Punjab :फीस न देने पर रोल नंबर व परिणाम नहीं रोक पाएंगे स्कूल

लॉकडाउन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट केे स्कूल फीस को लेकर दिए अंतरिम आदेश से बच्चों व अभिभावकों को मिलेगी राहत

बठिंडा। विद्यार्थियों की फीस न आने पर उनके एडमिट कार्ड व रिजल्ट रोकना प्राइवेट स्कूल प्रबंधन के लिए भारी पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे स्कूलों को फीस के लिए विद्यार्थियों को रोल नंबर अथवा परिणाम रोककर जलील नहीं करने की कड़ी चेतावनी दी है।

लॉकडाउन के बाद स्कूल खुलने पर फीस वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को अंतरिम आदेश दिए हैं जोकि पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में लागू होंगे। वहीं फीस न भरी होने पर ऑनलाइन अथवा आॅफलाइन कक्षाओं से भी बच्चे के शामिल होने पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकेगी। आगामी 4 मई से पीएसईबी व सीबीएसई की 10वीं व 12वीं की परीक्षा का रोल नंबर भी नहीं रोका जाएगा। प्राइवेट स्कूलों को अंतिम आदेश तक इन अंतरिम आदेशों की कड़ाई से पालन करनी होगी।

रोल नंबर रोक कई स्कूलों ने वसूली फीस

जनवरी से स्कूल खोलने के साथ ही प्राइवेट स्कूलों ने विद्यार्थियों से दाखिला फीस से लेकर साल भर की फीस वसूलना शुरू कर दिया है। मार्च महीने में वार्षिक परीक्षा का हवाला देकर सारी फीस भरने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन की ओर से ऑनलाइन क्लासेज के साेशल मीडिया ग्रुप में ही फीस न भरे होने पर स्पेसिफिक बच्चे का नाम लिखकर वॉर्निंग दी गई, वहीं उन्हें ग्रुप से निकालकर पढ़ाई से वंचित करने के अनेक मामले उजागर हुए।

कई प्राइवेट स्कूलों ने तो फीस न भरने पर बच्चों को मार्च की वार्षिक परीक्षा में नहीं बिठाने की चेतावनी दी, वहीं अभिभावकों से फीस बटोरने के लिए दो से तीन किश्तों की राहत भी दे दी लेकिन आधी-अधूरी फीस भरने वाले बच्चों के रोल नंबर जारी नहीं किए।

बैलेंस शीट मांगने पर अदालत गए थे प्राइवेट स्कूल

पंजाब के प्राइवेट स्कूल संचालक फीस मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे, जिसमें बैलेंस शीट मांगने और सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विषय में और समीक्षा की जरूरत है। इसलिए अभिभावक और स्कूल संचालकों की मांगों पर विचार के बाद अंतरिम आदेश दिए गए हैं जबकि बाकी मामले पर सुनवाई जारी रखी जाएगी।

स्कूल संचालकों से कहा कि सरकार का बकाया एक महीने के भीतर चुकाएंगे। फीस भरने में असमर्थ अभिभावक व्यक्तिगत तौर पर स्कूल प्रबंधन से लिखित में आग्रह कर सकेगा जिस पर अदालत ने स्कूल संचालकों को सौहार्दपूर्ण विचार करने को कहा गया है। अभिभावक चाहे तो साल 2019-20, 2020-21 की फीस 6 अलग-अलग किश्तों में अदा कर सकेगा जिसे मार्च 2021 से अगस्त 2021 के बीच का समय माना जाएगा।

चंडीगढ़ के स्कूलों पर स्थिति स्पष्ट नहीं

अभिभावकों का केस लड़ रहे एडवोकेट फैरी सोबत ने कहा कि यह आदेश चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों पर लागू होंगे अथवा नहीं, यह आदेशों में स्पष्ट नहीं है। इसके लिए वे सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाएंगे ताकि चंडीगढ़ की स्थिति भी स्पष्ट की जा सके। वहीं पंजाब सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को सख्त आदेश दिए है कि वे निजी प्रकाशकों की किताबों को थोपने तथा विशेष दुकान से किताबें व वर्दियां खरीदने को मजबूर न करें।

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