आदिवासियों से पुलिस ने ऐसे लूटा 1 करोड़ का सोना:थाने का सीसीटीवी बंद किया, टीआई ने छुट्‌टी ली, लिखा- शराब पकड़ने गए थे

पुलिस ने आलीराजपुर के ज्वेलर कमलेश जैन काकड़ीवाला से उसकी जांच कराई। पता चला कि उसका वजन 7.98 ग्राम है। उसमें 22 कैरेट यानी 90% शुद्ध सोना है। वर्तमान बाजार भाव 55 हजार 700 रुपया तोला यानी 10 ग्राम की दर से इस सिक्के का बाजार भाव 44 हजार 449 रुपया बताया गया। केवल सोने के भाव 240 सिक्कों की कुल कीमत एक करोड़ छह लाख 67 हजार 760 हो रही है।

मध्यप्रदेश के आलीराजपुर में एक आदिवासी परिवार से पुलिसवालों ने 240 सोने के सिक्के लूट लिए। इन सिक्कों की कीमत एक करोड़ से ज्यादा है। एक करोड़ रुपए के लिए ‘देश भक्ति और जनसेवा’ की कसम खाने वाले रक्षक ही ‘लुटेरे’ बन गए। जांच में पता चला कि पूरे थाने ने जबरदस्त प्लानिंग कर इस लूट को अंजाम दिया है।

प्लानिंग के तहत पुलिसवालों ने थाने के सीसीटीवी बंद किए। पकड़े न जाएं, इसलिए थाना प्रभारी ने एक दिन पहले ही छुट्‌टी ले ली थी। लूट के बाद थाने आकर लिखा कि अवैध रूप से शराब बेचने वालों को पकड़ने गए थे, लेकिन कुछ मिला नहीं। असल में बात तो ये है कि पुलिसवाले गए और एक करोड़ रुपए का सोना लूट लाए।

महिला को गुजरात में खुदाई के दौरान मिले थे सिक्के

आलीराजपुर के सोंडवा थाना क्षेत्र के बेजड़ा गांव की रहने वाली रमकुबाई भयड़िया अपनी भतीजा बहू के साथ गुजरात मजदूरी करने गई थी। वहां एक मकान की खुदाई के दौरान दोनों को ये 240 सोने के सिक्के मिले थे। इसे वे चुपचाप लेकर आलीराजपुर लौट आए। ये सिक्के अंग्रेजों के जमाने के बताए जा रहे हैं। उन्होंने ये सिक्के घर में ही जमीन में छिपाकर रख दिए थे।

बाद में पुलिस को मुखबिरों से इसकी जानकारी मिली। पुलिसवाले रमकुबाई के यहां पहुंचे और खुदाई कर जमीन में छिपाए सिक्के लेकर आ गए। इसे सरकारी खजाने में जमा कराने की बजाय लेकर फरार हो गए। पुलिस ने अपने ही एक साथी पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। इसके बाद आलीराजपुर एसपी ने थाना प्रभारी सहित पांच पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया। आरोपी पुलिसवाले लूट के माल के साथ अब भी फरार हैं।

महिला बोलीं- सादे कपड़ों में आए लोग घर में घुस आए

रमकुबाई बताती हैं कि 19 जुलाई को सुबह करीब 11 बजे थे। मैं घर पर अकेली थी, तभी सादे कपड़ों में चार लोग आए। उन्होंने मुझे बांह से पकड़ा और धक्के मारते हुए घर में ले गए। वे कह रहे थे कि हम पुलिसवाले हैं। तुमने चोरी का सोना छिपा रखा है, निकाल दो नहीं तो मार-मारकर हालत खराब कर देंगे। उन्होंने बदसलूकी की और घर के भीतर फर्श को खोदकर देखने लगे। उन्हें दो जगह से सोने के 220 सिक्के मिल गए और चारों उसे लेकर चले गए।

मेरे घर से करीब 150 मीटर की दूरी पर मेरे भतीजे का घर है। पुलिस वहां भी पहुंची और इसी तरह जबरदस्ती की और मेरे भतीजे की पत्नी बंजारी से सोने के 20 सिक्के निकालकर ले गई। रमकुबाई के पति बंशी बताते हैं, कुछ घंटे के बाद वे घर पहुंचे ताे उन्हें इस बात की जानकारी हुई। तब उन्होंने अपने परिवार के दूसरे लोगों और गांव वालों को बताया। गांव के लोग दूसरे दिन जब थाने पहुंचे तो वहां पुलिस ने ऐसी किसी घटना से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद से थाने में बवाल हो गया और सूचना एसपी और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच गई। फिर आगे की कार्रवाई की गई।

रोजनामचे में लिख दिया हमें कुछ नहीं मिला

पुलिस ने लूट की ये वारदात पूरी प्लानिंग के साथ की है। 19 जुलाई की सुबह 11 बजे सोंडवा के थाना प्रभारी विजय देवड़ा, प्रधान आरक्षक सुरेश चौहान, आरक्षक राकेश डाबर और विजेंद्र सिंह एक प्राइवेट कार से बेजड़ा गांव गए। रमकुबाई और बंजारी के घर से सोने के सिक्के लेकर आ गए। शाम को थाने जाकर रोजनामचे में लिखा-शराब की सूचना पर बेजड़ा गांव गए थे, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला।

मजदूर परिवार ने ट्यूबवेल लगवाया, बाइक खरीदी, यहीं से खुला सोने का राज

गुजरात से सोने के सिक्के लेकर आने वाली रमकुबाई भयड़िया (51) ने बताया कि मैंने सोने के सिक्के मिलने की बात अपने पति और बेटे को भी नहीं बताई थी। फिर भी न जाने कैसे पुलिस वालों को पता चल गया। आलीराजपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और मामले की जांच कर रही विशेष टीम के प्रभारी एसआर सेंगर बताते हैं कि पता चला है कि उस मजदूर परिवार ने हाल ही में पहाड़ी पर ट्यूबवेल लगवाया और बाइक खरीदी है। अचानक से एक गरीब परिवार ने दो काम ऐसे किए थे, जिसमें बहुत खर्च होता है।

यहीं से सोंडवा थाने में पदस्थ खुफिया शाखा के आरक्षक राकेश डाबर को इसकी भनक लगी। उसने जांच की कि इनके पास इतना पैसा कहां से आया। राकेश डाबर को उस व्यक्ति का पता चल गया था, जिसे इन्होंने सोने के सिक्के बेचे थे। इसके बाद राकेश डाबर ने थाना प्रभारी को बताया। फिर सोना लूटने की योजना बनाई। इसके बाद आरोपियों ने दगड़ा फालिया के इस परिवार की रेकी की।

16 जुलाई को नियम तोड़कर थाने का सीसीटीवी कैमरा बंद कर दिया गया। दरअसल, पुलिस मुख्यालय के नियमों के अनुसार थाने का कैमरा बंद नहीं रहना चाहिए, अगर बिगड़ता है तो तत्काल इसकी सूचना वरिष्ठों के जरिए भोपाल भेजी जाएगी। थाने का सीसीटीवी संभालने का जिम्मा आरक्षक वीजेंद्र सिंह का था, वह खुद इस मामले में आरोपी है।

आरोपी टीआई ने बच्चे के जन्मदिन के नाम पर छुट्‌टी ली

थाना प्रभारी विजय देवड़ा ने 19 जुलाई को बच्चे के जन्मदिन के नाम पर 18 जुलाई को छुट्‌टी मंजूर कराई थी। 19 जुलाई को सोने के सिक्के लूटने की घटना को अंजाम दिया गया। रोजनामचा में उन्होंने आमद दर्ज कराते हुए लिखा कि शराब की सूचना पर बेजड़ा गांव गए थे, लेकिन वहां शराब नहीं मिली। 20 जुलाई को बेजड़ा गांव के लोगों ने थाने पहुंचकर हंगामा कर दिया। उनका कहना था कि पुलिस बिना लिखा-पढ़ी के आदिवासी परिवार के यहां से सोने के सिक्के ले आई है।

बवाल शुरू हुआ तो करीब दो बजे थाना प्रभारी देवड़ा ने छुट्‌टी के लिए रवानगी ले ली। उनके जाने के बाद एक और आरक्षक ने थाना प्रभारी के नाम छुट्‌टी का आवेदन लगाकर घर की राह पकड़ ली। 21 जुलाई को पुलिस ने आरक्षक राकेश डाबर और तीन अज्ञात को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज कर ली। 22 जुलाई को चारों पुलिसवाले अपना मोबाइल फोन बंद कर फरार हो गए।

बचने का फुलप्रूफ प्लान बनाया, लेकिन किस्मत धोखा दे गई

पुलिस वालों ने इस लूटकांड के ताप से बचने के लिए फुलप्रूफ प्लान बनाया था, लेकिन एक सबूत एफआईआर और निलंबन के अगले दिन सामने आया। सस्पेंड थाना प्रभारी विजय देवड़ा ने अपना एक वीडियो जारी किया। उसमें उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं के दबाव में उन लोगों को चोर बनाया जा रहा है। देवड़ा ने सवाल उठाया कि जो लोग सोने के सिक्कों की चोरी की बात कर रहे हैं उनको बताना चाहिए कि उस मजदूर परिवार के पास सोने का सिक्का कहां से आया। वह परिवार कुछ भी कहानी बता रहा है और बिना जांच के उनको आरोपी बना दिया गया।

बात में दम था, लेकिन 22 जुलाई को ही पीड़ित परिवार की महिला रमकुबाई सोने का एक सिक्का लेकर थाने पहुंच गई। उसका कहना था, लूटे गए सिक्के भी इसी के जैसे थे। यहीं से आरोपियों पर शक गहरा गया। आलीराजपुर के पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह बताते हैं कि इस एक सिक्के ने यह साफ कर दिया कि आदिवासी परिवार की कहानी झूठी नहीं है। सच में उनके पास सोने के सिक्के थे, जिन्हें लूटा गया है।

जांच कराई तो 44 हजार का निकला एक सिक्का

पुलिस ने आलीराजपुर के ज्वेलर कमलेश जैन काकड़ीवाला से उसकी जांच कराई। पता चला कि उसका वजन 7.98 ग्राम है। उसमें 22 कैरेट यानी 90% शुद्ध सोना है। वर्तमान बाजार भाव 55 हजार 700 रुपया तोला यानी 10 ग्राम की दर से इस सिक्के का बाजार भाव 44 हजार 449 रुपया बताया गया। केवल सोने के भाव 240 सिक्कों की कुल कीमत एक करोड़ छह लाख 67 हजार 760 हो रही है।

यह एंटीक किस्म का सिक्का है, ऐसे में इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 7 से 10 करोड़ रुपए के बीच आंकी गई है। अब आलीराजपुर एसपी ने इन सिक्कों का पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व जानने के लिए पुरातत्व विभाग को एक पत्र भेजा है। बताया जा रहा है कि अगर ये सिक्के ऐतिहासिक महत्व के हुए तो इनकी कीमत बढ़ जाएगी।

सोने के सिक्के लूटने में ऐसे फंसे वर्दीवाले

थाना प्रभारी विजय देवड़ा की कहानी के अनुसार उन्हें सूचना मिली थी कि फला-फला गांव में शराब है। उसको पकड़ने के लिए उन्होंने तीन आरक्षकों को वहां भेजा था, बाद में उनके बुलाने पर वे भी वहां गए। बताई गई जगह पर शराब नहीं मिली तो वे लोग थाने वापस लौट आए। इस कहानी में कई पेंच हैं।

मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रभारी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसआर सेंगर का कहना है, इस कहानी में कई गड़बड़ियां हैं।

  1. अवैध शराब की सूचना पर थाने से यदि कोई टीम रवाना हुई तो रोजनामचे में उसका जिक्र क्यों नहीं किया गया?
  2. ऐसी छापेमारी में वरिष्ठ अफसरों को सूचित करने का नियम है, लेकिन पुलिस टीम ने इस बारे में सीनियर अफसरों को क्यों नहीं बताया?
  3. जब तीन आरक्षकों को वहां से कुछ नहीं मिला तो थाना प्रभारी देवड़ा को वहां क्यों बुलाया?
  4. शराब पकड़ने की बात करने वाले पुलिसवालों ने सिर्फ एक फीट का गड्‌ढा किया, छोटे से गड्‌ढे में वे शराब का कौन का जखीरा ढूंढ रहे थे?
  5. आदिवासी क्षेत्र में वैसे भी पांच लीटर शराब रखने की अनुमति है

    आलीराजपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसआर सेंगर एक और तथ्य की ओर ध्यान खींचते हैं। उनका कहना है कि यह जिला अधिसूचित क्षेत्र यानी आदिवासी बहुल क्षेत्र घोषित है। इसका सीधा मतलब है कि यहां रह रहे अनुसूचित जनजाति के लोगों की परंपरा के मुताबिक कुछ नियमों में कानून ने ढील दी हुई है। उसमें शराब को बनाना और उपयोग करना भी शामिल है। जनजाति परिवार के किसी परिवार के पास पांच लीटर तक शराब रखने की छूट कानून में है। किसी पारिवारिक-धार्मिक-सामाजिक उत्सव या आयोजन के लिए छूट की यह सीमा बढ़ जाती है।

    इसकी जानकारी यहां के हर पुलिसवाले को है। समय-समय पर इसको अपडेट भी किया जाता है। इसके बावजूद आरोपी पुलिसकर्मी एक आदिवासी परिवार के घर शराब तलाशने गए, जहां शराब बनाने-बेचने का कोई निशान तक नहीं है। आरोपियों की बात मान भी ली जाए तो इसका मतलब यह भी हुआ कि उन्होंने सूचना को कन्फर्म किए बिना किसी के घर में दबिश दे दी। यहां भी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

    गिरफ्तारी से ज्यादा पुलिस को सोने के सिक्कों की चिंता

    पुलिसवालों पर लगे लूट के आरोपों पर खूब राजनीति भी हो रही है। सत्ताधारी भाजपा के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर आरोपी पुलिस वालों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन होगा। 25 जुलाई को उन लोगों ने सोंडवा बंद कराया था। पुलिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी का दबाव है, लेकिन अधिकारियों को गिरफ्तारी से अधिक सबूत की चिंता है। वे लोग आदिवासी परिवार को सोने के सिक्कों के मिलने से लेकर लूट की कड़ियां जोड़ने की कोशिश में हैं। इसके लिए पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह ने एडिशनल एसपी एसआर सेंगर की अगुवाई में एक एसआईटी बनाई है।

    यह टीम पीड़ित परिवार को लेकर गुजरात के नवसारी गई थी। वे लोग 26 जुलाई को लौटे। वहां आदिवासी परिवार ने उस जगह की तस्दीक की जहां से उन्हें सोने के सिक्के मिले थे। उस जमीन के मौजूदा मालिकों के बयान हुए हैं, वहीं उस जमीन के 1950 तक के दस्तावेज निकलवाए गए हैं, ताकि जमीन के मालिकों का इतिहास भी पुख्ता किया जा सके।

    इधर, आरोपी अग्रिम जमानत की अर्जी लगाने के लिए वकीलों के संपर्क में हैं। अभी तक पुलिस ने एफआईआर में सभी चार का नाम शामिल नहीं किया है, इसलिए वे अदालत नहीं आ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है, उनकी कोशिश है कि आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले सबूत जुटा लिए जाएं ताकि सिक्कों की बरामदगी के लिए उन्हें रिमांड पर लिया जा सके। अगर अधकचरे सबूतों की वजह से उन्हें जमानत मिल गई तो सिक्कों का मिलना मुश्किल हो जाएगा।

  6. गुजरात के जिस परिवार के घर से सोना निकला वे बड़े कारोबारी और अधिकतर एनआरआई

    पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह ने बताया कि नवसारी (गुजरात) के जिस परिवार की जमीन से सिक्कों के मिलने की जानकारी आई है, उसके मुताबिक मौजूदा मालिकों के परदादा कासिम भाई के नाम से वह संपत्ति थी। 1950 के रिकॉर्ड में उनके नाम 100 बीघा जमीन, राइस मिल जैसी संपत्तियां दर्ज हैं। उनके दो बेटे हुए हुसैन मोहम्मद और गुलाम मोहम्मद। इसमें से इस मकान में हुसैन मोहम्मद का परिवार रहता था। उनके दो बेटे फरीक और निसार थे, जो बाद में वलसाड़ में जाकर बस गए। बाद में यह परिवार इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में बस गया।

    कासिम भाई के दूसरे बेटे गुलाम मोहम्मद जुआरी निकल गए तो अपनी संपत्तियां बेच डालीं। 2009 में एनआरआई परिवार ने नवसारी में स्थित अपना पुश्तैनी घर गुलाम मोहम्मद के वारिसों में से एक इम्तियाज बलियावाला को बेच दिया। इम्तियाज का परिवार भी ब्रिटेन में रहता है। इसी मकान को गिराकर जमीन साफ करने के काम में आलीराजपुर के मजदूर परिवार को लगाया गया था। सफाई के दौरान दोनों महिलाओं को सोने के सिक्के मिले थे।

    फरवरी में मलबा हटाते हुए मिला था सिक्कों का ढेर

    बेजड़ा गांव की दगड़ा फालिया निवासी रमकू बाई बताती हैं कि वे अपने भतीजे और दो बहुओं के साथ नवसारी में मजदूरी करने गई थी। जिस ठेकेदार ने उन्हें काम पर रखा था वह अक्सर उन्हें गुजरात में काम के लिए ले जाता है। इस बार मकान को गिराकर उसका मलबा साफ करने का काम मिला था। इस साल की फरवरी में किसी दिन वहां दीवार और छत का मलबा हटाते समय उनको सिक्कों का ढेर मिला। उन्होंने और उनकी बहू ने सिक्कों को छिपा दिया। उसके कुछ दिनों बाद ही वे लोग काम छोड़कर घर वापस लौट आए।

    रमकूबाई का कहना है कि उनके परिवार में एक बुजुर्ग महिला का निधन हो गया था, उसकी वजह से उन लोगों को लौटना पड़ा। पुलिस का अनुमान है, सोना छिपाने की जल्दी में यह परिवार काम छोड़कर गांव लौट आया होगा। सिक्के लाने के बाद रमकूबाई ने अपनी झोपड़ी में दो जगहों पर छोटा-छोटा गड्‌ढा खोदकर उन्हें दबा कर लिपाई कर दी। करीब 20 सिक्के भतीजे की पत्नी के हाथ लगे थे तो उसने अपने घर में उसे दबा दिया।

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