गणतंत्र दिवस पर बाहर आ सकते हैं सिद्धू:रोडरेज मामले में काट रहे 1 साल की सजा, 6 महीने से जेल में बंद
रोडरेज के 34 साल पुराने मामले में 1 साल की सजा काट रहे नवजोत सिंह सिद्धू समय से पहले रिहा हो सकते हैं। उनके अच्छे आचरण के चलते सरकार उन्हें 26 जनवरी 2023 को रिहा कर सकती है। इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई, लेकिन कुछ दिन पहले सिद्धू से पटियाला जेल में मिलने गए सीनियर राज नेताओं ने इसकी जानकारी दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले दर्जन भर सीनियर कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू से मिलने जेल पहुंचे थे। मुलाकात करके लौटे एक सीनियर नेता ने बताया कि उनका अच्छे आचरण के चलते उन्हें आने वाली 26 जनवरी को रिहा किया जा सकता है। वह बीते साढ़े 6 महीनों से पटियाला जेल में हैं। जहां वह अपनी बैरक में बैठ क्लर्क का काम भी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई थी 1 साल की सजा
रोड रेज के 34 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को 1 साल की सजा सुनाई थी। 1988 में पंजाब में हुई रोड रेज की एक घटना में सिद्धू के मुक्के के प्रहार से एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या से बरी कर दिया था और एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था, लेकिन इस मामले में रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए अब शीर्ष अदालत ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी।
20 मई को किया था सरेंडर
सजा मिलने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने 20 मई को सरेंडर कर दिया था। अभी तक उनकी तकरीबन साढ़े छह महीनों की सजा पुरी हो चुकी है। अगर वह 26 जनवरी को बाहर आ सकते हैं तो तकरीबन 3 महीने की सजा माफ कर दी जाएगी।
कुछ दिन पहले हाईकमान को भी भेजा खत
नवजोत सिंह सिद्धू के बाहर आते ही कांग्रेस हाईकमान उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी सौंप सकती है। इस समय पंजाब की कमान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के पास है। चुनावों में बुरी हार के बाद कांग्रेस अभी तक स्थिर नहीं हो पाई है, जबकि भाजपा उनके सीनियर नेताओं को तोड़ने में जुटी है।
आसान नहीं होगा सफर
सिद्धू के बाहर आते ही उनकी राह आसान नहीं होने वाली। बाहर आने के तकरीबन 1 साल के बीच में ही 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। कांग्रेस के लिए बागियों को मनाना और उनकी नाराजगी आसान नहीं होने वाली है। सिद्धू के बाहर आते ही कई और नेताओं के भी भाजपा से हाथ मिलने के आसार बने हुए हैं, क्योंकि यह सीनियर नेता पहले भी सिद्धू के खिलाफ बोलते रहे हैं और उनके साथ हाथ मिलाने को भी तैयार नहीं।