अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल में बुधवार को पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल की हत्या की कोशिश की गई। सुखबीर बादल गोल्डन टेंपल के गेट पर सेवादार बनकर बैठे थे। डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम को माफी देने को लेकर सिखों की सर्वोच्च अदालत अकाल तख्त ने उन्हें यह सजा दी है।
वारदात के वक्त हमलावर ने जैसे ही उन पर गोली चलाई तो सिविल वर्दी में तैनात उनके सुरक्षाकर्मियों ने उसका हाथ पकड़कर ऊपर उठा दिया। जिससे गोली गोल्डन टेंपल की दीवार पर जा लगी। इससे सुखबीर बादल बाल-बाल बच गए।
इसके बाद हमलावर ने फरार होने की कोशिश की, जिसे पुलिसकर्मियों ने दबोच लिया। सुखबीर बादल को तुरंत सुरक्षा घेरे में ले लिया गया। गोल्डन टेंपल के बाहर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
सुखबीर पर हमला करने वाला आरोपी गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक का रहने वाला नारायण सिंह चौड़ा है। वह सिख संगठन दल खालसा का मेंबर है। वारदात के बाद पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर गोल्डन टेंपल पहुंचे। उन्होंने कहा कि आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उससे सुखबीर पर हमला करने की वजह के बारे में पूछताछ की जा रही है।
अकाली नेता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा का साथी मार्केट कमेटी का चेयरमैन है। गोली चलाने वाला व्यक्ति चेयरमैन के साथी का भाई है।
सुखबीर की तरफ बढ़ा, जैकेट से पिस्टल निकाल की फायरिंग
सुखबीर बादल के गोल्डन टेंपल में होने की वजह से उनके सुरक्षाकर्मी अलर्ट थे। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा दल खालसा का मेंबर है। वह गोल्डन टेंपल में माथा टेकने के बहाने आया। सुखबीर के सुरक्षाकर्मियों को भी इसकी भनक लग गई। उन्होंने चौड़ा पर नजर रखनी शुरू कर दी। चौड़ा पहले वहां घूमता रहा। इसके बाद वह धीरे-धीरे गोल्डन टेंपल के गेट की तरफ बढ़ा, जहां सुखबीर बादल व्हीलचेयर पर बैठकर सेवादार की ड्यूटी कर रहे थे।
जब उसकी सुखबीर बादल से दूरी चंद मीटर की रह गई तो उसने अपनी जैकेट के अंदर छुपाई पिस्टल निकाली और सुखबीर पर निशाना साधकर फायरिंग करने लगा। सुखबीर के सुरक्षाकर्मी उस पर पहले से नजर रख रहे थे। उन्होंने उसकी यह हरकत देख तुरंत उसका हाथ पकड़कर ऊपर को उठा दिया। जिससे गोली गोल्डन टेंपल की दीवार पर लगी। इसके बाद पुलिस कॉन्स्टेबल रछपाल सिंह और परमिंदर सिंह ने उसे दबोच लिया।
अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा- जब से सुखबीर बादल सेवा करने के लिए आए हैं तो पौने 200 पुलिस के मुलाजिम व बड़े अधिकारी नियुक्त किए गए थे। मुलाजिम रच्छपाल सिंह ने आरोपी को पास आते देखा और उसे फॉलो किया। जैसे ही उसने फायर करने की कोशिश की तो 3 मुलाजिमों ने मिलकर मोर्चा संभाला। मामले की गहराई से जांच की जाएगी। कोशिश की जाएगी कि कोई भी एंगल न छूटे।
जिन 3 मुलाजिमों ने बेहतर काम किया, उन्हें सम्मानित करवाने के लिए DGP से सिफारिश करेंगे। लोगों से अपील है कि अगर उनके पास कोई सूचना है तो पुलिस को शेयर करें।