बठिंडा में सोमवार को किसान जत्थेबंदियों द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ रोष मार्च निकाल कर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान किसानों ने सरकार पर आरोप लगाए कि खनौरी और शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बावजूद सरकार तीन काले कानूनों को फिर से लागू करने जा रही है, जिन्हें किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
बता दें कि, आज भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के झंडा सिंह जेठुके, भारती किसान यूनियन एकता डकौंडा (धनेर) के गुरदीप सिंह रामपुरा, कुल भारतीय किसान भारती किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष बलकरण सिंह बराड़, एकता डकौंदा के बलदेव सिंह भाईरूपा, पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रूलदू सिंह मानसा, जम्हूरी किसान यूनियन के सुखमंदर सिंह धालीवाल, किरती किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, भारती किसान यूनियन (मालवा) जगजीत सिंह, कोटशमीर भारती किसान यूनियन लक्खोवाल के राज्य नेता सरूप सिंह सिद्धू बीकेयू मानसा के राज्य महासचिव बेअंत सिंह मेहमा आदि नेता मार्च में शामिल रहे।

सरकार ने लागू नहीं किया समझौता
किसान नेताओं ने कहा कि तीन साल बीत जाने के बावजूद 2020 में सरकार और किसानों के बीच हुए समझौते को लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने निजी क्षेत्र को राज्य सरकारों को दे दिया। बाजारों को खोलने का ड्राफ्ट भेजकर मार्केटिंग बोर्ड को खत्म करने की नीति लागू करने के आदेश दिए गए हैं।
इसी के विरोध में आज रोष मार्च निकाला गया। मार्च के बाद डिप्टी कमिश्नर बठिंडा के माध्यम से एक मांग पत्र राष्ट्रपति को भेजा गया। जिसमें मांग की गई कि सरकार द्वारा जारी किसान, खेत मजदूर और राष्ट्र विरोधी कृषि विपणन नीति के मसौदे को रद्द किया जाए। इसके अलावा स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को भी लागू किया जाए।
इस दौरान पंजाब खेत मजदूर सभा के जिला नेता मिट्ठू सिंह घुड़ा प्रकाश सिंह नंदगढ़, पीएसयू नेता बिक्रमजीत सिंह पोहला, महिला नेता हरिंदर कौर बिंदू ने भी धरने को संबोधित किया।