बठिंडा नगर निगम चुनावों में किसानी के साथ स्थानीय मद्दे रहेंगे हावी पर अधिकतर दल किसान आंदोलन से क्रेडिट की जुगत में

-आप और कांग्रेस एक दूसरे पर लगा रहे आरोप तो अकाली दल कांग्रेस के बहाने भाजपा को घेरने की तैयारी में -भाजपा को दिसंबर के बाद किसान आंदोलन में माहौल तबदील होने की उम्मीद इसलिए देखों और करों की नीति पर

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बठिंडा. नगर निगम चुनाव बेशक अगले साल फरवरी माह में होने की संभावना जताई जा रही है लेकिन वर्तमान में चुनावों में किन मुद्दों की राजनीति होगी इसे लेकर सभी राजनीतिक दलों ने मंथन शुरू कर दिया है। वर्तमान समय में राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा किसानी का चल रहा है जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली दल पूरी ताकत के साथ किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए जुगत लगा रहे हैं। शहरी इलाकों में बेशक किसानी मुद्दा ज्यादा अहम नहीं है लेकिन इसमें किसानों के साथ आढ़तियों व व्यापारियों की नबज टटोलने का काम हर दल करने में लगा है ताकि उन्हें बताया जा सके कि उनका दल ही असल में उनका हितैशी है जबकि भाजपा किसानों के साथ व्यापारियों की विरोधी है। यही नहीं बठिंडा में अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने तो किसान आंदोलन में हिंदु सिक्ख एकता को मुद्दा बनाते भाजपा पर दोनों धर्मों को आपस में लड़ाने का आरोप लगा दिया। इस आरोप से उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि नगर निगम चुनावों में किसान आंदोलन का दूसरा रु ख संप्रदायिक भी रहेगा जिसमें भाजपा को हिंदु व सिक्खों का विरोध बताने की कोशिश होगी। दूसरी तरफ भाजपा के खिलाफ खड़े राजनीतिक दलों का तोड़ निकालने के लिए भारतीय जनता पार्टी देखों और करों की राजनीतिक पर अमल कर रही है।
भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि किसानों के साथ चल रहा विवाद दिसंबर माह में हल हो जाएगा व इसके बाद माहौल तबदील होगा। यही कारण है कि भाजपा नेता किसानों की पक्ष या फिर विरोध में किसी तरह का बयान देने से गुरेज कर रही है वही शहरी लोगों को इस बात के लिए लगातार जागरु क कर रही है कि किसान बिल किसानों के साथ आम लोगों के हित में हैं। दूसरी तरफ किसानी मुद्दे पर इन दिनों क्र ेडिट लेने की होड़ कांग्रेस और आप के बीच सबसे ज्यादा चल रही है। अकाली दल इन दोनों दलों के नेताओं के बीच हो रहे वाकयुद्ध में अभी चुप्पी साधकर बैठा है हालांकि अकाली दल के सुप्रीमों व पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल आप पर कम तो पंजाब की कांग्रेस सरकार पर ज्यादा हमलावर होकर चल रहे हैं। अब तक भाजपा के साथ गठजोड़ बनाकर चलने वाले अकाली दल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के मार्फत भाजपा पर निशाना साधा है। सुखबीर बादल के मंगलवार को बठिंडा दौरे में भी सुखबीर सिंह बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते कहा कि वह भाजपा व केंद्र सरकार से मिले हुए है व गुप्त समझौता करके आए है व इसके बारे में लोगों को बताने से भाग रहे हैं जो किसानी आंदोलन को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है। वही आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब की स्थानीय निकाय विभाग के चुनावों को लेकर सियासत के पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।
इसमें स्थानीय व राज्य स्तर के नेता आप की हाईकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं जिसमें वह नगर निगम व नगर काउंसिल चुनावों में किस रु प में उतरेंगे यह स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि आप के अधिकतर लीडर करीब सवा साल बाद पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सीधे तौर पर निकाय चुनावों में उतरने की हिमायत कर रहे हैं ताकि उन्हें अपनी ताकत बढ़ाने का मौका मिल सके लेकिन दूसरी तरफ कुछ नेता निकाय चुनावों में सत्ताधारी दलों की धक्केशाही की बात कह प्रत्यक्ष चुनाव लड़ने की बजाय आजाद तौर पर लड़ने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव में कांग्रेस सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल कर चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं जिसमें आप अगर पूरी ताकत से चुनाव में उतरती भी है तो उन्हें सीधे तौर पर लोगों का समर्थन तो मिल सकता है लेकिन नतीजे उनके मुताबिक नहीं मिल सकेंगे। इसी तरह अकाली दल लंबे समय बाद भाजपा से अलग होकर सभी 50 वार्डों में ताल ठोकने जा रहा है। भाजपा के साथ नहीं होने से अंदर खाते उसे शहरी इलाकों में हिंदू व व्यापारी वोट का डर जरूर सता रहा है क्योंकि बठिंडा शहरी श्रेत्र बहुल अग्रवाल समाज के प्रभाव वाला क्षेत्र है वही निगम क्षेत्र में दलित वोट की भी अधिकता है जो अब तक कांग्रेस व भाजपा के खाते में जाती रही है व भाजपा को शहर की 22 सीटों में प्रभावी बनाती रही है लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस इस वोट बैंक में सेधमारी के लिए प्लान बनाकर काम में जुटा है जिसमें दलित व अग्रवाल समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों को अपने खेमे में लाने की कोशिश तेज हो गई है।
शहर का जाट वोट भी वर्तमान में बटा हुआ दिखाई दे रहा है जिसमें अधिकतर लोग किसान समर्थन में अपने स्तर पर विभिन्न राजनीतिक दलों के पक्ष व विपक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं जिसका असर अकाली दल के साथ कांग्रेस पर पड़ेगा जबकि आप व भाजपा भी इस वोट बैंक में सेधमारी के लिए इस समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रभावी लोगों से संपर्क साध रहे हैं। किसान आंदोलन बेशक पंजाब का मुद्दा है लेकिन स्थानीय मुद्दे भी नगर निगम चुनावों में अहम रहेगें। इसमें पानी, सीवरेज, सड़क, विकास प्रोजेक्ट, नेताओं की क्षिव व स्थानीय लोंगों के बीच उनका संपर्क ऐसे मुद्दे है जो विभिन्न वार्डों में लोग प्रमुखता से उठा रहे हैं। लावारिस जानवरों की समस्या, ट्रैफिक समस्या का हल, मरे जानवरों को उठाने की व्यवस्था, बठिंडा से थर्मल प्लाट बंद करवाना भी इन चुनावों का प्रमुख एजेंडा रहेगा। फिलहाल फरवरी 2021 में होने वाले नगर निगम चुनाव कई मुद्दों के साथ समुदाय, जाति व संप्रदाय के प्रतिनिधित्व को लेकर काफी अहम रहने वाले हैं।

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