बठिंडा. पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला ने अपने अधीनस्थ कॉलेजों को आगाह किया कि पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर एग्रीकल्चरल एजुकेशन के मानक पूरा करने पर ही 2020-21 सेशन में एग्रीकल्चर से संबंधित कोर्स के एंट्री प्वाइंट्स अथवा पहले भाग में दाखिला की मंजूरी होगी। यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार कॉलेजेज ने प्रदेश के तमाम डिग्री कॉलेजों के चेयरमैन व प्रिंसिपल को पत्र जारी करके पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर एजुकेशन के 5 अगस्त 2019 के निर्देशों का हवाला देकर एग्रीकल्चर कोर्स का संचालन करने के लिए मानक व शर्तें पूरा करके यूनिवर्सिटी को सूचित करने की हिदायत दी है।
वहीं, सचेत भी किया है कि नियम पूरा किए बिना दाखिला करने पर विद्यार्थियों की पढ़ाई, डिग्री में दिक्कत अथवा कानूनी अड़चन भी आ सकती है। वहीं एग्रीकल्चर एजुकेशन हासिल करने के इच्छुक युवा भी असमंजस में हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर वे किस कॉलेज में दाखिला लें जहां की डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफिकेट एफिलिएटेड या अप्रूव्ड हों।
कॉलेज को बंद करने पड़ सकते हैं एग्रीकल्चर से जुड़े कोर्स
यूनिवर्सिटी के इन कड़े निर्देशों से कॉलेज प्रबंधकों में बेचैनी बढ़ गई है, इन्हें एग्रीकल्चर से संबंधित कोर्स इस साल से बंद करने पड़ सकते हैं। प्रदेश के लगभग दो प्रतिशत के अलावा अधिकांश डिग्री कॉलेज पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर एग्रीकल्चरल एजुकेशन के नियमों पर खरा नहीं उतरते जबकि इस बार तो यूनिवर्सिटियों ने भी अपने अधीनस्थ कॉलेजों को नए सेशन से एग्रीकल्चर कोर्स में दाखिला नहीं करने की चेतावनी दी है।
हर साल गिरा खेतीबाड़ी शिक्षा का स्तर…कुछ साल पहले तक पीएयू लुधियाना, खालसा कॉलेज अमृतसर व गवर्नमेंट बरजिंदरा कॉलेज फरीदकोट में खेतीबाड़ी की शिक्षा दी जाती थी। अब 107 कॉलेज-यूनिवर्सिटियों ने खेतीबाड़ी शिक्षा होती है लेकिन अधिकांश में इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं है। एक्ट के मुताबिक एग्रीकल्चर का योग्य, अनुभव और कांपीटेटिव फैकल्टी के अलावा कृषि योग्य जमीन अनिवार्य है।
नोटिस के 6 महीने में नहीं दी रिपोर्ट…पंजाब स्टेट फॉर एग्रीकल्चरल एजुकेशन एक्ट जनवरी 2018 में बना था। कौंसिल ने जनवरी 2019 में फाइनल मापदंड निर्धारित करके स्टेट्स रिपोर्ट जांचने के बाद खामियों के बारे में 28 जून को पत्र जारी करके 31 दिसंबर तक कंपाइल रिपोर्ट भेजने को कहा। सिर्फ 25 संस्थाओं ने स्टेटस रिपोर्ट जमा करवाई जिसमें उनके निर्धारित मानक पूरा नहीं हैं। पीएससीएई ने 31 दिसंबर 2019 तक निर्धारित शर्तें पूरी करने का समय दिया जबकि 1 जनवरी 2020 से इन संस्थानों की मान्यता रद्द की चेतावनी दी।