लाल खून का काला कारोबार करने वाला बठिंडा का ब्लड बैंक: छह माह में हजारों ने किया रक्तदान, रक्त की जांच हुई या नहीं, यह भी जांच का विषय
तीन केस आने के बाद जागा अस्पताल प्रबंधन, पिछले छह माह में ब्लड बैंक से रक्त इश्यू करवाने वालों की जांच की योजना लापरवाही या साजिश!... ब्लड बैंक से संक्रमित खून इश्यू होने का पहला मामला सामने आने के बाद क्यों नहीं की गई बाकी खून की जांच बच्चों के तीन पॉजिटिव मामले सामने आने के बाद अब अस्पताल प्रबंधन जागा है और पिछले छह माह में ब्लड बैंक से रक्त इश्यू करवाने वालों की जांच की योजना बनाई जा रही है। इस मामले में 3 अक्टूबर के केस में जिम्मेदार तीन कर्मियों में मात्र एक पर एफआईआर दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है जबकि दो कांट्रेक्ट कर्मियों ब्लड बैंक इंचार्ज बीटीओ व एलटी काे ट्रांसफर कर बाद में नौकरी से बर्खास्त कर आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की गई जबकि 7 नवंबर के केस में अब सूत्रों के अनुसार कांट्रेक्ट कर्मियों पर गाज गिरना तय है जबकि तीसरे मामले में जांच बाकी है वहीं हेल्थ सेक्रेटरी हुस्न लाल वीरवार को सिविल अस्पताल में पहुंच रहे हैं।
बठिंडा। सिविल अस्पताल में कोरोना लॉकडाउन के दौरान दाखिल रहे मरीजों की चिंता बढ़ गई है तथा इसका कारण बिना जांच ही एचआईवी संक्रमित खून थैलेसीमिया के मरीज बच्चों को चढ़ाया जाना है जिसका पहला खुलासा 3 अक्टूबर को थैलेसीमिया मरीज एक बच्चे को ब्लड चढ़ाने के बाद ब्लड बैंक के ही एक कर्मचारी ने किया था। 3 अक्टूबर से 17 नवंबर के बीच अब तक तीन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों सहित एक महिला को एचआईवी संक्रमित ब्लड चढ़ाने के केसों के उजागर होने के बाद जहां पूरा शहर सकते में हैं, वहीं सिविल अस्पताल प्रबंधन के हाथ-पांव फूले हुए हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर मात्र लीपापोती हो रही है।
बच्चों के तीन पॉजिटिव मामले सामने आने के बाद अब अस्पताल प्रबंधन जागा है और पिछले छह माह में ब्लड बैंक से रक्त इश्यू करवाने वालों की जांच की योजना बनाई जा रही है। इस मामले में 3 अक्टूबर के केस में जिम्मेदार तीन कर्मियों में मात्र एक पर एफआईआर दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है जबकि दो कांट्रेक्ट कर्मियों ब्लड बैंक इंचार्ज बीटीओ व एलटी काे ट्रांसफर कर बाद में नौकरी से बर्खास्त कर आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की गई जबकि 7 नवंबर के केस में अब सूत्रों के अनुसार कांट्रेक्ट कर्मियों पर गाज गिरना तय है जबकि तीसरे मामले में जांच बाकी है वहीं हेल्थ सेक्रेटरी हुस्न लाल वीरवार को सिविल अस्पताल में पहुंच रहे हैं।
रक्त की सही जांच होती तो ना होते यह हालात
ब्लड बैंक में डोनेट ब्लड की जांच मैक एलाइजा मशीन के खराब होने पर रेपिड टेस्ट से काम चलाया गया जो कम प्रभावी है। किट बचाने के चक्कर में यह टेस्ट किए भी गए या नहीं, सभी चुप्पी साधे हैं। 3 अक्टूबर केस में एचआईवी पॉजिटिव डोनर ने मई 2020 में भी ब्लड डोनेट किया था, लेकिन कागजों में जानकारी होने के बाद भी उसे एचआईवी स्टेट्स नहीं बताया गया। वहीं 7 नवंबर को खूनदान करने वाला डोनर सिविल अस्पताल में पहले तीन बार ब्लड डोनेट कर चुका है तथा उसका रक्त किन-किन लोगांे को चढ़ा है, पता लगाया जा रहा है।
एसओपी फॉलो नहीं किया
अस्सिटेंट प्रोजेक्ट डायरेक्टर आज बठिंडा में जांच के लिए गई थीं तथा उन्होंने वीरवार सुबह मुझे जांच रिपोर्ट सौंपनी है। इसके बाद कुछ तथ्यात्मक कहना संभव होगा। एक बात यह है कि इन ब्लड केसों में सैंपलों को लेकर एसओपी फॉलो नहीं किया गया है, जो चिंताजनक है।
हुस्न लाल, हेल्थ सेक्रेटरी, पंजाब
आरोपी बख्शे नहीं जाएंगे
यह मामला बेहद संगीन है। पहले मामले में जांच के आधार पर तुरंत कार्रवाई की गई है। इस पूरे प्रकरण की सख्ती से जांच की जा रही है तथा किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। जिम्मेदार लोगों पर हर हाल में एक्शन होगा।
बलबीर सिंह सिद्धू, सेहत मंत्री, पंजाब
ब्लड बैंक के कर्मचारी जिनकी जिम्मेदारी थी ब्लड की जांच करना
बीटीओ डा. करिश्मा
ब्लड बैंक के काम का पूरा जिम्मा बीटीओ का होता है। इनकी निगरानी में ही ब्लड डोनेशन कैंप व ब्लड आदि कंपोनेंट इश्यू होते थे। उन्होंने ब्लड सैंपल की स्टीक जांच व स्टॉक का मिलान ही नहीं किया तथा बिना जांच रक्त इश्यू हो गया।
एलटी रिचा
इनकी जिम्मेदारी ब्लड एकत्र करने व ब्लड टेस्टों की है, लेकिन इस मामले में ब्लड टेस्ट पर ही सवालिया निशान लगा है। अगर इन्होंने ब्लड टेस्ट जिम्मेदारी से किए होते तो एचआईवी केस समय रहते पता लगते।
सीनियर एमएलटी बलदेव रोमाणा
इनकी जिम्मेदारी ब्लड बैंक काे किटें जारी करना, ब्लड स्टॉक व किट स्टॉक दुरुस्त रखना था, लेकिन बलदेव रोमाणा पर लापरवाही का मामला दर्ज होने के उपरांत रिमांड के बाद वह जेल में हैं।
डा. मयंक जैन
नये बीटीओ के कार्यकाल में 7 नवंबर को बिना नंबर नेगेटिव मुहर लगा एचआईवी संक्रमित ब्लड जारी हुआ। एक थैलेसीमिया मरीज बच्चे को चढ़ाने के दौरान जांच में सैंपल पॉजिटिव पाया जिसे सिविल सर्जन ने शरारत करार दिया है।
क्या कहते हैं जवाबदेह अधिकारी
एसएमओ मनिंदर सिंह
डाक्टर व कर्मियों की उपस्थिति व ब्लड बैंक से ब्लड इश्यू होना आदि पर इनका ही कंट्रोल है, लेकिन ब्लड बैंक की वर्किंग क्रास चेक नही की। हालांकि एसएमओ डा. मनिंदर सिंह कहते हैं कि वह समय-समय पर टीम से रिपोर्ट लेते रहे, लेकिन उन्हें अंधेरे में रखा।
सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह संधू
सबसे बड़े जवाबदेह सिविल सर्जन बठिंडा डा. अमरीक सिंह संधू हैं जिनके कंट्रोल में ब्लड बैंक से लेकर पूरा अस्पताल आता है। सिस्टम को खुद रिव्यू करते तो हालात ऐसे नहीं होते। डा. संधू के अनुसार ब्लड बैंक मेनटेन करने की जिम्मेदारी एसएमओ की है।