने सरकार से वार्षिक आमदनी को बढ़ाने की मांग भी की है।

31 अगस्त तक आवेदन सरकार के पास भेजे
जिला वेलफेयर विभाग की तरफ से पंजाब सरकार को उन्हें फंड ऑनलाइन ट्रांसफर करने की एप्लीकेशन भेजी गई है। 31 अगस्त, 2020 तक जितने भी आवेदन हैं, उन्हें भी सरकार के पास भेजा गया है।-नरेश पॉल,
सुपरिंटेंडेंट, वेलफेयर विभाग

अभी तक 2500 से ज्यादा लड़कियां ऐसी हैं, जिनकी शादी हुए एक साल के करीब हो चुका है लेकिन अभी तक उन्हें आशीर्वाद स्कीम के पैसे नहीं मिले। जबकि इन पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत परिवार को शादी के समय में ही होती है।

सरकारी शगुन योजना पर अधिक भरोसा मत रखें। बेटी की शादी पर मिलने वाली 21 हजार की शगुन राशि कब मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं। एक केस तो ऐसा है कि शादी को सात वर्ष बीत गए। बेटी के घर पैदा हुई बेटी भी अब छह साल की हो गई है पर शगुन राशि के लिए दुल्हन का बाप आज भी सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहा है।

 

दूसरी तरफ पंजाब सरकार द्वारा रजिस्टर्ड श्रमिकों की लड़कियों की शादी पर वित्तीय सहायता मुहैया करवाने के उद्देश्य से शगुन स्कीम के अंतर्गत 31,000 रुपए की राशि मार्च 2020 से  मुहैया करवाई जा रही है। इस स्कीम के अंतर्गत अब तक पंजाब बिल्डिंग एंड अंडर कंस्ट्रक्शन वर्कर्ज वैल्फेयर बोर्ड (बी.ओ.सी.डब्ल्यू. बोर्ड) ने 8590 लाभपात्रियों को 26.34 करोड़ और पंजाब लेबर वैल्फेयर बोर्ड (एल.डब्ल्यू. बोर्ड) द्वारा 1414 लाभपात्रियों को 4.44 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। पंजाब सरकार ने हर श्रमिक को यह सुविधा मुहैया करवाने के लिए श्रमिक के वेतन की कोई सीमा की शर्त भी नहीं रखी है।

श्रम विभाग के बी.ओ.सी.डब्ल्यू. बोर्ड और एल.डब्ल्यू. बोर्ड के अंतर्गत  लाभ लेने के अलावा रजिस्टर्ड निर्माण और औद्योगिक श्रमिक राज्य सरकार और अन्य संस्थाओं से भी लाभ ले सकता है। बोर्ड की शर्त के अनुसार लाभपात्री अधिकतम 2 लड़कियों के लिए शगुन स्कीम का लाभ ले सकता है और इसके साथ ही यदि रजिस्टर्ड लाभपात्री लड़की है, वह भी अपनी शादी के लिए लाभ ले सकती है। पहले श्रमिक लड़की की शादी की निश्चित तारीख के बाद 3 महीने के अंदर-अंदर आवेदन दे सकता था परन्तु अब लाभपात्री शगुन स्कीम लेने के लिए 6 महीने पहले भी आवेदन दे सकता है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार निर्माण और औद्योगिक श्रमिकों का आॢथक व सामाजिक स्तर ऊंचा उठाने के लिए वचनबद्ध है तथा राज्य के रजिस्टर्ड निर्माण और औद्योगिक श्रमिकों को दोनों बोर्डों की तरफ से चलाई जा रही कल्याण स्कीमों का लाभ यकीनी तौर पर मुहैया करवाने के लिए प्रयत्नशील है।

पंजाब शहरी आवास योजना
पंजाब सरकार की शहरी आवास योजना 2017 के अंतर्गत अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए शहरी क्षेत्रों में मुफ्त हाऊसिंग स्कीम शुरू की गई जिसके तहत प्रथम चरण में जिनकी वार्षिक आय 3 लाख से कम थी और दूसरे चरण में जिनकी आय 5 लाख से कम थी, को मुफ्त हाऊसिंग सुविधा के अधीन घर देने की योजना बनाई गई। इसके अतिरिक्त विकास अथॉर्टियों, नगर सुधार ट्रस्टों एवं नगर निगमों द्वारा कर्मचारियों के लिए को-ऑप्रेटिव ग्रुप हाऊसिंग सोसायटीज के आरक्षित मूल्यों पर घर देने की योजना तैयार की गई। पंजाब सरकार द्वारा 1984 के दंगा पीड़ितों और आतंकवाद पीड़ित परिवारों के लिए भी अर्बन एस्टेट्स, नगर सुधार ट्रस्टों, पैप्सुटांगशिप, विकास बोर्ड के अंतर्गत प्लाटों और घरों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षित कोटा रखा गया है।

 

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